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हिदी साहित्य को आमजन तक पहुंचाने को दस वर्षों से प्रयासरत है डा. मंगलेश

हिंदी भाषा में साहित्य लेखन को बढ़ावा देने इस भाषा से जुड़े नवोदित

By JagranEdited By: Published: Sun, 10 Jan 2021 08:09 AM (IST)Updated: Sun, 10 Jan 2021 08:09 AM (IST)
हिदी साहित्य को आमजन तक पहुंचाने को दस वर्षों से प्रयासरत है डा. मंगलेश
हिदी साहित्य को आमजन तक पहुंचाने को दस वर्षों से प्रयासरत है डा. मंगलेश

सुरेश गर्ग, चरखी दादरी : हिंदी भाषा में साहित्य लेखन को बढ़ावा देने, इस भाषा से जुड़े नवोदित लेखकों, कवियों को प्रोत्साहित करने के लिए पिछले 10 वर्षो से निरंतर प्रयासरत हैं दादरी निवासी, निर्मला स्मृति साहित्यिक समिति के अध्यक्ष डा. अशोक कुमार मंगलेश। इसी मुहिम में उनके योगदान को देखते हुए अखिल भारतीय साहित्य परिषद ने उन्हें अपनी जिला चरखी दादरी शाखा का अध्यक्ष मनोनीत किया है।

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डा. मंगलेश स्वयं एक स्थापित हिदी साहित्य आलोचक के साथ-साथ श्रेष्ठ कवि भी है। अभी तक उनकी हिदी साहित्य व अनुवाद से संबंधित दो दर्जन पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी है। केन्द्रीय हिदी निदेशालय, नई दिल्ली ने डा. अशोक कुमार मंगलेश की पुस्तक प्रयोजनमूलक हिन्दी अनुप्रयोग और अनुवाद को पिछले दिनों प्रकाशन के लिए स्वीकृति दी है। डा. मंगलेश दादरी जिला स्तर पर हिदी साहित्यकारों, लेखकों, कवियों को प्रोत्साहित, सम्मानित करने तथा मंच प्रदान करने के लिए हर वर्ष राष्ट्रीय स्तर का आयोजन भी करवाते रहे हैं। इसके अतिरिक्त वे वर्ष भर लघु विचार गोष्ठियों, कवि सम्मेलनों, कार्यशालाओं, संगोष्ठियों इत्यादि का आयोजन करवाते रहे हैं।

दादरी में हिन्दी साहित्य, लेखन, भाषा के प्रचार प्रसार, इसकी विशिष्टता को पुर्नस्थापित करने, आमजन में हिन्दी को लोकप्रिय बनाने में उनका योगदान उल्लेखनीय माना जा सकता है। दैनिक जागरण के साथ बातचीत में डा. मंगलेश ने कहा कि उनका मानना है कि संसार की सबसे अधिक वैज्ञानिक भाषा हिन्दी है। जिसमें आमजन को जोड़ने, समाज की संकीर्णताओं को मिटाने की क्षमता है। हिदी वर्तमान में वसुधैव कुटुम्बकम की संकल्पना को पूर्ण कर आगे निकल चुकी है। अब वह दिन दूर नहीं जब यह संयुक्त राष्ट्र संघ में स्थापित हो, भारतवर्ष के मान-सम्मान को और अधिक गौरव प्रदान करेगी। हम भारतवासियों ने शायद ही यह कभी सोचा होगा कि एक दिन हमारी राजभाषा, राष्ट्रभाषा की सीढ़ी को लांघकर सीधी विश्व भाषा के रूप में कीर्तिमान प्राप्त कर समस्त राष्ट्रों को अपनी और आकर्षित कर शोभायमान होगी। आज हिदी, हिन्दू, हिन्दुस्तान ने हमें विश्व फलक पर नई पहचान दें, भारतीय संस्कृति को संस्थापित कर दिया है। ये पुस्तकें हुई प्रकाशित

दादरी निवासी डा. अशोक कुमार मंगलेश की हिदी साहित्य से जुड़ी अब तक प्रकाशित मुख्य पुस्तकों में निर्मला, अनुभूति, मोहन राकेश का नाट्य साहित्य, तात्विक विमर्श, शैक्षिक साहित्य के मसीहा डा. मधुकांत, हरियाणा शिखर महिलाए, हरियाणवी बोध और काव्य ²ष्टि, सृजन और समीक्षा, मधुकांत की शैक्षिक कहानियों में कथ्य और शिल्प, मधुकांत के शैक्षिक नाटकों में रंगमंच और रंगशिल्प, सृष्टि और ²ष्टि, प्रयोजनमूलक हिन्दी: अनुप्रयोग और अनुवाद, विदेशी कहानियों के हिन्दी अनुवाद, जय रक्तवीर, समझा दो मुझे, मैं क्या कहूं.? इत्यादि शामिल हैं। पिछले दिनों केन्द्रीय हिदी निदेशालय नई दिल्ली ने डा. मंगलेश की पुस्तक प्रयोजनमूलक हिन्दी: अनुप्रयोग, और अनुवाद को प्रकाशन करने की स्वीकृति प्रदान की है। निर्मला स्मृति साहित्यिक समिति का किया गठन

हिदी भाषा, साहित्य लेखन, कला, संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए डा. अशोक कुमार मंगलेश ने सन् 2015 में निर्मला स्मृति साहित्यिक समिति का गठन किया था। समिति के तत्वावधान में अभी तक राष्ट्रीय स्तर के पांच साहित्यकार सम्मान समारोह आयोजित किए जा चुके हैं। इनमें राष्ट्रीय, प्रदेश स्तर के साथ साथ स्थानीय स्तर के हिन्दी भाषा से जुडे लेखकों, साहित्यकारों, कवियों, अनुवादकों, समालोचकों इत्यादि को सम्मानित करने के साथ-साथ उन्हें अवार्ड भी दिए जाते रहें हैं।


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