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एमपी साहब, चाय तक के पैसे नहीं देते सीईओ

जागरण संवाददाता, भिवानी : जिला परिषद चेयरमैन व मुख्य कार्यकारी अधिकारी के बीच इन दिनों खींच

By JagranEdited By: Published: Tue, 24 Apr 2018 07:11 PM (IST)Updated: Tue, 24 Apr 2018 07:11 PM (IST)
एमपी साहब, चाय तक के पैसे नहीं देते सीईओ
एमपी साहब, चाय तक के पैसे नहीं देते सीईओ

जागरण संवाददाता, भिवानी : जिला परिषद चेयरमैन व मुख्य कार्यकारी अधिकारी के बीच इन दिनों खींचतान जोरों पर है। सोमवार को सांसद धर्मबीर ¨सह ने दोनों के बीच समझौते के प्रयास किए तो साढ़े 6 करोड़ रुपये की ग्रांट से लेकर चाय के बिल रोकने का दर्द जिला परिषद चेयरमैन की जुबान से छलक कर बाहर आ गया। जिला परिषद चेयरमैन यहां तक कह बैठे कि वे पिछले छह माह से घुटन महसूस कर रहे हैं और यहीं हालात रहे तो इस्तीफा दे दूंगा। जबकि सीईओ ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि वे उनका तबादला करवा दें और किसी अच्छे अधिकारी को ले आएं। हुआं यूं कि सांसद धर्मबीर ¨सह तोशाम रोड पर भाजपा कार्यालय की नींव रखने के बाद जिला परिषद कार्यालय पहुंच गए। इस दौरान उनके पास जिला परिषद के चेयरमैन रमेश ओला व सीईओ शंभु राठी व अन्य कर्मचारी भी मौजूद थे। इसी दौरान एक पार्षद ने ग्रांट जारी नहीं करने का मुद्दा सांसद के सामने उठा दिया। चेयरमैन रमेश ओला ने आरोप लगाया कि सीईओ ने पिछले छह माह से जहां पार्षदों की साढ़े छह करोड़ रुपये की ग्रांट रोकी हुई है, वहीं कंप्यूटर पर काम करने व चाय-पानी के खर्च पर भी रोक लगाई हुई है। चाय की बात पर सभी ने हैरानी जताई। हालांकि सीईओ ने स्पष्ट किया कि नियमानुसार 2 हजार रुपये तक चाय पानी का खर्च स्वीकृत है। उपस्थित पार्षदों ने इस राशि को बहुत ही कम बताया। सीईओ ने कहा कि वे सरकार की हिदायतों से बाहर नहीं जा सकते हैं। एक पार्षद ने कहा कि इनेलो व कांग्रेसी पार्षदों के विरोध के चलते सीईओ यह ग्रांट जारी नहीं कर रहे हैं। सीईओ ने स्पष्ट किया कि उनके लिए सभी पार्षद एक समान हैं। पार्षदों की बैठक में ग्रांट जारी करने का प्रस्ताव पास किया जाएगा। चेयरमैन रमेश ओला ने नाराजगी जताते हुए कहा कि एक तरफ छह पार्षद हैं और हमारी तरफ 25 पार्षद। आप किसकी बात मानेंगे। वैसे भी पार्षदों ने ग्रांट जारी करने का अधिकार चेयरमैन को दिया हुआ है।

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सांसद ने चेयरमैन व सीईओ को समझाया

सांसद धर्मबीर ¨सह ने चेयरमैन व सीईओ दोनों को समझाया और कहा कि वे लोग तो समझौता करवाने के लिए हैं, न कि आपस में तकरार करवाने के लिए। आपसी मतभेद भुलाकर दोनों को विकास के लिए कार्य करना चाहिए। उन्होंने चेयरमैन रमेश ओला को समझाया कि उन्हें शांत स्वभाव से बात करनी चाहिए। चेयरमैन ने पलटकर जवाब देते हुए कहा कि वे पिछले छह महीने से घुटन में सांस ले रहे हैं। अब इससे ज्यादा सहन करना मुश्किल है। हालात नहीं सुधरे तो मैं त्यागपत्र दे दूंगा। उधर सीईओ ने धैर्य से जवाब दिया कि मेरा स्थानांतरण अन्यत्र करवा दें और कोई अच्छा अधिकारी ले आएं।


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