सरसों के फूल खिले, दूसरे राज्यों से मधुमक्खी पालक आए खेतों में, कूट रहे चांदी
मदन श्योरान ढिगावा मंडी खेतों में सरसों के फूल खिलते ही प्रदेश के अलावा दूसरे प्रदेशों के
मदन श्योरान, ढिगावा मंडी
खेतों में सरसों के फूल खिलते ही प्रदेश के अलावा दूसरे प्रदेशों के मधुमक्खी पालकों ने भी खेतों में डेरा डाल लिया है। सरसों मधुमक्खियों के लिए शहद निर्माण में अहम भूमिका निभाती है। मधुमक्खी पालक जगन्नाथ और सुरेंद्र कुमार ने बताया कि तीन माह तक यह काम मधुमक्खी पालन वालों के लिए आय का अच्छा स्त्रोत साबित होता है। मधुमक्खी पालक सड़कों के किनारे किसी भी क्षेत्र में डेरा डालकर बॉक्स को रख देते हैं। इसमें ढिगावा मंडी क्षेत्र में कई राज्यों के अलग-अलग स्थानों से लोग यहां आ रहे हैं। चार-पांच लोगों का समूह किसी भी खेत में डेरा डाल देता है। इनके पास 20 से 30 बड़े पीपे भी होते हैं। इन्हीं पीपों में यह लोग शहद को एकत्रित करते हैं। क्षेत्र के लोग भी करते हैं मदद
दूसरे राज्यों से आ रहे मधुमक्खी पालकों का स्थानीय लोग भी खूब सहयोग कर रहे हैं। उनके खाने पीने के अलावा मधुमक्खियों के बॉक्स रखने और उनकी देखभाल की भी जिम्मेवारी स्थानीय लोग निभा रहे हैं। प्रजनन के लिए सरसों के पीले पीले फूल सर्वश्रेष्ठ
क्षेत्र में लहलहा रही सरसों की फसल मधुमक्खी पालकों के लिए सर्वश्रेष्ठ है। खास इस समय में जब सरसों पूरे योवन पर है और फूलों से लदी हुई है। ऐसे में मधुमक्खी पालकों के लिए सरसों, सब्जियों पर लगे फूल, मूली आदि के फूलों में पराग कण अधिक होने से उत्पादन भी अधिक होता है। ऐसे में एक सप्ताह में ही बॉक्स मधुमक्खियों से भर जाता है। पंद्रह दिन में तीन किलो शहद
उत्तर प्रदेश से आए जगन्नाथ, कुरुक्षेत्र से आए नरेंद्र कुमार, पंजाब से हरेंद्र सिंह ने क्षेत्र के कई गांवों में मधुमक्खियों के बॉक्स रखे हुए हैं। उन्होंने बताया कि मधुमक्खियों की भी कई नस्ल होती हैं। इसमें रानी, नर, सैनिक की अपेक्षा अमेरिकन इटेलियन नस्ल की एपीस मेलीफरा मधुमक्खि्यां कम समय में अधिक शहद बनाती है। सरसों के फूल आने से कटने तक की चलने वाले इस काम में मधुमक्खियों के बीच रहकर काफी मेहनत करनी पड़ती है। फिर भी प्रत्येक बॉक्स में एकत्र शहद की मात्रा समान हो यह जरूरी नहीं है। मधुमक्खियों द्वारा अनुकूल वातावरण होने पर एक बक्से के छातों में 15 दिन में अधिकतम 3 से 3.5 किलो तथा सरसों कटने तक 20 से 30 किलो तक शहद एकत्र कर लिया जाता है।