वरुण गांधी बोले- सांसद अपना वेतन बढ़वाने की बजाए देश के विकास में दे योगदान
वरुण गांधी ने कहा कि देश के सांसदाें को बार-बार अपना वेतन और भत्ता बढ़वाने की जगह देश के विकास में योगदान देना चाहिए।
जेएनएन, भिवानी। उत्तरप्रदेश के सुल्तानपुर से सांसद व भाजपा नेता वरुण गांधी ने कहा कि देश के सांसदाें को बार-बार अपना वेतन और भत्ता बढ़वाने की जगह देश के विकास में योगदान देना चाहिए। उन्होंने लोकसभा, विधानसभाओं व अन्य सदनों में सांसदों व विधायकों के लिए व्हिप सिस्टम पर भी सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि इसे खत्म कर दिया जाए ताे देश का भला होगा।
सदन में व्हिप सिस्टम पर सवाल उठाया, कहा- यह खत्म हो तो देश के लिए बहुत अच्छा होगा
वह यहां आदर्श महिला कालेज में आयोजित समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने देश में असमानता को अन्याय बताते हुए नई राजनीति का आगाज करने का आह्वान किया। उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि आज देश में सांसदों का हाथ उठाते से ही उनका वेतन बढ़ जाता है। ऐसी क्या जरूरत पड़ती है कि सांसदों का वेतन बार-बार बढ़ाया जाए। जबकि देखा यह जाना चाहिए कि सांसद की कार्यशैली कैसी है।
उन्होंने कहा वकील, पत्रकार और विभिन्न विभागों के कर्मचारियों के वेतन उनके कार्य देखकर बढ़ाए जाते हैं तो इसे सांसदों पर भी क्यों नहीं लागू किया जाता। उन्होंने कहा कि सुदृढ़ सांसद व विधायक स्वत: अपनी तनख्वाह के लिए मना करें तो देश के 400 करोड़ रुपये बच जाएंगे।
वरुण गांधी का स्वागत करती एक छात्रा।
उन्होंने व्हिप सिस्टम पर भी सवाल उठाए। उन्होंने सांसदों को समझाने की प्रक्रिया हो कि कानून क्या है, लेकिन प्रक्रिया है कि एक आदमी गैलरी से आता है और कहता है कि हरा बटन दबाओ। क्या इससे देश का भला होगा। मैं चाहता हूं कि व्हिप सिस्टम ही खत्म होना चाहिए। यदि कोई सांसद अपनी मर्जी से वोट कर दे तो उसकी सदस्यता समाप्त। यह गलत है। हमें सांसद की सोच का कैसे पता चलेगा। अब समय आ गया है कि ऊंची राजनीति व नागरिकता का समय आ गया है।
84 फीसद आइएएस अधिकारी देश के 15 बड़े शहरों में पढ़े लिखे
वरुण गांधी ने बताया कि उन्होंने पिछले दिनों एक आरटीआइ आइएएस अधिकारियों पर लगाई। पता चला कि 84 फीसद ऑफिसर ने देश के सबसे बड़े 15 शहरों में पालन पोषण व पढ़ाई की। 71 फीसद प्राइवेट स्कूल में पढ़े हैं। 21 फीसद कान्वेंट स्कूल में पढ़े हैं। देश के साढ़े 15 लाख स्कूलों में से सीबीएसई व आइसीएससी बोर्ड के 1.2 फीसद हैं। उन्होंने कहा कि आइआइटी और आइआइएम की बात करें तो आइआइएम में सीबीएसई व आइसीएससी बोर्ड से पढऩे वाले छात्र 79 फीसद हैं, जबकि आइआइएम में 89 फीसद छात्र हैं। इसका मतलब आप एक फीसद में हैं तो आप पढ़ सकेंगे नहीं तो आप दरवाजे से बाहर रहेंगे, यह बहुत ही घातक है।