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सुखी जीवन के लिए सत्संग में बिताए कुल पल

जागरण संवाददाता,भिवानी : आम व्यक्ति का सत्संग के माहौल में पहुंचना बहुत कठिन होता है, लेकिन जिसने कुछ पल के सुख को त्यागकर सत्संग के माहौल को अपना लिया तो समझो की उसके जीवन में सुख ही सुख है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 15 Jan 2018 03:01 AM (IST)Updated: Mon, 15 Jan 2018 03:01 AM (IST)
सुखी जीवन के लिए सत्संग में बिताए कुल पल
सुखी जीवन के लिए सत्संग में बिताए कुल पल

जागरण संवाददाता,भिवानी : आम व्यक्ति का सत्संग के माहौल में पहुंचना बहुत कठिन होता है, लेकिन जिसने कुछ पल के सुख को त्यागकर सत्संग के माहौल को अपना लिया तो समझो की उसके जीवन में सुख ही सुख है। ये विचार शिक्षाविद व सीबीएलयू के पूर्व डीन डा. सतीश आर्य ने परमहंस तपोभूमि योगाश्रम धाम में गायत्री महायज्ञ व सत्संग के समापन अवसर पर बतौर मुख्य वक्ता भगतों को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। इस अवसर पर कार्यक्रम में सानिध्य महाराज कृष्णानंद सरस्वती का रहा। डा. सतीश आर्य ने कहा कि हम सब ये मानते हैं कि सभी के अंदर नारायण विराजमान हैं। जब सभी के अंदर नारायण है तो छोटे व बड़े का भेदभाव अपने आप ही खत्म हो जाता है। हमने अपने बुजुर्गो से भी यही सीखा है। इस अवसर पर मंच का संचालन हंसराज गुलाटी ने किया। कार्यक्रम में महाराज कृष्णानंद सरस्वती के सानिध्य में बच्चों द्वारा बुजुर्गो को टोपी व गर्म वस्त्र भेंट की गई। कार्यक्रम में देवांस अरोड़ा ने सुख के रहस्य पर कविता का वाचन किया। इस अवसर पर महाराज कृष्णानंद सरस्वती ने कहा कि सुख ढुंढना है तो भूख में ढुंढो, संतोष में ढुंढो।

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