शिक्षा निदेशालय को नहीं मालूम कि प्रदेश में कितने हैं निजी स्कूल!
जागरण संवाददाता, भिवानी : हरियाणा स्कूली शिक्षा निदेशालय का एक नया कारनामा उजागर हुआ हैं। स्वास्थ्य
जागरण संवाददाता, भिवानी : हरियाणा स्कूली शिक्षा निदेशालय का एक नया कारनामा उजागर हुआ हैं। स्वास्थ्य शिक्षा सहयोग संगठन के प्रदेश अध्यक्ष बृजपाल परमार ने 6 फरवरी 2018 को एक आरटीआइ निदेशक सेकेंडरी शिक्षा विभाग में लगाई थी, जिसमें शिक्षा निदेशालय से पूछा गया था कि प्रदेश भर में कितने निजी स्कूल केंद्रीय माध्यमिक विद्यालय बोर्ड, हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड या फिर अन्य बोर्डों से संबंधित स्थायी या अस्थायी मान्यता प्राप्त हैं। इसके अलावा उन्होंने हरियाणा सरकार के शिक्षा अधिकार नियम 158 के तहत 31 दिसंबर 2017 तक फार्म नंबर 6 हरियाणा के जिन निजी स्कूलों ने अब तक नहीं भरे उनका ब्योरा उपलब्ध कराया जाए और जिन निजी स्कूलों ने ये ब्योरा उपलब्ध कराया है, उनकी संख्या भी बताई जाए। बृजपाल परमार का कहना है कि उनके द्वारा लगाई गई आरटीआइ का जवाब 12 अप्रैल 2018 को डिस्पेच दर्शाया गया हैं, जो डाक के माध्यम से 07 मई 2018 को उनके आवास पर प्राप्त हुई। बृजपाल परमार ने बताया कि एक माह तक तो शिक्षा निदेशालय से ही आरटीआइ के जवाब पर अधिकारी कुंडली जमाए बैठे रहे, लेकिन जब जवाब की कॉपी उन्हें भेजी गई तो उसे देखकर बड़ी हैरानी हुई । बृजपाल परमार ने सेकेंडरी शिक्षा निदेशालय से भेजे गए आरटीआइ के जवाब को जब पढ़ा तो उसमें लिखा हुआ था कि इस प्रकार का रिकार्ड शाखा में उपलब्ध नहीं हैं। स्वास्थ्य शिक्षा सहयोग संगठन के प्रदेश अध्यक्ष का कहना है कि हरियाणा स्कूली शिक्षा निदेशालय को यह भी मालूम नहीं है कि प्रदेश भर में कितने निजी स्कूल हैं और कितने निजी स्कूलों ने अब तक फार्म 6 नहीं भरे हैं तो उन स्कूलों पर हरियाणा सरकार अब कैसे कार्रवाई करेगी, जिन्होंने बिना किसी सूचना के ही फीस बढ़ोतरी अभिभावकों पर थोप दी है।
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जल्द डाली जाएगी हाई कोर्ट में पीआइएल : बृजपाल परमार
स्वास्थ्य शिक्षा सहयोग संगठन के प्रदेश अध्यक्ष बृजपाल परमार ने कहा कि जो निजी स्कूल हर साल करोड़ों के मुनाफे में होने के बावजूद भी हर साल फीस बढ़ोतरी का बोझ अभिभावकों की जेब पर डाल रहे हैं और स्कूल के करोड़ों रुपयों के फंड का दुरुपयोग कर रहे हैं, उनके खिलाफ जल्द ही हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाते हुए पीआइएल डाली जाएगी। उन्होंने कहा कि उनका संगठन पूरे तथ्यों के साथ हाई कोर्ट को अवगत कराएगा और सरकार एवं शिक्षा विभाग की लापरवाही को भी सामने रखा जाएगा।