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खुले में शौच करने वालों में 95 फीसद कमी आई तो हैजा-डायरिया के 60 फीसद रोगी घटे

सुरेश मेहरा, भिवानी: खुले में शौच मुक्त समाज बनाने की तरफ जैसे जैसे कदम बढ़ रहे हैं बीमा

By JagranEdited By: Published: Tue, 18 Sep 2018 07:11 PM (IST)Updated: Tue, 18 Sep 2018 07:11 PM (IST)
खुले में शौच करने वालों में 95 फीसद कमी आई तो हैजा-डायरिया के 60 फीसद रोगी घटे
खुले में शौच करने वालों में 95 फीसद कमी आई तो हैजा-डायरिया के 60 फीसद रोगी घटे

सुरेश मेहरा, भिवानी: खुले में शौच मुक्त समाज बनाने की तरफ जैसे जैसे कदम बढ़ रहे हैं बीमारियों का प्रकोप भी घटा है। पिछले साल ग्रामीण भिवानी खुले में शौच मुक्त रैंकिंग में देश भर में पहले पायदान पर रहा था। इसका असर अब दिखने लगा है। पिछले साल से पहले जहां उल्टी दस्त, हैजा, डायरिया आदि मौसमी बीमारियों का प्रकोप रहता था। इस बार इनमें 60 फीसद तक कमी आई है। दूसरे दौर के स्वच्छता सर्वे का परिणाम भी दो अक्टूबर से पहले आना है। इस बार भी भिवानी पिछले साल की तर्ज पर पहले पायदान पर आने की उम्मीद की जा रही है।

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स्वच्छता की पहल के सार्थक परिणाम आने लगे हैं। स्वच्छता दर्पण 2017 में भिवानी रैंकिंग में पहले पायदान रहा था। इस उपलब्धि पर 2 अक्टूबर को दिल्ली विज्ञान भवन में पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय ने जिला को सम्मानित भी किया था। अब स्वच्छ सर्वेक्षण ग्रामीण 2018 का सर्वेक्षण कार्य पूरा हो चुका है। ऐसे में यह उम्मीद की जा रही है कि लोगों का स्वास्थ्य और ज्यादा बेहतर होगा। -- आंकड़ों की नजर में ये हैं जिले के हालात

* वर्ष 2014 से मार्च 2017 तक भिवानी में बनाए 41 हजार 774 शौचालय * वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार जिला के गांवों में घर 1 लाख 55 हजार 602 * मार्च 2018 तक जिला में गांवों में बसने वाले घर 2 लाख 30 हजार से ज्यादा

* भिवानी जिला में फिलहाल ग्रामीण क्षेत्र की आबादी 9 लाख से ज्यादा --65 से 70 फीसदी तक उल्टी दस्त जैसी बीमारियों में आई कमी स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों पर गौर करें तो एक साल पहले जब भिवानी जिला खुले में शौच मुक्त नहीं था तो उल्टी दस्त, हैजा डायरिया जैसी मौसमी बीमारियों का प्रकोप बहुत ज्यादा था। यह हाल सबसे ज्यादा ग्रामीण क्षेत्र में बना था। जब से ग्रामीण क्षेत्र खुले में शौच मुक्त हुआ तो इन बीमारियों में भी 60 से 70 फीसदी तक कमी आई है। इससे सुखद माना जा रहा है। चौ. बंसीलाल नागरिक अस्पताल के विशेषज्ञों की मानें तो पिछले साल तक हर रोज 8 से 10 उल्टी दस्त आदि के मरीज ऐसे होते थे जिनको भर्ती करना पड़ता था। जब से ग्रामीण क्षेत्र खुले में शौच मुक्त हुआ है इनकी संख्या घट कर एक दो ही रह गई है।

--उनका गांव पूरी से खुले में शौच मुक्त जब से बना है। ग्रामीणों विशेष कर महिलाओं के स्वास्थ्य में सुधार हो रहा है। जो कोई एकआध बड़े बुजुर्ग खुले में शौच जाते थे अब वे भी समझने लगे हैं। इसके प्रति जागरूकता भी लगातार चलाई जा रही है।

सुमन देवी, सरपंच

गांव ढाणी माहू --हमारे गांव खुले में शौच मुक्त होंगे तो हमारा समाज स्वस्थ होगा। इसलिए आइये हम सब मिल कर यह संकल्प लें कि हम खुले में शौच नहीं जाएंगे और खुद के अलावा समाज को बीमारियों से मुक्त बनाएंगे।

निर्मला देवी, सरपंच , गांव मिताथल --उल्टी दस्त, डायरिया जैसी मौसमी बीमारियों पिछले सालों की अपेक्षा कमी आई है। लोगों में खुले में शौच नहीं जाने को लेकर जागरूकता बढ़ी है। इसका बहुत ज्यादा असर माना जा रहा है। खुले में शौच से बीमारियां बढ़ती थी अब उन पर कंट्रोल हुआ है।

डा. रघबीर शांडिल्य

चौ. बंसीलाल नागरिक अस्पताल --ग्रामीण क्षेत्र को खुले में शौच मुक्त बनाने के लिए जो मुहिम चलाई गई उसके सार्थक परिणाम मिलने लगे हैं। मौसमी बीमारियां घट रही हैं। खुले में शौच जाने से समाज में बीमारियां बढ़ रही थी अब उन पर कंट्रोल हुआ है। लोगों में भी अब जागरूकता आई है। हालांकि प्रारंभिक दौर में काफी दिक्कतें आई थी। अब लोग खुद आगे आने लगे हैं।

सतीश कुमार, डीपीएम

भिवानी। --सुरेश मेहरा--


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