2 साल में ही 5 लाख के डस्टबिन हो गए गायब
संवाद सहयोगी लोहारू लोहारू में पहली बारिश ने ही नगरपालिका प्रशासन की पोल खोलकर रख दी
संवाद सहयोगी, लोहारू: लोहारू में पहली बारिश ने ही नगरपालिका प्रशासन की पोल खोलकर रख दी है। बारिश के बाद गंदगी के ढेर पर बदबू के गुबार उठने के साथ ही पालिका पर आरोपों की बौछार भी होने लगी। आरोप हैं कि 2017 में 5 लाख रुपए की लागत से खरीदे गए सवा सौ डस्टबिन में आज 20 फीसदी डस्टबिन भी कहीं नजर नहीं आ रहे हैं। न पालिका में इसका रिकॉर्ड है। आखिर ये गए कहां।
शुक्रवार को लोहारू में सुबह से ही झमाझम बारिश हुई। सड़कें और गलियां पानी से लबालब भर गई। बारिश का यह पानी न सीवर में जा पा रहा था और न नालियों में। वहीं जगह-जगह गंदगी के ढेर पड़े हुए थे। वार्ड नं. 9 निवासी करण गुप्ता ने कहा कि एसबीआई बैंक, पोस्ट ऑफिस रोड तथा डीएसपी ऑफिस के पास गंदगी के ढेर लगे रहते हैं। यहां पर पूर्व में डस्ट बिन रखे गए थे, लेकिन पता नहीं वे कहां गए। डस्टबिन के अभाव में लोग यहां पर खुले में ही एक निश्चित जगह पर कूड़ा डालने लगे। हवा चलने के कारण यह कूड़ा बिखर जाता है। पालिका कर्मचारी फिर इसे एकत्रित करके उठाने की जहमत नहीं उठाते। कर्मचारियों से आग्रह किया जाता है तो वे उपेक्षा करके आगे निकल जाते हैं। वहीं पानी के बीच में ही खड़े बिजली के पोल का विद्युत बॉक्स खुला पड़ा है। थोड़ी और बारिश होते ही पानी में इसमें घुसेगा तथा पूरी सड़क पर करंट आ जाएगा। यह सब लापरवाही पालिका प्रशासन व उसके ठेकेदारों की है।
पूर्व पालिका प्रधान प्रतिनिधि संजय खंडेलवाल ने कहा कि सन् 2017 में करीब 5 लाख रुपए की लागत से 125 डस्टबिन खरीदे गए थे। इन्हें जगह-जगह लगाया भी गया था। परंतु आज बमुश्किल 20 भी नगर में दिखाई नहीं दे रहे। आखिर ये गए कहां, कुछ नहीं पता। हालांकि इसके पीछे उन्होंने आवारा पशुओं को दोषी ठहराया है। आवारा पशुओं ने इनमें रखे कूड़े को निकालने के लिए इनमें सींग फंसाकर इन्हें तोड़ डाला। पालिका प्रशासन इन आवारा पशुओं का समाधान नहीं कर रही। इसके अलावा इसके पीछे उन्होंने बस स्टैंड पर जूस बनाने वाले तथा सब्जी विक्रेताओं जो सड़ी गली सब्जियां व जूस का कचरा खुले में फेंक देते हैं, उन्हें भी दोषी ठहराया है। उनका कहना है कि यदि सब्जी और जूस कचरा खुले में ना फेंका जाए तो आवारा पशु आएंगे ही नहीं। राजेश अग्रवाल ने कहा कि वार्ड नं. 9 में डीएसपी ऑफिस से सब्जी मंडी तक गंदे पानी की निकासी के लिए नाली ही नहीं बनवाई गई।