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पराली जलाने से उत्पन्न पर्यावरण प्रदूषण बन रहा कैंसर की वजह : प्रो. लुहाच

जागरण संवाददाता, चरखी दादरी : फसलों के अवशेष जलाए जाने को लेकर बढ़ते पर्यावरण प्रदूषण

By JagranEdited By: Published: Sun, 18 Nov 2018 12:39 AM (IST)Updated: Sun, 18 Nov 2018 12:39 AM (IST)
पराली जलाने से उत्पन्न पर्यावरण प्रदूषण बन रहा कैंसर की वजह : प्रो. लुहाच
पराली जलाने से उत्पन्न पर्यावरण प्रदूषण बन रहा कैंसर की वजह : प्रो. लुहाच

जागरण संवाददाता, चरखी दादरी :

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फसलों के अवशेष जलाए जाने को लेकर बढ़ते पर्यावरण प्रदूषण, स्वास्थ्य व जीवन पर पड़ रहे प्रतिकूल प्रभाव के प्रति जागरूकता उत्पन्न करने के मकसद से कृषि विज्ञान केन्द्र द्वारा दादरी जिले के ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों की शिक्षण संस्थाओं में लगातार जागरूकता मुहिम चलाई जा रही है। इसे लेकर कृषि विज्ञान केन्द्र एक माह के दौरान ग्रामीण क्षेत्रों में दर्जन भर कार्यक्रम आयोजित कर छात्र, छात्राओं, शिक्षकों, ग्रामीणों को जागरूक कर चुका है। केन्द्र के वैज्ञानिक प्रो. वेदप्रकाश लुहाच की अगुवाई में चली यह मुहिम रंग लाती भी दिखाई दे रही है। इसी कड़ी में शनिवार को दादरी नगर के जनता पीजी कालेज में फसल अवशेष प्रबंधन विषय पर कृषि विज्ञान केन्द्र भिवानी द्वारा चित्रकला व वाद-विवाद प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। जिसमें कालेज के सैकड़ों विद्यार्थियों ने भाग लिया। कृषि विज्ञान केन्द्र भिवानी के वरिष्ठ संयोजक व प्रधान वैज्ञानिक प्रोफेसर वेद प्रकाश लुहाच ने पर्यावरण प्रदूषण के कारण व निवारण पर विशेष रूप से व्याख्यान दिया। उन्होंने कहा कि प्रदूषण में 51 प्रतिशत हिस्सा उद्योगों से, 25.8 यातायात के साधनों से, 11.4 प्रतिशत घरेलू उपयोग से व केवल 8 प्रतिशत कृषि अवशेषों को जलाने से होता है। पराली न जलाने के लिए विद्यार्थियों को शपथ दिलवाई गई और बताया गया कि पराली जलाने की वजह से भूमि की उत्पादकता प्रभावित होती है। वायुमंडल प्रदूषित होता है। लाभकारी व हानिकारक कीटों की मौत होती है और विशेष तौर से पर्यावरण में असंतुलन बढ़ता है। जिसकी वजह से गर्मी में ज्यादा गर्मी और सर्दी में ज्यादा सर्दी होती है। पराली का धुंआ मुख्य रूप से कैंसर का कारण है। जनसंख्या वृद्धि वर्तमान में विभिन्न समस्याओं का मुख्य कारण है। जिस वजह से बेरोजगारी, प्रदूषण व अन्य सामजिक बुराइयां फैल रही है। एसडीएम ओमप्रकाश देवराला ने बतौर मुख्यातिथि उपस्थित थे। उन्होंने जमींदारों की आमदनी बढ़ाने के लिए हरित क्रांति, श्वेत क्रांति और नीली क्रांति को समय की जरूरत के हिसाब से उठाया गया कदम बताया। कृषि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिक डा. वेदप्रकाश लुहाच, योगिता बाली, डा. मुरारी लाल व डा. मीनू को सफल आयोजन के लिए बधाई दी गई। डा. मुरारी लाल व डा. एमके जैन ने भी अपने विचार रखे। मंच संचालन डा. रोशन लाल ने किया। इस मौके पर हेमलता, डा. अशोक, डा. सुरेन्द्र सहित स्टाफ के सभी सदस्य मौजूद थे।

---पर्यावरण संरक्षण सामूहिक उत्तरदायित्व : प्रो. लुहाच कृषि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिक प्रोफेसर वेदप्रकाश लुहाच ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण हम सबका सामूहिक उत्तरदायित्व है। प्रकृति ने हमें जो स्वच्छ पर्यावरण दिया है, उसे तहश नहश करने का कोई अधिकार नहीं है। अन्य कारकों के अलावा फसलों के अवशेष जलाने से भी पिछले कुछ सालों के दौरान पर्यावरण प्रदूषण की समस्या गंभीर बनी दिखाई देती रही है। उन्होंने कहा कि हालांकि इस साल पराली जलाने के मामलों में काफी कमी आई है लेकिन अभी भी व्यापक स्तर पर जागरूकता की जरूरत है। उन्होंने कहा कि फसलों के अवशेष प्रबंधन के कई लाभकारी प्रावधान उपलब्ध है। इससे किसानों को न केवल आर्थिक फायदा मिल सकता है बल्कि पर्यावरण भी सुरक्षित रह सकता है।


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