बाबा मिश्रा गिरी ने छोड़ा चोला, नम आंखों से दी विदाई
गांव ढाब ढाणी में बाबा मिश्रा गिरी ने चोला छोड़ दिया। सिद्धपीठ जहरगिरी आश्रम के पीठाधीश्वर महंत अशोक गिरी ने बताया कि मिश्रा गिरी की जन्मभूमि कैरू गांव में थी। युवा अवस्था में कॉलेज में पढ़ते समय बाबा जहरगिरी आश्रम के सिद्ध बाबा शंकर गिरी से अभिभूत होकर उन्होंने संन्यास ले लिया।
संवाद सहयोगी, तोशाम : कैरू खंड के गांव ढाब ढाणी में बाबा मिश्रा गिरी ने चोला छोड़ दिया। सिद्धपीठ जहरगिरी आश्रम के पीठाधीश्वर महंत अशोक गिरी ने बताया कि मिश्रा गिरी की जन्मभूमि कैरू गांव में थी। युवा अवस्था में कॉलेज में पढ़ते समय बाबा जहरगिरी आश्रम के सिद्ध बाबा शंकर गिरी से अभिभूत होकर उन्होंने संन्यास ले लिया। गुरु शंकर गिरी के चरणों मे तपस्या ओर मंत्र साधना की।
उन्होंने बताया कि गुरु महाराज की आज्ञा से बाबा मिश्रा गिरी ने ढाब ढाणी में 35 वर्ष तक तपस्या की और गांव में शिव मंदिर का निर्माण भी करवाया। मिश्रा गिरी के शरीर छोड़ने पर गांव वासियों ने दुखी मन से बाबा को समाधि दी। गांव के प्रबुद्ध लोगों ने बाबा को दिव्य संत बताया और कहा कि ऐसे संत आने पर ही उनके गांव में बहुत कार्य सिद्ध हुए। हम सबको उनकी कमी हमेशा खलती रहेगी।
ग्रामीणों का कहना था कि संत के कारण ही गांव हमेशा भाईचारा व शांति बनी रही है। इस अवसर पर सरपंच वजीर सिंह, संध्या गिरी, आनंद गिरी, लोटा गिरी विजेंद गिरी, गणेश गिरी, कारण गिरी, त्रिलोक गिरी मुकेश, मुंशीराम, सतबीर, मनदीप, कर्मबीर, रामपाल, धनराज, कृष्ण, सुरेंद्र, रामनिवास, सूरतसिंह, महिपाल, अजय, महेंद्र आदि उपस्थित थे।