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खेत खलिहान : किसान विषय मील ने ड्रिप सिस्टम से उन्नत खेती की पेश की मिसाल

बाढ़ड़ा : युवावस्था में ही सरकारी नौकरी का मोह छोड़ कर जैविक खेती व ड्रिप ि

By JagranEdited By: Published: Mon, 11 Feb 2019 11:52 PM (IST)Updated: Mon, 11 Feb 2019 11:52 PM (IST)
खेत खलिहान : किसान विषय मील ने ड्रिप सिस्टम से उन्नत खेती की पेश की मिसाल
खेत खलिहान : किसान विषय मील ने ड्रिप सिस्टम से उन्नत खेती की पेश की मिसाल

पवन शर्मा, बाढ़ड़ा : युवावस्था में ही सरकारी नौकरी का मोह छोड़ कर जैविक खेती व ड्रिप सिस्टम अपना कर अपना और अब प्रदेश के हजारों किसानों का भविष्य संवारने में जुटे किसान विषय मील आज किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। दूसरों को कृषि संबंधी जानकारियां देने वाले गांव काकड़ौली हट्ठी के युवा किसान विषय मील प्रेरणास्त्रोत बने हैं। खेती को घाटे का सौदा कहने वाले लोगों को अपनी मेहनत व दूरदर्शिता से अच्छे मुनाफे का धंधा बनाने वाले यह किसान अपने खेत में ड्रिप सिस्टम से काम करता है। इसके साथ ही गांव-गांव जाकर ड्रिप सिस्टम से पानी बचाने के अलावा भूमि की सेहत में सुधार करने बारे आमजन को जागरूक करते हैं। ड्रिप सिस्टम से बेमौसमी सब्जियों का उत्पादन कर यह किसान लाभ ले रहा है।

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मात्र पंद्रह हजार रुपये में ड्रिप सिस्टम की शुरुआत की थी

ग्रामीण क्षेत्र के युवा भले ही सरकारी नौकरियों के पीछे तेजी से दौड़ रहे हैं लेकिन बढ़ते काम व कृषि क्षेत्र में आधुनिकता से गांवों में भी रोजगार के अवसर कम नहीं हैं। इसी सोच को लेकर गांव काकड़ौली निवासी युवा किसान विषय मील ने दस वर्ष पूर्व अपने खेत की दशा सुधारने के लिए मात्र पंद्रह हजार रुपये में ड्रिप सिस्टम की शुरुआत की थी जो क्षेत्र के गांव-गांव तक पहुंच गई है और वार्षिक बजट 50 लाख को पार कर गया है। 12वीं कक्षा उत्तीर्ण कर युवा किसान ने सरकारी नौकरी की तरफ जाने की बजाए अपने पैतृक कार्य खेतीबाड़ी को संभाला। उन्होंने करनाल पहुंच कर ड्रिप सिस्टम को देखा और अपने यहां उसकी शुरूआत की। उन्होंने स्वयं ही बागवानी एवं कृषि विभाग से मिल कर गांव-गांव सरकार द्वारा सब्सिडी पर लागू योजनाओं का प्रचार किया। किसान विषय मील ने बताया कि इस सिस्टम को अपनाने के बाद खेतों की घटती जोत में भी फल एवं सब्जियों का उच्च उत्पादन प्राप्त किया जा रहा है। दक्षिणी हरियाणा में मौजूदा समय में भूमिगत जलस्तर तेजी से गिरावट की तरफ जा रहा है। इससे किसानों के समक्ष ¨सचाई का संकट बनता जा रहा है। उनकी अपील पर ड्रिप सिस्टम अपनाने वाले किसान अपने-अपने खेतों में किन्नू, माल्टा के अलावा कम दायरे में भी प्याज, टमाटर, आलू, मूली, गाजर, पालक का उत्पादन कर लाभ कमा रहे हैं। फायदेमंद है ड्रिप सिस्टम

बाढ़ड़ा, झोझूकलां, सतनाली, लोहारू, नारनौल क्षेत्र में ¨सचाई के लिए पर्याप्त पानी मिलना तो दूर पेयजल के भी लाले पड़े हैं। इन जगहों पर अब खेती की ओर लोगों का रूझान कम होता जा रहा है। ड्रिप सिस्टम को रेतीले व कम पानी वाले क्षेत्रों के लिए फायदेमंद माना गया है। इससे फसलों के पौधों को विशेष पाइप लाइनों द्वारा धीरे धीरे पानी छोड़ा जाता है। आधुनिक तकनीक अपनाएं किसान

कृषि उपनिदेशक कार्यालय के एडीओ व बागवानी विशेषज्ञ डा. रणबीर ¨सह मान ने कहा कि प्रदेश सरकार किसानों के जीवन में सुधार के लिए अनेक प्रयास कर रही है। इस क्षेत्र में फल सब्जियों के उत्पादन को बढ़ावा दिया जा रहा है। ड्रिप सिस्टम से किसान कम भूमि में भी बेहतर मुनाफा कमा सकते हैं। फल, सब्जियों की खेती में भी आजकल काफी लाभ मिल रहा है। सरकार द्वारा संचालित योजनाओं की पूरी जानकारी लेकर किसान कार्य करें तो खेती घाटे का सौदा नहीं है।


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