बंद सीसीआइ सीमेंट प्लांट की 250 एकड़ भूमि पर औद्योगिक इकाइयां शुरू होने के बढ़े आसार
एक समय में दादरी की शान कहलाने वाला सीमेंट कारपोरेशन आफ
जागरण संवाददाता, चरखी दादरी : एक समय में दादरी की शान कहलाने वाला सीमेंट कारपोरेशन आफ इंडिया, सीसीआइ का सीमेंट कारखाना वर्तमान में अपना अस्तित्व खो चुका है। पिछले करीब ढाई दशक से कारखाना बंद होने के कारण सीसीआइ की करीब 250 एकड़ जमीन को दोबारा से उपयोग में लाने के लिए कोई योजना नहीं बन सकी है।
दिसंबर 2019 में मुख्यमंत्री मनोहर लाल द्वारा सार्वजनिक उपक्रम की बंद पड़ी केंद्रीय इकाइयों को राज्य सरकार को बेचने संबंधित प्रस्ताव केंद्रीय आम बजट में लाने का सुझाव दिया गया था। हालांकि वर्ष 2020 में पेश किए गए बजट में इस संबंध में कोई प्रावधान नहीं किया गया था। लेकिन यदि केंद्र सरकार द्वारा सीसीआइ की जमीन राज्य सरकार को बेच दी जाती है तो यहां पर जिलास्तरीय विभिन्न परियोजनाएं या फिर औद्योगिक इकाई भी स्थापित की जा सकती है। इसी मामले में गत वर्ष दादरी के तत्कालीन जिला उपायुक्त शिवप्रसाद शर्मा ने भी पहल की थी। ऐसे में उम्मीद लगाई जा रही है कि वर्ष 2021 में सीसीआइ की जमीन राज्य सरकार को हस्तांतरित करने की तरफ कदम बढ़ाए जा सकते हैं। जिसके बाद इस जमीन को दोबारा से उपयोग में लाया जा सकेगा।
क्षेत्र के लोगों द्वारा भी पिछले काफी वर्षों से यहां पर कोई बड़ी औद्योगिक इकाई स्थापित करने की मांग की जा रही है। जिससे लोगों को रोजगार मिलने के साथ ही क्षेत्र के विकास में भी योगदान मिल सके। सन 1938 में शुरू हुआ था कारखाना
देश की आजादी से पहले सन 1938 में डालमिया परिवार व जींद रियासत के शासक महाराजा रणवीर सिंह के प्रयासों से दादरी में सीमेंट कारखाना स्थापित हुआ था। उस समय ब्रिटिश काल में भारत में सीमेंट के एक दर्जन से भी कम प्लांट होते थे। दादरी में उत्तर भारत का सबसे बड़ा सीमेंट प्लांट था। जिसे जर्मनी की एक सीमेंट कंपनी के सहयोग से स्थापित किया गया। सन 1938 में स्थापित कारखाने में वर्ष 1958 तक 250 सीमेंट का उत्पादन होता था। जो बाद में बढ़कर 750 टन प्रतिदिन हो गया था। इस जमीन पर प्लांट लगाने के अतिरिक्त कई कार्यालयों तथा भवनों का निर्माण करवाया गया था। सीसीआइ परिसर में 30 कोठियां तथा 280 आवासीय भवन बनाए गए थे। 1981 में केंद्र सरकार ने किया था अधिग्रहण
डालमिया प्रबंधन के श्रमिक विरोधी रवैये के चलते सन 1980 में सीमेंट कारखाने पर संकट के बादल मंडराने लगे थे। मार्च 1980 में फैक्ट्री संस्थापक डालमिया परिवार ने फैक्ट्री की तालाबंदी कर दी। हजारों कर्मचारी सड़क पर आ गए थे। फैक्ट्री की तालाबंदी के बाद श्रमिक संगठन इंटक के तत्कालीन यूनिट प्रधान भीमसैन प्रभाकर के नेतृत्व में आंदोलन चलाया गया। लगातार धरना-प्रदर्शन के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने हस्तक्षेप किया तथा केंद्र सरकार ने 23 जून 1981 को अधिसूचना जारी कर इस यूनिट को सीमेंट कारपोरेशन आफ इंडिया का उपक्रम बना दिया। लेकिन उसके बाद लगातार हो रहे घाटे के चलते वर्ष 1996 में इस कारखाने में उत्पादन कार्य बंद कर दिया गया था। लग सकती हैं औद्योगिक इकाई
मुख्यमंत्री मनोहर लाल द्वारा 18 सितंबर 2016 को दादरी को जिला बनाने की घोषणा की गई थी। दादरी जिला बनने के कुछ समय बाद सीसीआइ परिसर में अस्थाई पुलिस लाइन बनाई गई है। लेकिन लोगों द्वारा उम्मीद लगाई जा रही है कि दादरी में बंद पड़े सीसीआइ कारखाने की करीब 250 एकड़ जमीन पर औद्योगिक इकाईयां शुरू करवाकर इसे दोबारा से उपयोग में लाया जाएगा। हालांकि कुछ समय पहले तक यहां जिला स्तरीय लघु सचिवालय व न्यायिक परिसर बनाने की मांग भी की जा रही थी। लेकिन उसके लिए कनीना रोड पर जगह का चयन हो चुका है। ऐसे में अब यहां पर औद्योगिक इकाईयां या फिर सरकार की अन्य परियोजनाएं शुरू की जा सकती है।