दादरी में नहीं खुला प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र, सस्ती दवाओं के लिए तरस रहे लोग
चरखी दादरी : देश भर में जेनेरिक दवाओं के लिए प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र
जागरण संवाददाता, चरखी दादरी :
देश भर में जेनेरिक दवाओं के लिए प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र खोलने के बावजूद भी चरखी दादरी के लोग जेनेरिक, सस्ती दवाओं के लिए तरस रहे हैं। अभी तक जिले में कोई भी प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र न खोले जाने के चलते लोग महंगी दवाईयां खरीदने को मजबूर हैं।
अधिकांश चिकित्सक भी मरीजों को दवाओं के साल्ट के बजाए दवा कंपनियों के नाम से परामर्श दे रहे हैं। करीब तीन वर्ष पूर्व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोगों को जेनेरिक दवाएं उपलब्ध कराने की घोषणा की थी। घोषणा के तहत देश भर में एक हजार से अधिक प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र खोले जाने थे। जन औषधि केंद्रों पर लोगों को जेनेरिक दवाएं उपलब्ध कराई जानी थी। जिनकी कीमत बाजार में उपलब्ध दवाओं से 70 फीसदी तक कम होती है। केंद्र सरकार ने घोषणा के तहत विभिन्न जिलों में हजारों औषधि केंद्रों की शुरुआत तो कर दी, लेकिन चरखी दादरी के लोगों के लिए अभी भी जेनेरिक दवाएं एक सपने के जैसा बनी हुई हैं। अभी भी जिले के लोग कंपनियों के नामों से बिक रही महंगी दवाइयां खरीदने के लिए मजबूर हैं। जबकि सरकार के आदेशों के बाद भी चिकित्सक मरीजों को साल्ट के बजाए दवा कंपनियों के नामों से दवाएं खरीदने के लिए परामर्श कर रहे हैं। ऐसे में सरकार की लापरवाही के चलते लोगों की जेबों पर अतिरिक्त भार पड़ रहा है। क्या होती हैं जेनेरिक दवाएं
जेनेरिक दवाएं वे होती हैं जिनकी पहचान उनके साल्ट से होती है न कि उनको बनाने वाली कंपनी के नाम से। जेनेरिक दवाओं और अन्य दवाओं में कोई भी फर्क नहीं है। जेनेरिक दवाएं भी मरीजों को उतना ही फायदा पहुंचाती हैं जितना की अन्य कंपनियों की दवाएं। जबकि ब्रांडेड दवाओं और जेनेरिक दवाओं की कीमत में 50-70 फीसदी का अंतर होता है। संचालक को मिलता है कमीशन
जेनेरिक दवाओं के लिए जन औषधि केंद्र खोलने के लिए संचालक को 20 फीसदी कमीशन दिया जाता है। सरकार इन केंद्रों पर दवाओं की उपलब्धता के लिए समय-समय पर मांग के अनुसार आपूर्ति करवाती रहती है। जबकि करीब 50 हजार की दवाएं औषधि केंद्र संचालक को एडवांस में दी जाती हैं।