जेल में रची साजिश, दोस्तों ने दिया हत्या को अंजाम
सड़क ठेकेदार की गवाही के कारण हत्या मामले में उम्र कैद
राकेश प्रधान, चरखी दादरी :
सड़क ठेकेदार की गवाही के कारण हत्या मामले में उम्र कैद की सजा भुगतने व दुष्कर्म मामले में ठेकेदार द्वारा पीड़िता की पैरवी करने से गुस्साए एक युवक ने जेल में बैठकर साजिश रचते हुए बाहर घूम रहे अपने साथियों से बुधवार रात ठेकेदार की हत्या करवा दी। दो युवकों में आपसी विवाद के चलते इस परिवार में यह तीसरी हत्या है। घटना से ठेकेदार के परिवार और गांव में आक्रोश का माहौल बना हुआ है। हालांकि पुलिस ने बढ़ती तनाव की स्थिति को देखते हुए आरोपितों की गिरफ्तारी के प्रयास शुरू कर दिए है लेकिन अभी तक उनका कोई सुराग नहीं लग पाया है।
गांव सौंप निवासी सुरेश कुमार ने बताया कि उसके बड़े भाई सुरेंद्र के पुत्र संदीप का वर्ष 2007 में गांव के ही एक युवक संदीप उर्फ काला से सांय के समय किसी बात को लेकर विवाद हो गया था। उस समय बात कहासुनी से आगे नहीं बढ़ी थी। करीब दो घंटे बाद संदीप व उसका चाचा कृष्ण गांव में ही एक दुकान के बाहर खड़े थे। तभी संदीप उर्फ काला, मनोज व उनके दो साथी वहां आए तथा संदीप को गोली मार दी। इस मामले में संदीप का चाचा कृष्ण व पिता सुरेंद्र दोनों गवाह थे। संदीप की मौत के कुछ दिन बाद ही उसका पिता सुरेंद्र दादरी से भिवानी के रास्ते राजगढ़ गया था। भिवानी में ही सुरेंद्र की हत्या कर शव को खुर्दबुर्द कर दिया गया था। बाद में कपड़ों व अन्य निशानियों से उसकी पहचान हो पाई थी। इसके बाद संदीप की हत्या मामले में कृष्ण अकेला गवाह बचा था। उस पर भी कई बार आरोपितों ने हमले का प्रयास किया था लेकिन वह हर बार बच गया। कृष्ण की गवाही के चलते वर्ष 2010 में एक आरोपित मनोज को उम्र कैद की सजा सुनाई गई थी। अन्य को संदेह का लाभ देकर बरी कर दिया गया था।
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गवाही से एक दिन पूर्व की हत्या
हत्या मामले में दोषी मनोज कुछ समय पूर्व जमानत पर रिहा होकर आया था। इस दौरान समीपवर्ती गांव की एक युवती से दुष्कर्म का आरोप उस पर लगा था। दुष्कर्म मामले में पीड़िता कृष्ण की जानकार थी। जिसके चलते इस मामले में भी कृष्ण उनके केस की पैरवी कर रहा था। 30 अगस्त को दुष्कर्म मामले में पीड़िता की न्यायालय में गवाही होनी थी। जिसके चलते मनोज व उसके साथियों ने कृष्ण व पीड़िता को जान से मारने की धमकी दी हुई थी। मृतक के भाई सुरेश कुमार ने बताया कि कृष्ण ने धमकी बारे उसे बताया था। इस पर उसने पूरी तरह चौकन्ना रहने के लिए कहा था। गवाही से ठीक एक रात पूर्व कृष्ण को अकेला देखकर आरोपितों ने उस पर हमला कर दिया। जिससे उसकी मौत हो गई।
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अनहोनी का नहीं था संदेह
पीड़ित सुरेश कुमार ने बताया कि संदीप के पिता सुरेंद्र की मौत मामले में उनके पास मनोज व उसके साथियों के खिलाफ कोई ठोस सुबूत नहीं थे। जिसके चलते उन्होंने उस मामले में उन्हें आरोपित भी नहीं बनाया था। उनका मानना था कि बिना सुबूत वे किसी को पुलिस के झंझट में न फसाएं, लेकिन उन्हें क्या पता था कि आरोपित इतने वर्ष बाद फिर से उनके परिवार के एक और सदस्य की हत्या कर देंगे।
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चेहरे, गर्दन पर 12 वार
हत्यारों की निर्ममता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि उन्होंने कृष्ण की गर्दन व चेहरे पर कुल्हाड़ी से 12 वार किए है। हत्याकांड की जानकारी मिलते ही बौंद पुलिस ने मौके पर फोरेंसिक एक्सपर्ट की टीम को भी मौके पर बुलाया तथा जांच शुरू कर दी।