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वैज्ञानिक तरीकों को अपनाकर किसान बढ़ा सकते हैं आय

महंगाई के इस दौर में खेती करना बहुत महंगा हो गया है। क्योंकि खेती म

By JagranEdited By: Published: Tue, 15 Jan 2019 11:52 AM (IST)Updated: Tue, 15 Jan 2019 11:52 AM (IST)
वैज्ञानिक तरीकों को अपनाकर किसान बढ़ा सकते हैं आय
वैज्ञानिक तरीकों को अपनाकर किसान बढ़ा सकते हैं आय

दीपक शर्मा, भिवानी : महंगाई के इस दौर में खेती करना बहुत महंगा हो गया है। क्योंकि खेती में प्रयोग होने वाले कृषि यंत्र, खाद, बीज व दवाईयों पर अधिक खर्च करना पड़ता है। किसान वैज्ञानिक तरीकों को अपनाकर अपनी आय को बढ़ा सकता है। इससे किसान खेती पर लगने वाले खर्च को कम कर सकेंगे और मुनाफा भी बढ़ेगा। ऐसे में किसानों को सावधानी बरतने की आवश्यकता है।

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किसानों को सबसे पहले मिट्टी व पानी की जांच करवानी चाहिए। ताकि यह पता चल सके की खेत में किन सूक्ष्म तत्वों की कमी है। उसी हिसाब से संतुलित व सिफारिश की गई खाद व दवाइयों की मात्रा डाली जा सके। इससे फिजूल खर्च बचेगा। किसानों को सही समय पर फसल की बिजाई करनी चाहिए। देरी से बिजाई करने पर बीज व खाद की मात्रा अधिक डालनी पड़ती है। पैदावार भी कम रहती है। यदि किसी कारण से बिजाई लेट हो तो पछेती किस्मों का प्रयोग करें। साथ ही प्रमाणित बीजों का भी प्रयोग करना चाहिए। प्रमाणित बीजों का प्रयोग करने पर बीमारियां कम लगने की संभावना रहती है। साथ ही पैदावार अधिक होती है।

अच्छी पैदावार के लिए पौधों की संख्या भी अहम होती है। खेत में पौधों की बहुत अधिक या बहुत कम संख्या भी पैदावार को भी घटा देती हैं। किसान वैज्ञानिक विधि से बिजाई, खाद व बीज की उचित मात्रा डालें। आधुनिक कृषि यंत्रों से उचित गहराई में बीज डालें। इससे पैदावार अधिक ली जा सकती है। अधिक लाभ कमाने के लिए किसान खेत में एक समय में एक से अधिक फसल लगा सकते हैं। मिश्रित खेती से पैदावार भी बढ़ेगी। किसान जैसे अरहर के साथ मूंग की बिजाई कर सकते हैं। इनको इकट्ठा बोने से स्थान, प्रकाश, पानी व आवश्यक तत्वों की पूर्ति ठीक से हो जाती है। यदि एक फसल कमजोर हो तो दूसरी फसल से भरपाई की जा सके।

अच्छी पैदावार के लिए फसल चक्र अपनाना भी जरूरी है। वैज्ञानिकों के अनुसार फसल चक्र में दलहनी फसलें लेने से 10-15 किलोग्राम नाइट्रोजन की मात्रा भी बढ़ जाती है। इससे अगली फसल में 10-15 किलोग्राम नाइट्रोजन खाद की मात्रा की पूर्ति हो जाती है। जमीन में कीट कम लगते है व जमीन की उपजाऊ शक्ति भी बढ़ जाती है। किसानों को गोबर गैस प्लांट भी लगाना चाहिए। गोबर गैस प्लांट से खाना बनाने के लिए ईंधन की समस्या भी खत्म हो जाएगी। साथ ही गैस बनने के बाद बचा गोबर खेती में खाद के रूप में भी प्रयोग किया जा सकता है। हरी खाद का करें प्रयोग

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खेती में हरी खाद का भी प्रयोग करें। किसान रबी फसल गेहूं की कटाई के बाद अप्रैल माह के आखिरी सप्ताह में 10-15 किलोग्राम ढैंचा हरी खाद के तौर पर प्रति एकड़ के हिसार से बिजाई कर सकते हैं। 40-50 दिन में जून माह में उसकी जुताई करके 7 दिन बाद धान की पौध व कपास की बिजाई कर सकते हैं। इससे खरपतवार कम पैदा होगी और भूमि की उपजाऊ शक्ति बढ़ने के साथ ही फसल में एक तिहाई खाद भी कम डालने की जरूरत होगी। साथ ही विशेषज्ञों की सिफारिश के अनुसार कब और कितनी खाद किस विधि से डालनी चाहिए इसका भी ध्यान रखें। देशी व जैविक खाद का करें प्रयोग किसानों पैदावार बढ़ाने के लिए देशी व जैविक खादों का प्रयोग करें। इससे जमीन की उपजाऊ शक्ति बढ़ती है। हालांकि अधिकतर किसान पशुपालन करते हैं, लेकिन उनके गोबर का उचित इस्तेमाल नहीं करते। पशुओं के गोबर को अच्छे से सड़ाकर खेत में प्रयोग करें तो नाइट्रोजन, फासफोरस व पोटाश की मात्रा की पूर्ति की जा सकती है। इससे भूमि को भी सुधारा जा सकता है। विशेषज्ञों के अनुसार गोबर की खाद में 0.5 प्रतिशत नाइट्रोजन, 0.5 प्रतिशत फासफोरस व 0.5 प्रतिशत पोटाश की मात्रा होती है। गोबर की खाद तैयार करने के लिए फसलों के अवशेष व कूड़ा-कर्कट से 100-120 दिन में अच्छी खाद तैयार की जा सकती है। इसके प्रयोग से रासायनिक खादों पर खर्च कम किया जा सकता है। सही समय पर सही विधि से ¨सचाई

अत्यधिक ¨सचाई से भूमि का जल स्तर काफी नीचे चला गया है। इसलिए किसानों को टपका ¨सचाई, ड्रिप व फव्वारा ¨सचाई विधि का प्रयोग करना चाहिए। इससे पानी की कम खपत होगी। सही समय पर कितने पानी की आवश्यकता है, इसे भी ध्यान में रखना चाहिए। इससे कम लागत पर अधिक पैदावार लेकर मुनाफा कमाया जा सकता है। वैज्ञानिक विधि अपनाकर करे कम लागत किसान वैज्ञानिक विधियों को अपनाकर खेती पर लगने वाले खर्चे को कम कर सकते हैं और पैदावार बढ़ा सकते हैं। किसान समय-समय पर विशेषज्ञों की कृषि संबंधित सलाह भी लेते रहें। इससे किसानों का मुनाफा भी बढ़ेगा।

डा. गुलाब ¨सह, जिला विस्तार विशेषज्ञ (कृषि अर्थशास्त्र)

कृषि विज्ञान केंद्र,भिवानी।

किसान अपने बाग लगाते व सब्जी की बिजाई करते समय सावधानी बरतें। आवश्यकता अनुसार ही खाद, दवाई व ¨सचाई दें। वहीं इनमें देशी व जैविक खाद का भी अधिक प्रयोग करें। इससे किसान कम खर्च में भी अच्छी पैदावार ले सकते हैं।

डा. मुरारीलाल, जिला विस्तार विशेषज्ञ (बागवानी)

कृषि विज्ञान केंद्र,भिवानी।


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