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लाड चाव माटी मै मिलग्ये, ईब के पुचकारै सै ..रागनी सुन भर आई आंखें

जागरण संवाददाता, चरखी दादरी : लक्ष्मी रूप बीर का हो सै, घर भरवाणा चाहिए, याहे कसर सै

By JagranEdited By: Published: Thu, 10 Jan 2019 10:53 PM (IST)Updated: Thu, 10 Jan 2019 10:53 PM (IST)
लाड चाव माटी मै मिलग्ये, ईब के पुचकारै सै ..रागनी सुन भर आई आंखें
लाड चाव माटी मै मिलग्ये, ईब के पुचकारै सै ..रागनी सुन भर आई आंखें

जागरण संवाददाता, चरखी दादरी :

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लक्ष्मी रूप बीर का हो सै, घर भरवाणा चाहिए, याहे कसर सै फूल ¨सह का ब्याह करवाना चाहिए .. हरियाणवीं किस्सा फूल ¨सह नौटंकी की यह रागनी सुनकर श्रोता मंत्रमुग्ध हो गए। इस किस्से का मंचन गांव कमोद बस स्टाप के समीप लावारिस गोवंश चिकित्सालय प्रांगण में आयोजित सांग उत्सव के तीसरे दिन बृहस्पतिवार को किया गया। सांगी राजेश थुरानियां व उनकी पार्टी के कलाकारों ने मधुर रागिनियां प्रस्तुत करने के साथ ही लोगों को गो सेवा का संदेश दिया। किस्सा वृतांत के अनुसार श्यालकोट में राजा गजे ¨सह राज करते थे। उनके दो बेटे भूप ¨सह व फूल ¨सह थे। भूप सिंह शादीशुदा व फूल ¨सह अविवाहित था। उसी नगर में सेठ कुंदनमल की सेठानी रानी को कहती है कि अपने देवर का ब्याह करवादे। सेठानी की सीख मानकर रानी शिकार खेलकर वापिस लौटे फूल ¨सह को पानी पिलाने से मना करते हुए नौटंकी ब्याह कर लाने के लिए कहती है। अपनी भाभी के ताने सुनकर दरबारों में बड़े भाई भूप ¨सह से शिकायत करता है और कहता है लाड चाव माटी मै मिलग्ये, इब के पुचकारै सै, भूप ¨सह भाई तेरी बहु मन्नै तानां तैं सारैं सै। यह सुनकर भूप ¨सह गुस्सा हो जाता है। घर आकर रानी से बात की तो वह आग बबूला हो जाती है। आखिर फूल ¨सह नौटंकी से शादी करने के लिए मुलतान शहर चल देता है। यहां बाग में मालिन से ठहरने की इजाजत मांगता है। यहां मौके की रागिनी भीड़ पड़ी मैं आग्या मतलब आठण की सोचूं सूं, तेरे झूठे वादे प्यार मुलाहजे नाटण की सोचूं सूं सांगी ने प्रस्तुत की। सांग के इस दौर में मालिन बाग जनाना होने की दुहाई देते हुए इंकार करती है। फूल ¨सह मोहर, अशर्फी का लालच देकर ठहर जाता हैं और सुंदर हार बनाता है। जिसे लेकर मालिन हर रोज की तरह नौटंकी राजकुमारी के महलों में पहनाने के लिए जाती है। हार देखकर नौटंकी प्रसन्न होती है और किसने बनाया ये सवाल करती है। मालिन ने कहा कि मेरे भांजे की बहू ने बनाया है। नौटंकी अगले दिन उसे राजमहल में साथ लाने का आदेश देती है। अब फूल ¨सह जनाना भेष धारण कर नौटंकी के पास पहुंचता है। नौटंकी उसकी असलियत जान लेती है। आखिरकार राजा कर्ण ¨सह अपनी बेटी नौटंकी का ब्याह फूल ¨सह के साथ करते हैं और आधा राजपाट सौंपते हैं।

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अतिथियों का किया सम्मान

सांग उत्सव के दौरान जय बाबा न्यारमदास सोशल वेलफेयर सोसायटी ने बतौर मुख्यातिथि पहुंचे मा. जसबीर सांतौर, भठु सांतौर, संजय सांतौर सहित अन्य सभी अतिथियों को स्मृति चिह्न भेंट कर सम्मान किया। इस अवसर पर प्रधान मंजीत दलाल, रामेश्वर दयाल रंगा, खुदीराम दलाल, डा. अजय श्योराण, डा. दिनेश दलाल, पं. रामौतार सांतौर, हरिप्रकाश, पप्पू चरखी, जितेन्द्र, दिनेश शर्मा, हुकम शर्मा, कुलदीप फौगाट, जयभगवान, प्रेम भंडारी, अमरजीत मोड़ी, अनूप चौहान आदि मौजूद थे।


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