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Kisan Andolan: अंग्रेजी हुकूमत ने भी मानी थी किसान एकता के आगे हार, सबक ले सरकार: कांग्रेस

अंग्रजी हुकूमत ने 1907 में आज की ही तरह कृषि और किसानों के लिए काले कानून बनाए थे जिन्हें देश के किसानों ने मानने से इनकार कर दिया था। उस समय संयुक्त पंजाब (पंजाब हरियाणा हिमाचल प्रदेश) के किसानों ने उन काले कानूनों के खिलाफ बिगुल बजाया था।

By Edited By: Published: Sun, 17 Jan 2021 10:11 AM (IST)Updated: Sun, 17 Jan 2021 10:11 AM (IST)
Kisan Andolan: अंग्रेजी हुकूमत ने भी मानी थी किसान एकता के आगे हार, सबक ले सरकार: कांग्रेस
देश का अन्नदाता कानूनों को रद्द करवाकर ही दम लेगा

संवाद सूत्र, भिवानी। हरियाणा प्रदेश कांग्रेस समिति की अध्यक्षा, कुमारी सैलजा के राजनैतिक सचिव व दक्षिण हरियाणा के प्रभारी राजन राव ने  कहा कि अंग्रेजी हुकूमत ने 1907 में आज की ही तरह कृषि और किसानों के लिए काले कानून बनाए थे, जिन्हें देश के किसानों ने मानने से इनकार कर दिया था। उस समय संयुक्त पंजाब (पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश) के किसानों ने उन काले कानूनों के खिलाफ बिगुल बजाया था, जिसकी अगुआई शहीद भगत सिंह के चाचा अजीत सिंह ने की थी। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार की मंशा बातचीत को लंबा खींचकर आंदोलन को खत्म कराने की है, जिसे किसान और देश की जनता समझ चुकी है।

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अगर सरकार देश के अन्नदाता की समस्या को समझती तो अभी तक कानून रद्द करने का फैसला ले लिया गया होता, लेकिन सरकार इस मुगालते में है कि आंदोलन से ऊब कर किसान अपने घरों को लौट जाएंगे। सरकार का यही भ्रम देश का अन्नदाता तोड़ने का मन बना चुका है। राव ने कहा अंग्रेजी हुकूमत के समय भी किसान आंदोलन पूरे आठ महीने तक चला था। किसानों ने कानूनों को रद्द करा कर ही दम लिया था। देश में एक बार फिर वही स्थिति बन रही है। इस बार भी देश का अन्नदाता कानूनों को रद्द करवाकर ही दम लेगा, इसके लिए चाहे आंदोलन कितना भी लंबा चले या किसानों को कोई भी कीमत चुकानी पड़े। आए दिन किसान अपनी जान गंवा रहे हैं। सरकार इससे अधिक किसानों का और क्या इम्तिहान लेगी। 

उन्होंने कहा कि अगर सरकार अपनी हठधर्मिता छोड़कर काले कानूनों को रद्द करने का निर्णय कर लें तो तत्काल किसान अपने घरों को लौटने को तैयार हैं। किसानों ने अपने रुख से सरकार को बता भी दिया है कि जब तक कानून वापिस नहीं होते, किसानों की घर वापसी भी नहीं होगी। उन्होंने कहा कि हर वार्ता बैठक के बाद अगली तारीख दे दी जा रही है। जब सरकार झुकने को तैयार ही नहीं है तो वार्ता का क्या लाभ। कानूनों को रद्द कर सरकार सारे ड्रामे पर विराम लगा सकती है। उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं है कि कांग्रेस में लोगों ने आंदोलन नहीं किए, लेकिन कांग्रेस लोगों की बात को सुनती थी और उनका समाधान करती थी। लेकिन भाजपा ना लोगों की सुनती है और न ही समस्याओं का समाधान करती है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस देश के किसानों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी है। कांग्रेस किसानों के हर संघर्ष में कदम से कदम मिलाकर साथ चलेगी। पार्टी के नेता राहुल गांधी पहले ही साफ कर चुके हैं कि पार्टी किसानों पर किसी भी तरह का अत्याचार सहन नहीं करेगी। पार्टी को इसके लिए किसी भी स्तर पर लड़ाई लड़नी पड़े।

किसान अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे और सरकार तारीख पर तारीख दे रही : सोमवीर

ढिगावा मंडी : कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व विधायक चौधरी सोमबीर ने शनिवार को ढिगावा क्षेत्र के आधा दर्जन गांवों का दौरा किया और ग्रामीणों से रूबरू होते हुए। उन्होंने कहा कि गांवों में सरकार और मंत्रियों का भारी विरोध हो रहा है। तीनों कृषि कानूनों में संशोधन नहीं, इन्हें रद किया जाए। इन कानूनों को वापस नहीं लिया गया तो केंद्र के साथ-साथ राज्य सरकार को भी इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा। अब यह स्पष्ट भी हो गया है कि इन कानूनों को कारपोरेट के कहने पर बनाया गया है। सरकार की मंशा अब भी समाधान की नहीं है। इस अवसर पर पूर्व बीईओ करण ¨सह गोठड़ा, दरिया सिंह, शक्ति सिहं, कुलदीप बाम्बल, मुंशीराम बुढेड़ी, मुख्यतार सिहं नंबरदार, दिनेश जोशी, सरपंच भगवानाराम, साविल चोपड़ा, मनोज बागड़ी आदि कार्यकर्ता उपस्थित रहे।


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