सरकारी बस सेवा के लिए तरस रहे भुरटाना के लोग
करीब 8 हजार की आबादी को अपने आंचल में समेटे हुए गांव भुरट
राजेश कादियान, बवानीखेड़ा : करीब 8 हजार की आबादी को अपने आंचल में समेटे हुए गांव भुरटाना के करीब 22 लोगों को मताधिकार प्राप्त है। ग्रामीणों के मुताबिक गांव भुरटाना को करीब 160 वर्ष पूर्व महेंद्रगढ़ जिले के गांव बुआना से आए दो दर्जन मुसलमानों ने बसाया था। मुसलमानों की गवाही आज भी गांव में खंडहर पड़ी मस्जिद दे रही है और मुसलमानों द्वारा बनाई गई हवेलियां भी आज गांव में स्थापित हैं। जागेराम, धर्मचंद, ¨हदराज, चंद्रभान, परमानंद, पृथ्वी आदि ने बताया कि जब यहां पर मुसलमान आए तो इस जमीन पर कटीली झाड़ियां खड़ी हुई थी। इन झाड़ियों को ग्रामीण भुरट नाम से पुकारते थे। बाद में इन्ही भुरटों के कारण गांव का नामाकरण भुरटाना पड़ा। ग्रामीणों ने बताया कि गांव बसाने वाले मुसलमान अग्रेंजों की सेना में शामिल थे और इन्होंने 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में अपनी अहम भूमिका निभाई, जिससे अंग्रेजों ने खुश होकर इन मुसलमानों को ईनाम स्वरूप यहां पर जमीन दे दी। धीरे-धीरे इस गांव को भुरटाना के नाम से जाना जाने लगा। अहीर जाति बाहुल्य इस गांव में अनुसूचित जाति वर्ग के लोगों के भी कुछ घर है। इसके साथ-साथ जाट, ब्राह्मण व राजपूत समुदाय को छोड़कर बाकी अधिकतर जातियां यहां पर निवास करती है। भुरटाना गांव के लोग अभी तक सरकार बस सेवा से वंचित है। यह गांव तोशाम-हांसी मुख्यमंत्री मार्ग से करीब 2 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। लोगों को आवागमन के लिए सरकार बस सेवा न मिलने के चलते ऑटो का सहारा ही लेना पड़ रहा है।
रोडवेज विभाग की सेवा से महरूम इस गांव के छात्र-छात्राओं को उच्च शिक्षा के लिए तोशाम या हांसी के लिए जाना पड़ता है। इसके चलते सबसे ज्यादा परेशानी छात्राओं को उठानी पड़ रही है। गांव में सैकड़ों वर्ष पूर्व मुसलमानों द्वारा बनाई गई मस्जिद भी है, जो कि फिलहाल खंडहर अवस्था में पड़ी है। ये हैं जोहड़
गांव में पशुपालकों के पशुओं को पानी पिलाने व पशु नहलाने के लिए तीन जोहड़ बने हुए है। इनमें हिसाली, बाबा पीर का जोहड़ शामिल हैं। इसके अलावा एक अन्य जोहड़ भी है, जिसको केवल जोहड़ के नाम से ही पुकारा जाता है। ये है मंदिर
गांव में भगवान शिव का एक मंदिर स्थापित है। साथ-साथ बाबा पीर की मजार भी बनी हुई है। ग्रामीणों की बाबा पीर के प्रति गहरी आस्था है। ये है अधिकारी
गांव के युवा अनिल लेफ्टिनेंट के पद पर तैनात है तो सूरत ¨सह बीडीपीओ से सेवानिवृत्त हो चुके है। इसके अलावा गांव के करीब 50 युवा सेना में भर्ती होकर देश की सेवा कर रहे हैं। साथ-साथ 50 से अधिक व्यक्ति सरकारी अध्यापक के तौर पर कार्यरत है। इसके अलावा राजमल कंवल प्रधानाचार्य के पद पर कार्यरत है। ये है सरकारी सुविधा
गांव में 10वीं कक्षा तक का सरकारी स्कूल है। इसके अलावा जलघर व तीन आंगनबाड़ी केंद्र भी स्थापित है। इसके अलावा गांव में कोई खास सरकारी सुविधा उपलब्ध नहीं है। ये है जरूरत
ग्रामीणों के अनुसार गांव में 12वीं कक्षा तक का स्कूल अवश्य ही होना चाहिए, क्योंकि 10वीं के बाद गांव के छात्र-छात्राओं को पढ़ने के लिए तोशाम या हांसी जाना पड़ता है। गांव में सरकारी बस सेवा उपलब्ध न होने के चलते छात्र-छात्राओं को उच्च शिक्षा ग्रहण करने के लिए आवागमन में काफी दिक्कत झेलनी पड़ती है। गांव में खेल स्टेडियम, अस्पताल, आंगनबाड़ी केंद्र की सरकारी इमारत, बैंक की सुविधा भी नहीं है। इसके साथ-साथ गांव में बिजली की भी गंभीर समस्या है। ग्रामीणों के मुताबिक गांव में दिन के समय केवल 2 घंटे ही बिजली उपलब्ध हो पाती है। इससे उनको रोजमर्रा के कार्य निपटाने में काफी दिक्कत महसूस होती है। यहां के ग्रामीणों ने जिला प्रशासन से मांग की है कि शीघ्र ही ये सुविधाएं गांव में उपलब्ध करवाई जाए, ताकि उन्हें किसी प्रकार की दिक्कत न उठानी पड़े।