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सिटरस प्रोसे¨सग यूनिट से बदल सकते है किसानों के आर्थिक हालात

चरखी दादरी : प्रदेश सरकार द्वारा किसानों के हित में चलाई जा रही विभिन्न योजनाअ

By JagranEdited By: Published: Tue, 18 Dec 2018 11:18 PM (IST)Updated: Tue, 18 Dec 2018 11:18 PM (IST)
सिटरस प्रोसे¨सग यूनिट से बदल सकते है किसानों के आर्थिक हालात
सिटरस प्रोसे¨सग यूनिट से बदल सकते है किसानों के आर्थिक हालात

सचिन गुप्ता, चरखी दादरी : प्रदेश सरकार द्वारा किसानों के हित में चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं से प्रेरित होकर बहुत से किसान अब पारंपरिक खेती को छोड़ कर बागवानी की तरफ रूझान कर रहे है। बागवानी के तहत किसान अपने खेतों में सब्जी, फलों के अलावा फूलों की खेती कर रहे है। फलों में बात की जाए तो दादरी जिला के अंतर्गत आने वाले क्षेत्र में काफी किसानों द्वारा मौसम के अनुसार सिटरस फसल जिसमें किन्नू, मालटा, मौसमी, नींबू इत्यादि पर अधिक जोर दिया जा रहा है। लेकिन कई बार आवक अधिक व मांग कम होने के कारण किसानों को उनकी फसलों का उचित भाव नहीं मिल पाता। ऐसे में बागवानी विभाग द्वारा जिले में सिटरस प्रोसे¨सग यूनिट लगवाने की तैयारियां की जा रही है।

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सिटरस प्रोसे¨सग यूनिट लगने से किसानों को उनकी फसल का उचित भाव मिल सकेगा। वहीं, दादरी जिला भी सिटरस प्रोसे¨सग के लिए जाना जा सकेगा। सिटरस प्रोसे¨सग यूनिट लगवाने के लिए विभागीय अधिकारियों द्वारा किसानों को जागरूक किया जा रहा है। शुरूआती दौर में विभाग द्वारा जिले में एक सिटरस प्रोसे¨सग यूनिट लगवाने की योजना है। योजना के अनुसार प्रोसे¨सग यूनिट लगाने वाले किसान को विभाग द्वारा बैंक से लोन दिलवाने में भी मदद की जाएगी। 1500 एकड़ में है फसल

बागवानी विभाग के आंकड़ों के अनुसार इस बार जिले में करीब 1500 एकड़ भूमि पर किन्नू, मालटा, मौसमी व नींबू की फसल उगाई गई है। जिले में इतने बड़े भाग पर सिटरस की पैदावार होने से मंडियों में भी फसल की बहुत अधिक आवक हो जाती है। ऐसे में फसल के भाव कम हो जाते है। जिससे कई बार तो किसानों को फसलों का उचित भाव भी नहीं मिल पाता है। तैयार हो सकेंगे कई प्रोडेक्ट

उल्लेखनीय है कि सिटरस प्रोसे¨सग यूनिट में कई प्रकार के प्रोडेक्ट तैयार हो सकेंगे। आमतौर पर मौसमी, मालटा, किन्नू व नींबू वर्गीय फलों का जूस ज्यादा निकाला जाता है। लेकिन अब फलों का पल्प, प्यूरी, नैक्टर, ठंडे पेय, स्प्रेड बेकरी व कन्फेक्शनरी में काम आने वाले सीरप व खुशबूदार तेल इत्यादि उत्पाद बनाने की तकनीकें भी इसमें उपलब्ध हो सकेगी। ऐसे में किसान फलों से जूस के साथ-साथ कई प्रकार के उत्पाद तैयार कर उन्हें बेच कर अपना मुनाफा भी बढ़ा सकेंगे। प्रोडेक्ट एक्सपोर्ट की भी संभावनाएं

बताया जा रहा है कि दादरी जिले में उगाया जाने वाला किन्नू, मालटा, मौसमी, नींबू इत्यादि काफी उच्च क्वालिटी के होते है। लिहाजा यदि जिले में सिटरस प्रोसे¨सग यूनिट लगती है तो उसमें तैयार होने वाले उत्पादों की क्वालिटी में भी दम होगा। मौजूदा हालातों की बात की जाए तो विदेशों में भी इस प्रकार के उत्पादों की काफी मांग है। ऐसे में यूनिट में तैयार प्रोडेक्ट के एक्सपोर्ट की भी काफी अधिक संभावनाएं है। यह भी किसानों के लिए काफी फायदेमंद साबित हो सकता है। 40 फीसद सब्सिडी का प्रावधान

जिला बागवानी अधिकारी डा. राजेश कुमार ने बताया कि सिटरस प्रोसे¨सग यूनिट लगाने में करीब 25 लाख रुपये की लागत आएगी। यदि कोई किसान बागवानी विभाग की सहायता से यह यूनिट लगाता है तो उसे बैंक से लोन दिलवाने में भी मदद की जाएगी। उसके बाद बैंक लोन में किसान को 40 फीसद का अनुदान दिया जाएगा। जिसके बाद किसान को केवल 15 लाख रुपये की बैंक को चुकाने होंगे। किसानों को होगा फायदा : डा. राजेश

जिला बागवानी अधिकारी डा. राजेश कुमार ने बताया कि दादरी जिले में काफी मात्रा में सिटरस की पैदावार होती है। जिसके कारण कई बार किसानों को फसल का उचित भाव नहीं मिल पाता। इस स्थिति में जिले में सिटरस प्रोसे¨सग यूनिट की काफी आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि यदि जिले में सिटरस प्रोसे¨सग यूनिट स्थापित होती है तो यह किसानों के लिए काफी फायदेमंद साबित होगी। उन्होंने बताया कि किसान यूनिट में फसलों को बेचकर उचित दाम प्राप्त कर सकेंगे।


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