जिले में धान की जगह बागवानी व सब्जी उत्पादन करने पर किसानों को मिलेगा अनुदान का लाभ
सरकार द्वारा मेरा पानी मेरी विरासत योजना के तहत धान की जगह
जागरण संवाददाता, चरखी दादरी: सरकार द्वारा मेरा पानी, मेरी विरासत योजना के तहत धान की जगह बागवानी व सब्जी की खेती करने वाले किसानों को अनुदान दिया जाएगा।
जिला बागवानी अधिकारी डा. राजेश कुमार ने मंगलवार को यहां बताया कि दादरी जिले में धान की जगह हाइब्रिड सब्जी उत्पादन पर आठ हजार प्रति एकड़ तथा प्याज, गोभी, बैंगन, भिडी व बेल वाली सब्जियां तथा अमरूद व स्ट्रिस की खेती करने वाले किसान को योजना के तहत सात हजार रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से अनुदान दिया जाएगा। जिला बागवानी अधिकारी ने बताया कि मेरा पानी, मेरी विरासत योजना से पानी की बचत के साथ-साथ किसान को दोगुना लाभ भी होगा। सरकार का उद्देश्य है कि कम पानी में अधिक पैदावार की जाए। इसलिए किसानों को धान की खेती की जगह बागवानी के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि धान की फसल की जगह बागवानी करने वाले किसान को बागवानी विभाग द्वारा संचालित अन्य योजनाओं का भी लाभ मिलेगा। डा. राजेश ने बताया कि योजना के तहत जो किसान खरीफ 2021 के दौरान अपने पिछले वर्षों के खरीफ के समय खेतों में की गई धान की खेती की जगह बागवानी या सब्जी का उत्पादन करते हैं वे सभी किसान योजना का लाभ प्राप्त करने के पात्र होंगे।
उन्होंने बताया कि पिछले खरीफ सीजन के दौरान फसल विविधीकरण को अपनाने वाले किसान भी यदि उसी खेत में धान की बजाय बागवानी जारी रखेंगे तो उन्हें भी इस योजना का लाभ मिल सकेगा। इसके अलावा जिन किसानों ने पिछले खरीफ सीजन में अपना खेत खाली रखा है उन्हें भी इस योजना का लाभ मिलेगा। पोर्टल पर पंजीकरण करवाना जरूरी : डा. राजेश
डा. राजेश ने बताया कि योजना की प्रोत्साहन राशि प्राप्त करने के लिए किसान को मेरा पानी मेरी विरासत व मेरी फसल मेरा ब्योरा पोर्टल पर अपना पंजीकरण करना अनिवार्य है। उन्होंने बताया कि किसान द्वारा फसल विविधिकरण के अंतर्गत फसल का बीमा करवाया जाता है तो किसान के हिस्से की राशि का भुगतान सरकार द्वारा किया जाएगा। ये है जिले का लक्ष्य
जिला बागवानी अधिकारी ने बताया कि मेरा पानी मेरी विरासत योजना के तहत दादरी जिले के लिए 100 हेक्टेयर का टारगेट रखा गया है। योजना में इस वर्ष 5 हेक्टेयर में खरीफ प्याज, 20 हेक्टेयर में गोभी, 10 हेक्टेयर में बैंगन व तेल वाली फसलों के लिए 35 हेक्टेयर तथा अमरूद व स्ट्रिस के लिए 10 हेक्टेयर जमीन को शामिल किया जाएगा।