डेंगू जागरूकता मुहिम : जमा न होने दें कही पानी, जन जागरूकता जरूरी
जागरण संवाददाता, चरखी दादरी : गांव चरखी स्थित आरइडी स्कूल में नेताजी सुभाष चन्द्र बोस युवा जाग
जागरण संवाददाता, चरखी दादरी : गांव चरखी स्थित आरइडी स्कूल में नेताजी सुभाष चन्द्र बोस युवा जागृत सेवा समिति, युवा जागृति एवं जनकल्याण मिशन समिति व महात्मा ज्योतिबा फूले ट्रस्ट द्वारा बदलते मौसम में बीमारियों से बचने सहित अन्य कई विषयों पर छात्र-छात्राओं को जागरूक किया। समिति पदाधिकारियों ने जल संरक्षण व स्वच्छता के लिए कार्य करने की प्रेरणा दी। स्कूल की स्पोर्टस ¨वग ने संकल्प लिया कि स्वयं जागरूक रहते दूसरों को भी प्रेरित करेंगे। सेमीनार की अध्यक्षता विद्यालय प्राचार्य अनुपम गोयल ने की। संस्था के अध्यक्ष एवं राष्ट्रपति पुरस्कार अवॉर्डी अशोक भारद्वाज व समाजसेवी रमेश सैनी ने कहा कि बढ़ती ठंड में डेंगू एक बार फिर से डर और बेचैनी का माहौल पैदा कर रहा है। जिसके बढ़ते कदम के कारण दादरी में एक विद्यार्थी की जान चली गई यह बड़ा ¨चता का विषय है। इसके लिए हमें स्वयं भी जागरूक होना पड़ेगा। एडीज मच्छर के काटने से व्यक्ति डेंगू की बीमारी की चपेट में आता है। लेकिन बहुत से लोगों को जानकारी नहीं है कि 99 प्रतिशत मामलों में घबराने की जरूरत नहीं होती। डेंगू के ज्यादातर मामलों में बचाव हो सकता है। इसके इलाज और रोकथाम के बारे में लोगों को जागरूक करना जरूरी है। उन्होंने बताया कि डेंगू बुखार मच्छरों के काटने से होने वाली बीमारी है। यह चार किस्मों के डेंगू वायरस के संक्रमण से होती है जो मादा ऐडीज मच्छर के काटने से फैलता है। डेंगू में तेज बुखार के साथ नाक बहना, खांसी, आंखों के पीछे दर्द, जोड़ों के दर्द और त्वचा पर हल्के रैश होते हैं। हालांकि कुछ बच्चों में लाल और सफेद निशानों के साथ पेट खराब, जी मिचलाना, उल्टी इत्यादि हो सकती है। डेंगू के मरीजों को डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए। उन्हें आराम करना चाहिए और काफी मात्रा में तरल आहार लेना चाहिए। बुखार या जोड़ों के दर्द को कम करने के लिए चिकित्सकों के मुताबिक पैरासीटामोल टेबलेट ली जा सकती है। अगर लोगों को खतरे के संकेतों की जानकारी हो तो जान जाने से बचाई जा सकती है। अगर डेंगू के मरीज का प्लेटलेट्स काउंट 10000 से ज्यादा हो तो प्लेटलेट्स ट्रांसफ्यूजन की कोई आवश्यकता नहीं होती। अनुचित प्लेटलेट्स ट्रांसफ्यूजन नुकसान कर सकता है। डेंगू को रोका भी जा सकता है और इसका इलाज भी किया जा सकता है इसलिए लोगों को घबराना नहीं चाहिए। अशोक भारद्वाज ने कहा कि टंकी का ओवरफ्लो हुआ पानी छत पर रखे पात्रों में गिर जाता है,यदि यह पानी खाली नहीं होता है तो अधिक दिन होने पर इसमें भी लारवा पनप सकता है। इसलिए टंकी भरते ही बटन बंद कर देना चाहिए।