बामला में ट्रैक्टर-ट्राली में हवनकुंड रखकर की परिक्रमा
गांव बामला में डेरा शिलगिरी सूरत गिरी के महंत कृष्णपुरी महाराज व ग्रामीणों द्वारा ट्रैक्टर ट्राली में हवन किया गया।
जासं, भिवानी : गांव बामला में डेरा शिलगिरी सूरत गिरी के महंत कृष्णपुरी महाराज व ग्रामीणों द्वारा ट्रैक्टर ट्राली में हवन किया गया। तीन घंटे पूरे गांव में परिक्रमा लगाई गई और लगातार महामृत्यंजय मंत्र का जाप किया गया। एडवोकेट सुरेश ग्रेवाल ने बताया कि हमारी ऋषि-मुनियों द्वारा चलाई गई प्राचीन परंपरा जोकि सदियों से चली आ रही है। हवन क्रिया जब-जब कोई महामारी आती थी या आपदा आती थी तब ऋषि-मुनि विश्व कल्याण के लिए हर जीव की रक्षा के लिए तथा वातावरण की शुद्धि के लिए हवन-यज्ञ किया करते थे।
इससे सकारात्मक ऊर्जा का संचार हुआ करता था और वातावरण भी शुद्ध हुआ करता। उन्होंने कहा कि आज महामारी पूरे विश्व में फैल गई है। कोरोना के नाम से समाज के सभी लोगों को मिल-जुल कर ऋषि-मुनियों की परंपरा को आगे बढ़ाना चाहिए तथा हवन-यज्ञ करके वातावरण को शुद्ध करना चाहिए। हवन-यज्ञ में कृष्ण कुमार शास्त्री, विजय पंडित, दीपक पंडित, अनिल पंडित, हरिश, सुखबीर आदि उपस्थित रहे।
प्रथम आहुति डालकर माई महाराज ने पांच दिवसीय महामारी निवारण यज्ञ किया शुरू
जागरण संवाददाता, भिवानी : विश्व भर में फैली कोरोना महामारी के निवारण के लिए भारत माता सेवा चेरिटेबल ट्रस्ट के अध्यक्ष आचार्य माई महाराज द्वारा कुसुमेश्वर महादेव मंदिर में शनिवार को पांच दिवसीय महामारी निवारण यज्ञ प्रारम्भ किया। यज्ञ शास्त्री हर्ष भट्ठ और मुक्तानंद महाराज ने मंत्रोच्चारण के साथ प्रारम्भ किया। यज्ञ में प्रथम आहुति आचार्य माई महाराज ने डाली। पहले के दिन के यजमान अखंड भारत मंदिर निर्माण समिति के संयोजक ईश्वर धामू, भिवानी हलचल के मालिक प्रदीप चौहान और मुकेश वत्स थे।
इस मौके पर आचार्य माई महाराज ने कहा कि महामारी के इस विकट समय में यज्ञ का अध्यात्मिक और वैज्ञानिक महत्व है। हर हिन्दू धर्म ग्रंथों में बताया गया है कि जब भी पृथ्वी पर कोई संकट आया है तो ऋषि-मुनियों ने यज्ञ करके देवताओं का आह्वान किया था। ऋषि-मुनियों के आह्वान पर देवता प्रकट हुए और संकट को दूर किया। दूसरी ओर यज्ञ से वातावरण में शुद्धता आती है और वायु में ऑक्सीजन का स्तर बढ़ता है। उन्होंने आह्वान किया कि इस कोरोना के विकट काल में हर व्यक्ति को अपने-अपने घरों में हवन करना चाहिए, ताकि पूरे वातावरण में शुद्धता आए।