धान की रोपाई पर रोक लगाने के लिए आगे आने लगी पंचायतें, मोरवाला में भी लगाया प्रतिबंध
सरकार द्वारा प्रदेश में धान की खेती के क्षेत्र को कम करने क
जागरण संवाददाता, चरखी दादरी : सरकार द्वारा प्रदेश में धान की खेती के क्षेत्र को कम करने के लिए विभिन्न प्रकार से प्रयास किए गए है। दादरी जिले में जिसके सकारात्मक परिणाम देर ही भले लेकिन अब आने शुरू हो चुके हैं। जिले में बीते करीब एक माह के दौरान तीन गांवों के लोग पंचायत आयोजित कर धान नहीं लगाने का निर्णय ले चुके हैं। आगामी खरीफ सीजन तक जिले की दूसरी ग्राम पंचायतों द्वारा भी धान नहीं लगाने का निर्णय लेने की संभावना है।
नया मामला गांव मोरवाला का है जहां बृहस्पतिवार को ग्रामीणों ने सरपंच जय कृष्ण की अगुवाई में पंचायत आयोजित कर गांव में धान नहीं लगाने का निर्णय लिया। जिले के कई गांवों में भूमिगत जलस्तर काफी ऊपर है। इन गांवों में खरीफ सीजन के दौरान धान की फसल लगाए जाने पर मानसून के मौसम में काफी परेशानियां उठानी पड़ती हैं। कई बार तो तेज बारिश होने पर बाढ़ के हालात बन जाते हैं। जिससे निपटने के लिए पूर्व में कई बार ग्रामीणों द्वारा धान पर रोक लगाने के लिए प्रयास किए गए हैं। लेकिन ग्रामीणों की एकजुटता की कमी के चलते उनके प्रयास सिरे नहीं चढ़ पाए। लेकिन अब सरकार के आह्वान, जागरूकता व ग्रामीणों की परेशानियों को देखते हुए ग्राम पंचायतें आगे आ रही है।
ग्रामीण पंचायत के माध्यम से सर्वसम्मति से धान नहीं लगाने का निर्णय ले रहे हैं। नया वर्ष आरंभ होने के बाद से बीते 23 दिनों के दौरान जिले की तीन ग्राम पंचायतें धान नहीं लगाने का निर्णय ले चुकी हैं। यदि ये ग्राम पंचायत अपने निर्णय पर अडिग रहती है और इसे लागू करती है तो आगामी खरीफ सीजन में दादरी जिले का धान क्षेत्र घटना लाजिमी है।
बाढ़ के बन जाते हैं हालात
गांव मोरवाला सरपंच ने बताया कि धान की रोपाई करने पर खेतों में लगातार पानी भरे रहने से बरसात के दिनों में चव्वें की समस्या होने के कारण बाढ़ के हालात बन जाते है। जिससे ग्रामीणों को परेशानियां उठानी पड़ती हैं। वहीं खेतों में पानी भरे रहने, उर्वकों, कीटनाशों के छिड़काव से भूमिगत पानी भी प्रभावित हो रहा है। जिसके चलते ग्रामीणों की सहमति से धान नहीं लगाने का निर्णय लिया है।
जुर्माने का किया गया हैं प्रावधान
गांव मोरवाला के सरपंच ने बताया कि पंचायत ने सर्वसम्मति से जो धान लगाने का निर्णय लिया है यदि उसका कोई उल्लंघन करता है तो 21 हजार रुपये जुर्माने का प्रावधान किया गया है। इसके अलावा धान के खेत में उसी समय ट्रैक्टर चलाकर फसल को नष्ट करने का भी निर्णय लिया गया है। बनाई गई कमेटी
ग्राम पंचायत द्वारा धान की रोपाई नहीं करने के निर्णय को गांव में लागू करवाने के लिए एक 15 सदस्यीय कमेटी भी बनाई है जो किसानों को जागरुक करने के अलावा निर्णय का उल्लंघन करने वाले लोगों के खिलाफ सामाजिक कार्रवाई करेगी। कमेटी में गांव निवासी सुखबीर, सूरजभान, सामदेव, मनोज, प्रताप, धर्मेंद्र, माईराम, ओम कुमार, अजीत सिंह, सत्येंद्र इत्यादि को शामिल किया गया है। ये पंचायत ले चुकी है निर्णय
नया साल शुरू हुए केवल तीन सप्ताह पूरे हुए है लेकिन अब तक एक के बाद एक जिले की तीन ग्राम पंचायत सर्वसम्मति से धान नहीं लगाने का निर्णय कर चुकी है। नए साल के दूसरे ही दिन ग्राम पंचायत समसपुर द्वारा सरपंच जगबीर सिंह की अध्यक्षता में धान नहीं लगाने का निर्णय लिया था। उसके करीब दो सप्ताह बाद गांव इमलोटा की पंचायत ने और अब गांव मोरवाला की पंचायत ने धान की खेती को तौबा कहा है। धान के दुष्परिणामों को देखते हुए आगामी दिनों में जिले की कई दूसरी पंचायतों द्वारा इन पंचायतों के निर्णय का अनुसरण करने की संभावना है।