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खेत खलिहान : बारिश के बाद किसान सरसो बिजाई की तैयारियों में जुट

क्षेत्र में इस बार खरीफ की फसल का आशानुरूप उत्पादन न होने के बाद क्षेत्र के किसान अब रबी फसल की बिजाई की तैयारियों में जुट गए हैं।

By JagranEdited By: Published: Mon, 28 Sep 2020 06:17 AM (IST)Updated: Mon, 28 Sep 2020 06:17 AM (IST)
खेत खलिहान : बारिश के बाद किसान सरसो बिजाई की तैयारियों में जुट
खेत खलिहान : बारिश के बाद किसान सरसो बिजाई की तैयारियों में जुट

संवाद सूत्र, ढिगावा मंडी : आसपास के क्षेत्र में इस बार खरीफ की फसल का आशानुरूप उत्पादन न होने के बाद क्षेत्र के किसान अब रबी फसल की बिजाई की तैयारियों में जुट गए हैं। इस बार मानसून की बारिश काफी कम होने के कारण किसानों की फसलें काफी हद तक प्रभावित हो गई तथा क्षेत्र में सूखे के हालत भी बन गए। रही सही कसर फसलों में बरसात के अभाव व मौसम में गर्मी के कारण आए रोगों ने पूरी कर दी। परिणाम यह हुआ कि क्षेत्र की फसलें मौसमी बीमारियों की मार से खराब हो गई। अनेक गांवों में तो किसानों को फसल लागत भी वसूल नहीं हो पाई।

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अब किसानों को आगामी रबी की फसल से ही उम्मीद है तथा किसान अभी से ही फसल बिजाई के लिए तैयारियों में जुट गए हैं। कृषि विभाग के अधिकारियों की माने तो मौसम की गर्मी को देखते हुए किसानों को आगामी फसल सरसों, गेहूं व चने की फसल बिजाई में अभी कम से कम एक सप्ताह या दस दिन का इंतजार करना चाहिए।। सरसों की अगेती किस्में

आरएच -30 , टी-59, आरएच -8812 (लक्ष्मी), आरएच -9304 ( वसुंधरा), आरएच -406), आरएच -749, आरएच -725 बारानी - कम पानी की किस्में :

आरबी - 9901 (गीता) तथा आरबी -50 समय पर तथा कम सिचाई वाले क्षेत्रों के लिए उत्तम बताई गई है। पछेती किस्में :

आरएच -9801 ( स्वर्ण ज्योति) विशेष किस्में :

आरएच -30 किस्म अगेती और पछेती दोनों ही परिस्थितियों में अच्छी पैदावार देती हैं। आरएच - 406 सिचित व असिचित दोनों क्षेत्रों में अच्छी पैदावार देती हैं। ये सभी किस्में चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हिसार द्वारा अनुमोदित हैं। कृषि विभाग में गुण नियंत्रण निरीक्षक अधिकारी चंद्रभान श्योराण ने बताया कि सरसों की बिजाई के लिए उत्तम समय 30 सितंबर से पूरा अक्टूबर माह उपयुक्त रहेगा। सरसों बिजाई के लिए 2 किलोग्राम बीज प्रति एकड़ पर्याप्त रहता है। बिजाई का तरीका:

सरसों बिजाई करते समय कतार से कतार 30 सेंटीमीटर का फासला रखें तथा 4 से 5 सेंटीमीटर गहराई पर बीज डालें। राया में नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश की आपूर्ति के लिए 70 किलोग्राम यूरिया, 75 किलोग्राम एसएसपी (सिगल सुपर फास्फेट) तथा 14 किलोग्राम पोटाश प्रति एकड़ की आवश्यकता होती है। जस्ता की पूर्ति के लिए 10 किलोग्राम जिक सल्फेट प्रति एकड़ अलग से डालें। अगर किन्हीं कारणवश एसएसपी (सिगल सुपर फास्फेट) उपलब्ध नहीं हो पाती है तो डीएपी 25 किलोग्राम प्रति एकड़ के साथ 4 कट्टे जिप्सम (200 किलो) प्रति एकड़ के हिसाब से डालना चाहिए जिससे सल्फर तत्व की पूर्ति हो सके क्योंकि राया/ सरसों तिलहन फसल है जिसके लिए सल्फर तत्व की बहुत आवश्यकता होती है।


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