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बिजली में दामों में कटौती से कृषि क्षेत्र को मिली राहत, रेतीले इलाके में होगा बदलाव

पवन शर्मा, बाढड़ा : प्रदेश सरकार द्वारा बिजली उपभोक्ताओं को आपूर्ति होने वाली बिजली की दरा

By JagranEdited By: Published: Tue, 11 Sep 2018 11:43 PM (IST)Updated: Tue, 11 Sep 2018 11:43 PM (IST)
बिजली में दामों में कटौती से कृषि क्षेत्र को मिली राहत, रेतीले इलाके में होगा बदलाव
बिजली में दामों में कटौती से कृषि क्षेत्र को मिली राहत, रेतीले इलाके में होगा बदलाव

पवन शर्मा, बाढड़ा : प्रदेश सरकार द्वारा बिजली उपभोक्ताओं को आपूर्ति होने वाली बिजली की दरों में 50 फीसदी छूट से बाढड़ा सहित समस्त दक्षिणी हरियाणा के लाखों उपभोक्ताओं को सीधा लाभ मिलेगा। सरकार के इस फैसले से बाढड़ा के चालीस हजार उपभोक्ताओं के लिए यह बड़ा सराहनीय कदम माना जा रहा है। कृषि व ग्रामीण क्षेत्र में संचालित बिजली आपूर्ति योजनाओं पर ही हरियाणा के रेतीले क्षेत्र का भविष्य टिका हुआ है। बिजली से संचालित ट्यूबवैलों व छोटी क्षमता के ट्रांसफार्मरों से मिलने वाली बिजली पर ही कृषि क्षेत्र व घरेलू क्षेत्र पर निर्भर किसानों की आजीविका टिकी है।

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1970 के दशक में झोझूकलां बिजली घर से इस क्षेत्र में बिजली आपूर्ति की गई थी। उसके बाद बाढड़ा, अटेला, आदमपुर डाढी व झोझू कलां इत्यादि चार 132 केवी बिजली घरों के अलावा दो दर्जन से ज्यादा 33 केवी सब स्टेशन संचालित हैं। बिजली बिल की दरों को लेकर सांसद धर्मबीर ¨सह, विधायक सुख¨वद्र मांढी सहित सत्तापक्ष व विपक्षी दलों के सामने किसान संगठनों ने आंदोलन भी चलाया लेकिन सरकार ने समय आने पर दरों की समीक्षा करने का आश्वासन देकर मामला फाइलों में जमा कर दिया। मंगलवार को विधानसभा में सीएम मनोहर लाल ने नई दरों का एलान कर उपभोक्ताओं का दिल जीत लिया है। नई दरों में अब घरेलू उपभोक्ता को एक अक्टूबर से बिलों का भुगतान करेंगे। विधायक सुख¨वद्र मांढी, चेयरमैन भल्लेराम बाढड़ा, जिला पार्षद अनिल बाढड़ा, भाजयुमो नेता कर्मबीर नांधा, राम¨सह गोपी, प्रदीप रुदड़ौल, मंगल गोपी, ऊधम ¨सह उमरवास, पवन सिरसली, जयबीर काकड़ौली, धोलिया मांढी इत्यादि ने सरकार के इस फैसलें को ऐतिहासिक बताया है। बिना आंदोलन मिली सौगात

बाढड़ा क्षेत्र को किसान आंदोलनों का गढ़ माना जाता है। बिजली आपूर्ति व इसकी दरों को लेकर इस क्षेत्र में बड़े आंदोलन होते रहे हैं। इसी मांग को लेकर वर्ष 1991 में लोहारु में किसान महाबीर शहीद ने अपनी जान गंवाई तो उसके बाद तो यह आंदोलन बढ़ता ही गया। बिजली मुद्दों को लेकर वर्ष 1995 में कादमा किसान पर गोलियां चली थी। जिसमें पांच से ज्यादा किसानों ने अपनी शहादत दी तो अनेक घायल होकर आज भी अपंगता का जीवन जी रहे हैं। बंसीलाल सरकार में भी मंढियाली कांड के दौरान किसानों व प्रदेश पुलिस के अलावा केंद्रीय सुरक्षा बलों में सीधा टकराव हो गया था। जिसमें आधा दर्जन से ज्यादा ने अपनी जान गंवाई व सैकड़ों घायल हो गए थे। इन आंदोलनों के बाद सरकार ने राहत के तौर पर बिजली बिलों में सुधार भी किया लेकिन फिर भी किसान संतुष्ट नहीं हुए। इसके बाद कंडेला कांड तो प्रदेश में नेतृत्व परिवर्तन के साथ ही सीपीएस धर्मबीर ¨सह की अपील पर पूर्व सीएम हुड्डा ने 1600 करोड़ के बकाया घरेलू व कृषि बिल माफी का निर्णय लिया। इसके बाद भी वर्ष 2012 में भाकियू के भूख हड़ताल के बाद उस समय की सांसद श्रुति चौधरी, सहकारिता मंत्री सतपाल सांगवान व वरिष्ठ कांग्रेसी नेता रणबीर ¨सह महेन्द्रा की अपील पर सरकार ने स्लैब प्रणाली बहाली का निर्णय लिया। हर वायदे में उतरेंगे खरे : सुख¨वद्र

भाजपा विधायक सुख¨वद्र मांढी ने कहा कि प्रदेश सरकार किसान गरीब मजदूर व कमेरे तबके के जीवन स्तर में सुधार के लिए हरसंभव कदम उठा रही है। पहले की सरकारों में पहले रातोंरात बिजली बिल बढ़ा कर किसानों को आंदोलन के लिए उकसाया जाता था और उसके बाद किसानों को मजबूरीवश शहादत देनी पड़ती। प्रदेश की मनोहर लाल सरकार ने बिना आंदोलन किए प्रदेश के लाखों उपभोक्ताओं को यह बड़ी सौगात देकर ऐतिहासिक निर्णय लिया है। आज उपभोक्ताओं को 50 फीसदी छूट देकर सराहनीय पहल की है।


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