देवउठनी एकादशी 25 को, पांच माह बाद शुरू होंगे मांगलिक कार्य
आगामी 25 नवंबर को देवउठनी एकादशी के साथ ही वैवाहिक काय
जागरण संवाददाता, चरखी दादरी : आगामी 25 नवंबर को देवउठनी एकादशी के साथ ही वैवाहिक कार्यक्रमों की शुरुआत भी हो रही है। हिदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार देवउठनी एकादशी को वर्ष की सबसे महत्वपूर्ण एकादशी भी माना जाता है। इस दिन जिले में काफी संख्या में शादियां होंगी। हालांकि कोरोना काल में आयोजित विवाह समारोह के लिए विशेष सावधानियां बरतने की आवश्यकता है। 25 नवंबर से 31 दिसंबर तक विवाह के 8-9 ही विशेष मुहूर्त हैं। जिले के विवाह समारोह स्थल, धर्मशालाएं बुक हो चुकी हैं, उन्हें सजाया जा रहा है। कोविड-19 के चलते शादी समारोह को लेकर विशेष तैयारियां की जा रही हैं। बहुत से ऐसे जोड़े भी इन दिनों वैवाहिक बंधन में बंधेंगे, जिनकी लॉकडाउन के दौरान शादी होनी थी। कोरोना संक्रमण के चलते अभी फिलहाल शादियों में 200 लोगों तक को बुलाने की अनुमति है। लेकिन जितनी तेजी से कोरोना वायरस संक्रमण का खतरा लगातार बढ़ता जा रहा है, उससे लग रहा है कि शादियों में आने वाले मेहमानों की संख्या को एक बार फिर से कम किया जा सकता है। देवउठनी एकादशी व अन्य वैवाहिक मुहूर्त के चलते बाजारों में भी खरीदारी के लिए काफी संख्या में लोग आ रहे हैं। एहतियात के साथ शामिल होंगे लोग
लॉकडाउन के दौरान हुए वैवाहिक समारोहों में शामिल कुछ लोगों के संक्रमित होने की खबर से लोग भीड़-भाड़ वाले आयोजन में जाने से कतरा रहे हैं। जिन घरों में शादी विवाह की तैयारी हो रही है या फिर किसी वैवाहिक समारोह में शामिल होने का मन बनाया जा रहा है। वे सभी बेहद सावधानी बरतने का मन बना चुके हैं। सुरक्षा किट के साथ नजर आएंगे वेटर
कोरोना काल में वैवाहिक समारोह में वेटर भी सुरक्षा किट में नजर आएंगे। समारोह स्थल, वाटिकाएं, गार्डन, धर्मशाला संचालकों ने इसके लिए अलग से गाइड लाइन बनाई है। उत्सव गार्डन के संचालक संदीप जांगड़ा ने बताया कि मेहमानों को खाना परोसने के लिए वेटर को ग्लव्ज, मास्क, कैप उपलब्ध कराए जाएंगे। इसी के साथ वे बुकिग के लिए आने वाले लोगों को भी समारोह के दौरान कोरोना गाइडलाइन की पालना करने का सहमति पत्र भरवा रहे हैं। लोगों की पसंद बना खुला मैदान
संक्रमण के दौर में वैवाहिक कार्यक्रम को लेकर लोगों की पहली पसंद खुले मैदान वाले गार्डन बन रहे हैं। लोगों का मानना है कि मैदान खुला होने से लोगों के बीच शारीरिक दूरी कायम रख पाना मुमकिन होगा। हालांकि वाटिकाओं, मैरिज पैलेस से लेकर धर्मशाला संचालकों का कहना है कि फिलहाल तो सरकार ने ही समारोह में शामिल होने वाले लोगों की संख्या सीमित कर रखी है। 11 दिसंबर को है आखिरी सावा
आचार्य महेश योगी ने बताया कि 25 नवंबर को देवउठनी का अबूझ सावा है। इसके बाद 27 व 30 नवंबर का भी सावा है। इसके साथ ही दिसंबर में 1, 6, 7, 9, 10 व 11 दिसंबर को सावा है। इसके बाद 12 दिसंबर से 14 जनवरी तक मल मास रहेगा। तारा डूबने के कारण फिर अप्रैल में ही सावे शुरू होंगे। इस दौरान केवल 16 फरवरी को बसंत पंचमी के दिन व 15 मार्च को फुलेरा दूज के दिन ही अबूझ सावा रहेगा। उन्होंने कहा कि देवउठनी एकादशी के साथ ही सावों की शुरुआत हो रही है।