36 घंटे बाद भी पानी की नहीं हुई निकासी बनी परेशानी
जागरण संवाददाता, चरखी दादरी : तेज बारिश थमने के 36 घंटे बाद तक भी शहर के कई हिस्सों
जागरण संवाददाता, चरखी दादरी :
तेज बारिश थमने के 36 घंटे बाद तक भी शहर के कई हिस्सों से पानी नहीं निकल पाया। मानसून की पहली बारिश ने ही शहर में बरसाती नालों, सीवरेज व्यवस्था और अन्य सभी प्रबंधों की पोल खोल कर रख दी। बारिश थमने के घंटों बाद तक भी पानी दुकानों में नजर आया और शहर की सड़कें जलमग्न रही। यही नहीं शहर की कई मार्केटों की गलियां तो जोहड़ में तबदील हो गई। जहां से आने-जाने का रास्ता तक नहीं बचा। इसके बावजूद भी दादरी प्रशासन पुख्ता प्रबंधों के दावे करता नहीं थक रहा। दादरी उपायुक्त की ओर से अधिकारियों को बिना अनुमति कार्यालय न छोड़ने और हर समय तत्पर रहने के आदेशों के साथ ही पानी निकासी के सभी वैकल्पिक संसाधन पुख्ता रखने के निर्देश जारी किए, लेकिन धरातल के हालातों से सब कागजी लग रहे हैं। शहर में जलभराव के साथ ही बिजली, पानी का संकट भी गहराता जा रहा है। बारिश रुकने के बाद बनने वाली उमस और ऊपर से बिजली गुल रहने से जनजीवन काफी कठिन होता जा रहा है। बिजली कर्मचारियों की हड़ताल होने के चलते प्रशासन की ओर से आपूर्ति सुचारु रखने के और कोई वैकल्पिक प्रबंध भी नजर नहीं आ रहे। घंटों तक बिजली नहीं आ रही।
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परिषद काम्पलेक्स बना तालाब
शहर में स्वच्छता का ¨ढढोरा पीटने वाली नगर परिषद के अधिकारी, कर्मचारी सब अनजान बन बैठे हैं और स्वयं उनके काम्पलेक्स में गंदे पानी का तालाब बना है। हालात ये हैं कि कीचड़ बढ़ रहा है और काई जमने से बीमारियों का खतरा बना है। कॉम्पलेक्स के दुकानदार भी दूषित बरसाती जलभराव से खासे परेशान हैं और राहगीरों को भी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। स्वच्छता के नाम पर चेतना रैली निकालने, सेमीनार आयोजित करने के साथ ही पोस्टर, विज्ञापनों के माध्यम से लाखों रुपये खर्च किए गए, लेकिन धरातल पर नगर परिषद कॉम्पलेक्स से पानी 36 घंटे बाद भी नहीं निकल पाया है। पूरा कॉम्पलेक्स गंदे पानी की चपेट में है। यहां स्वयं नगर परिषद सचिव, चेयरमैन संजय छपारिया व अन्य अधिकारी और कर्मचारी गुजरते हैं। लेकिन इस तरफ कोई ध्यान नहीं है। महीनों पहले लाखों रुपये खर्च कर बिछाई गई इंटर लो¨कग कहीं नजर नहीं आ रही। हर तरफ जलभराव की स्थिति है।
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डिपो वर्कशॉप में भी पानी
दादरी शहर स्थित रोडवेज वर्कशॉप भी इन हालातों से जूझ रही है। यहां दूर-दूर तक गंदा पानी जमा है। पानी निकासी की समुचित व्यवस्था नहीं होने से यहां कार्यरत कर्मचारी परेशान हैं। बसों की वा¨शग तक की समस्या बन चुकी है। बरसाती पानी की निकासी नहीं होने से कीचड़ जमा हो गया है। लेकिन उच्चाधिकारियों को इससे कोई मतलब नहीं है। इन हालातों में सवाल उठता है जब सरकारी कार्यालयों, परिसरों में इन हालातों से निजात दिलाने को लेकर कोई गंभीर नहीं है तो रिहायशी इलाकों का रखवाला कौन बनेगा?