अज्ञात बीमारी से मैहड़ा में 50 दुधारू पशु की मौत
जागरण संवाददाता, चरखी दादरी : जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में अज्ञात बीमारी से दुधारू पशुओं की
जागरण संवाददाता, चरखी दादरी : जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में अज्ञात बीमारी से दुधारू पशुओं की मौत का सिलसिला नहीं थमने से पशुपालकों की ¨चता बढ़ गई है। जिले के गांव मेहड़ा में फैली इस बीमारी ने अब तक करीब 50 दुधारू पशुओं को मौत की नींद सुला दिया है। गांव के दुधारू पशुओं में आई अज्ञात बीमारी ने पशुपालकों में ¨चता देखी जा रही है। ग्रामीणों की मानें तो दो दिन बुखार आने के बाद पशु की मौत हो रही है। हालांकि पशुपालन विभाग की टीम ने कमान संभालते हुए उपचार शुरू कर दिया है। बावजूद इसके भैंसों की मौत का सिलसिला लगातार जारी है। पशुओं में आई बीमारी ने क्षेत्र में कोहराम मचा रखा है। बीते सात दिनों में कम से कम जिला के गांव मेहड़ा में करीब 50 पशुओं की इस अज्ञात बीमारी से मौत हो चुकी है। वहीं इतने ही पशु इस बीमारी से पीड़ित हैं। पशु चिकित्सकों के अनुसार यह बीमारी सर्दी के कारण गलघोटू या मुंहखुर की तरह ही है। साथ लगते प्रदेश के गांवों में पशुओं का व्यापार करने की वजह से इस बीमारी ने तेजी से पांव पसार लिए हैं। जिसके चलते कई गांवों के पशु इस अज्ञात बीमारी का शिकार हो गए हैं।
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बढ़ी पशुपालकों की ¨चता
राजस्थान से आई इस अज्ञात बीमारी के कारण पशुपालकों के चेहरों पर ¨चता की लकीरें साफ देखी जा सकती हैं। पशु पालक विनय कुमार, ईश्वर ¨सह, राजेश कुमार व सुरेश कुमार आदि ने बताया कि पिछले एक सप्ताह के दौरान उनके गांव में दुधारू पशुओं में आई अज्ञात बीमारी के कारण लगातार काल का ग्रास हो रहे हैं। ऐसे में उन्हें भी भय सता रहा है कि कहीं उनके पशु भी इस बीमारी का शिकार न हो जाएं।
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4 से 5 लाख में बिकी है भैंसें
पिछले तीन-चार सालों में मवेशियों के दामों में काफी उछाल आया है। चरखी दादरी, नारनौल, भिवानी व महेंद्रगढ़ में मुर्राह नस्ल की भैंसें चार से पांच लाख रुपये तक बिक चुकी हैं। वहीं अन्य नस्लों की भैंसों का भी दाम कम से कम 70 से 90 हजार रुपये की होती हैं। ऐसे में यदि एक भैंस की मौत होती है तो पशुपालकों को भारी आर्थिक नुकसान होता है। इसी बात को देखते हुए पशुपालक इस अज्ञात बीमारी से ज्यादा ¨चतित हैं।
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क्या कहते हैं अधिकारी
पशुपालन विभाग के उपमंडल अधिकारी डा. ईश्वर ¨सह का कहना है कि पशुओं में फैली इस अज्ञात बीमारी से बचाव के लिए विभाग कार्रवाई कर रहा है। मृत पशुओं के सैंपल लेकर जांच के लिए भेजे गए हैं। वहीं नि:शुल्क टीकाकरण भी किया जा रहा है। संभवत: यह बीमारी सर्दी के कारण पशुओं से फैली है। यह गलघोटू या मुंहखुर भी हो सकती है।