खेत खलिहान : मूंग में बढ़ा सूंडी का प्रकोप, किसान चितित
जागरण संवाददाताभिवानी इन दिनों मूंग की फसल में सूंडी का प्रकोप बढ़ रहा है। मूंग की
जागरण संवाददाता,भिवानी :
इन दिनों मूंग की फसल में सूंडी का प्रकोप बढ़ रहा है। मूंग की फसल को चट होता देख किसान चितित हैं। फसल में सूंडी की शिकायत को लेकर किसान विशेषज्ञों के पास भी पहुंच रहे हैं। सूंडी का प्रकोप बढ़ने के पीछे विशेषज्ञ अधिक आर्द्रता को कारण मान रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि किसान सावधानी बरतें तो फसलों को सूंडी के प्रकोप से बचाया जा सकता है। यह सूंडी मूंग के पत्तों के नीचे रहती है। जो मूंग के पत्तों और फलियों में दाने को खाकर फसल को नुकसान पहुंचाती है। साथ ही बाजरे में भी इसका प्रकोप देखने को मिल रहा है। बाजरे में इसे कतरा के नाम से जाना जाता है। यह बाजरा के पत्तों को काट देती है।
इस दवाई से करें उपचार
सूंडी से मूंग को बचाने के लिए 250 मिली लीटर मोनोक्रोटोफोस (मोनोसील न्यूआक्रान 36-एसएल), 200 मिली लीटर डाईक्लोसवास न्यूव्रान 76 ईसी या 500 मिली लीटर क्वीन फोस में से कोई भी एक दवाई लें। दवाई को 250 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ के हिसाब से छिड़काव कर दें।
अधिक आर्द्रता में बढ़ती है सूंडी
कृषि विशेषज्ञों के अनुसार सूंडी अधिक आर्द्रता वाले मौसम में अधिक सक्रिय होती है। साथ ही जिस जमीन में अधिक नमी होती है वहां पर भी इसके बढ़ने की संभावना अधिक रहती है।
दो प्रकार की होती हैं सूंडी
विशेषज्ञों के अनुसार सूंडी दो प्रकार की होती है। एक बिहार हैरी कैटरपिलर व दूसरी रेड हैरी होती है। रेड हैरी सूंडी का मूंग पर जुलाई से अगस्त तक अधिक प्रकोप रहता है। वहीं बिहार हैरी कैटरपिलर का अगस्त से अक्टूबर माह तक प्रकोप अधिक रहता है।
ये करें बचाव
* किसान खरीफ की फसलों की कटाई के बाद खेत की गहरी जुताई करें। इससे सूंडी प्यूपा जमीन से बाहर आ जाते हैं। पक्षी उन्हें खा लेते हैं।
* लाल बालों वाली सूंडी के प्रोड़ पर पहली बारिश के बाद लाइट ट्रैप का इस्तेमाल करें।
* खेत के आसपास खरपतवार न होने दें। खरपतवार में सूंडी अपने अंडे देती है।
* अंडों के समूह वाले पत्तों को तोड़ ले या मिट्टी का तेल डाल दें। बड़ी सूंडी को भी नष्ट कर दे।
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इन दिनों मूंग की फसल में सूंडी की शिकायत आ रही हैं। किसान चितित न हों, इसका सही विशेषज्ञों के सलाह से उपचार करें। उपचार से किसान मूंग को चट होने से बचा सकते हैं। इसके लिए किसानों को सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है।
प्रो. वेद प्रकाश लुहाच, वरिष्ठ संयोजक कृषि विज्ञान केंद्र, भिवानी।