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असम नाबालिग प्रकरण: जांच के लिए एसआइटी गठित

असम की नाबालिग से दुष्कर्म और छेड़छाड़ के मामले में पुलिस सख्त हो गई। जिला पुलिस ने एसआइटी का गठन किया है। इसमें डीएसपी के अलावा महिला थाना प्रभारी और डीआइ को रखा गया है। यह एसआइटी पूरे मामले की जांच करने के साथ फरार आरोपित जिला बाल संरक्षण ईकाई के काउंसलर हरिकिशन की गिरफ्तारी के लिए छापेमारी करेगी।

By JagranEdited By: Published: Sat, 19 Jun 2021 06:00 AM (IST)Updated: Sat, 19 Jun 2021 06:00 AM (IST)
असम नाबालिग प्रकरण: जांच के लिए एसआइटी गठित
असम नाबालिग प्रकरण: जांच के लिए एसआइटी गठित

जागरण संवाददाता, भिवानी : असम की नाबालिग से दुष्कर्म और छेड़छाड़ के मामले में पुलिस सख्त हो गई। जिला पुलिस ने एसआइटी का गठन किया है। इसमें डीएसपी के अलावा महिला थाना प्रभारी और डीआइ को रखा गया है। यह एसआइटी पूरे मामले की जांच करने के साथ फरार आरोपित जिला बाल संरक्षण ईकाई के काउंसलर हरिकिशन की गिरफ्तारी के लिए छापेमारी करेगी। वहीं नाबालिग के साथ छेड़छाड़ करने और मामले को दबाने के लिए दबाव बनाने की बात सामने आने के बाद उसे सोनीपत के राई स्थिति बाल सेवा आश्रम में शिफ्ट कर दिया है। यह उसको बचाने और जांच को बेहतर ढंग से करने के लिए किया गया है।

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पुलिस की तरफ से जांच तेज करने के लिए एसआइटी का गठन किया गया। अब पुलिस हरिकिशन की तलाश कर रही है। पुलिस अधीक्षक अजीत सिंह ने बताया कि पहले गिरफ्तार आरोपित मनोज धनखड़ से मोबाइल बरामद नहीं हुआ है। उसमें नाबालिग ने वीडियो होने का आरोप लगाया था। दूसरी तरफ जनवादी समिति ने नाबालिग को न्याय दिलवाने के लिए उपायुक्त को ज्ञापन सौंपा। उनकी मांग है कि सभी आरोपितों को जल्द से जल्द पकड़ा जाए।

यह है मामला

असम नाबालिग प्रकरण में 12 जून को राष्ट्रीय व राज्य बाल अधिकार आयोगों की संयुक्त सुनवाई के दौरान राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने नाबालिग से दुष्कर्म व छेड़छाड़ मामले में आरोपितों की गिरफ्तारी के लिए एक सप्ताह का समय दिया था। इसके लिए उन्होंने भिवानी और चरखी दादरी के लिए पुलिस अधीक्षकों को निर्देश दिए थे। आयोग अध्यक्ष ने चेताया था कि समय रहते आरोपित गिरफ्तार नहीं किए गए तो वह गृह मंत्रालय को शिकायत करेंगे। इसके अलावा न्यायालय की शरण भी ली जाएगी। उल्लेखनीय है कि असम की नाबालिग खरीद फरोख्त प्रकरण और दुष्कम, छेड़छाड़ मामले में मुख्य आरोपित उषा अभी भी पुलिस की गिरफ्त से बाहर है। इसके अलावा अन्य दुष्कर्म का आरोपित को भी पुलिस अभी तक गिरफ्तार नहीं कर पाई है। इस मामले में बाल अधिकार आयोग के पूर्व सदस्य सुशील वर्मा ने उषा नामक महिला की पहचान खोज निकाली थी। जिस महिला को पुलिस तीन अप्रैल से ढूंढ रही थी वह 22 अप्रैल को स्वयं पुलिस स्टेशन आकर दो युवकों के खिलाफ घर के बाहर गोली चलाने के आरोप लगाते हुए शिकायत देकर गई थी। पुलिस ने उसे गिरफ्तार करना तक उचित नहीं समझा। इस महिला के खिलाफ दादरी में जिस्मफरोशी व शस्त्र अधिनियम के तहत पहले भी मुकदमे दर्ज हैं।

भाजपा नेता की बेटी पर पद छोड़ने का बढ़ रहा दबाव

इस बीच राजनीति भी सक्रिय हो गई है। भाजपा के जिला अध्यक्ष की बेटी का नाम आरोपितों की सहायता करने और नाबालिग पर बयान बदलने के दबाव डालने को लेकर पार्टी में अंदरूनी तौर पर खलबली मची है। एक तरफ पार्टी की इमेज खराब होने से बचाने के प्रयास जारी हैं तो दूसरी तरफ जिला अध्यक्ष की बेटी पर पद छोड़ने का दबाव बना हुृआ है। इस मामले में पार्टी के नेता खुलकर बोलने को भले ही तैयार नहीं हैं पर इस मामले में वे न्याय जरूर चाहते हैं।

चरखी दादरी और भिवानी पुलिस आरोपितों से सांठगांठ करके मामले को दबाना चाहती है। असम की नाबालिग को हर हाल में न्याय दिलाया जाएगा। इसके लिए न्यायालय की शरण लेनी पड़ी तो वह ली जाएगी। जन आंदोलन का सहारा लेना पड़ा तो वह भी जरूर लिया जाएगा।

सुशील वर्मा, पूर्व सदस्य, राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग।


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