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धार्मिक अनुष्ठान के बाद पंडितों को थमा दी लाखों की पुरानी करंसी

धार्मिक अनुष्ठान के बाद यजमानों ने पंडितों को लगभग 50 लाख रुपये की पुरानी करंसी थमा दी। पंडितों ने जब इसका विरोध किया तो मारने की धमकियां दी गई।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Tue, 13 Dec 2016 11:19 AM (IST)Updated: Tue, 13 Dec 2016 05:15 PM (IST)
धार्मिक अनुष्ठान के बाद पंडितों को थमा दी लाखों की पुरानी करंसी

जेएनएन, भिवानी। शहर में नौ दिन तक चले लक्षचंडी यज्ञ में देश भर से आए पंडितों को दक्षिणा में करीब 50 लाख रुपये की पुरानी करंसी थमा दी गई। पंडितों का आरोप है कि जब उन्होंने पुरानी करंसी लेने से इन्कार किया तो आयोजकों ने उन पर पुलिस की लाठियां बरसाने की धमकी दी।

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भिवानी के महम गेट स्थित हरियाणा शेखावटी ब्रह्मचारी आश्रम में 4 से 12 दिसंबर तक लक्षचंडी महायज्ञ का आयोजन किया गया था। इसके लिए झांसी, वृंदावन, मथुरा, हरिद्वार सहित देशभर से करीब 2 हजार पंडितों को मंत्र उच्चारण के लिए बुलाया गया था, लेकिन करीब 1460 पंडित ही आयोजन में पहुंचे। नौ दिन तक तक चले इस महायज्ञ में राज्यपाल से लेकर अनेक मंत्री व विधायकों ने भाग लिया। सोमवार को समापन के बाद सभी पंडितों को दक्षिणा में 3500-3500 रुपये के हजार और 500 के पुराने नोट थमा दिए। पंडितों ने ये नोट लेने से इन्कार कर दिया जिस पर बवाल मच गया।

झांसी के पंडित जितेंद्र शास्त्री ने कहा कि इन्कार करने पर उनको जबरन पुराने नोट थमा दिए गए। उन्होंने बताया पुरानी करंसी लेकर जब स्टेशन पहुंचे तो रेलवे स्टॉफ ने टिकट देने से भी इन्कार कर दिया। झांसी के ही पंडित अजीत शास्त्री ने आरोप लगाया कि करंसी लेने से इन्कार करने पर आयोजकों ने उन पर लाठीचार्ज कराने की धमकी दी।

ऋषभ शास्त्री ने कहा कि पंडितों को इस तरह पुरानी करंसी थमा कर धोखा किया गया है। हम तो किसी तरह अपने घर पहुंच जाएंगे, लेकिन फिर कभी कोई बाहर का पंडित भिवानी नही आएगा। रघुवींद्र तिवारी का कहना है कि आयोजन में नौ दिन तक आहुति डालकर मंत्र उच्चारण किया, लेकिन यह सब व्यर्थ गया। दक्षिणा देने के नाम पर उनके साथ धोखा हुआ।

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संयोजक कमेटी के सदस्य आचार्य कृष्ण गोपाल का कहना है कि करीब दो हजार पंडितों को देशभर से यज्ञ के लिए वह खुद लेकर आए थे जिन्हें दक्षिणा देकर सम्मान दिया और किराये के लिए अलग से खुल्ले रुपये दिए, कोई परेशानी नही हुई।

कमेटी के संयोजक ऋषिप्रकाश शर्मा ने कहा कि धार्मिक कार्यक्रम में बाहर से बुलाए गए पंडितों का पूरा मान-सम्मान किया गया। उन्हें एक हजार व पांच सौ के नोटों के अलावा किराये के लिए खुल्ले पैसे भी दिए थे। खाने व रहने की पूरी व्यवस्था अभी भी है।

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