जनस्वास्थ्य विभाग में पानी के बिलों के मामले में 30 लाख रुपये से ज्यादा का घोटाला
जागरण संवाददाता, भिवानी : जन स्वास्थ्य विभाग में पानी के बिलों के मामले में 30 लाख रुपये का घोट
जागरण संवाददाता, भिवानी : जन स्वास्थ्य विभाग में पानी के बिलों के मामले में 30 लाख रुपये का घोटाला सामने आया है। बिल ब्रांच में पानी के बिलों के मामले में कितना जमा हुआ और कितनी रसीद काटी गई इस बारे में अधिकारी खुद मानते हैं।
खास बात देखिये कि मामला अधिकारियों के संज्ञान में होने के बाद भी अभी तक किसी के खिलाफ ठोस कार्रवाई तक नहीं की गई। ऐसे में यह भी माना जा रहा है कि कहीं अधिकारी इसमें खुद संलिप्त तो नहीं हैं। इसके अलावा यह भी कहा जा रहा है कि समय-समय पर ऑडिट होता है और ऑडिट अधिकारियों की नजर में भी यह घोटाला सामने नहीं आया। विभाग से जुड़े लोग मान रहे हैं कि यह ऑडिट के दौरान भी इस तरह के मामले सामने न आएं यह बात हजम नहीं होती। हरियाणा स्वाभिमान मंच के सचिव शिकायत में यह घोटाला आया सामने
हरियाणा स्वाभिमान मंच के सचिव सुनील गोयल एडवोकेट, उपाध्यक्ष नरेंद्र पंघाल एडवोकेट, खजांची सतीश कुमार एडवोकेट ने 19 सितंबर को जन स्वास्थ्य विभाग के अधीक्षक अभियंता को शिकायत दी थी कि गिगराज भगवानदास, पतराम गेट, श्रीराम मंदिर पटवान गली हालु बाजार भिवानी के बिल जमा तो करवाए हैं पर जमा की गई राशि नए बिल में जोड़ कर भेज दी गई। इसकी जांच की जाए। इस शिकायत के बाद एक्सईएन की अध्यक्षता में चार सदस्यीय कमेटी बनाई गई। इस कमेटी ने जांच में पाया कि शिकायतकर्ता के बिलों की रसीद मैनुअल काटी गई लेकिन बाद में इसे ऑनलाइन जमा नहीं किया। अब यह रुपया कहां गया विभागीय जांच का विषय है। इस मामले में दोषियों के खिलाफ अब तक कार्रवाई क्यों नहीं हो सकी इस पर शिकायतकर्ता सवाल उठा रहे हैं। यह थी शिकायत और जांच में यह आया सामने
शिकायतकर्ताओं ने बताया कि रेवेन्यू ब्रांच पब्लिक हेल्थ डिविजन द्वितीय में उन्होंने गिगराज भगवानदास पतराम गेट भिवानी और श्रीराम मंदिर के बिलों को लेकर शिकायत की थी।
गिगराज भगवानदास का पानी का बिल 1512 रुपये फरवरी 2018 तक था। इसके अलावा पटवान गली हालु बाजार भिवानी श्रीराम मंदिर त्रिवेणी देवी के नाम पर भी पानी का बिल फरवरी माह में जमा करा दिया था। लेकिन अगले बिल में फिर से पिछली राशि जोड़ दी गई। अगस्त माह में जो बिल आया उसमें पिछला भी जोड़ कर भेज दिया। इसकी शिकायत 19 सितंबर को अधीक्षक अभियंता जन स्वास्थ्य विभाग को दी। जांच के लिए चार सदस्यीय कमेटी गठित की गई। एक माह में रिपोर्ट देने का आश्वासन दिया गया।
गत 2 नवंबर को उनको जो रिपोर्ट मिली उसमें बिलों की राशि जमा नहीं दर्शाई गई थी। उनको संदेह है कि इस तरह की गड़बड़ी और भी बहुत मिल सकती हैं। सितंबर माह में 30 लाख से ज्यादा का राजस्व हुआ जमा
विभाग के रिकार्ड के अनुसार सितंबर माह में बिलों की राशि 30 लाख रुपये से ज्यादा जमा हुई। एक माह में अब तक जमा होने वाली सबसे बड़ी राशि है। एक ही दिन में 550 रसीद काटी गई जो असंभव है। 21 सितंबर को यूं कटी रसीद
21 सितंबर को 550 पानी के बिलों की रसीदें कटी। जो विभाग की रिपोर्ट के अनुसार असंभव है।
21 को ही कर्मचारियों की ओर से आधी रात 12 बजे 14 रसीदें काटी गई। जो एक ही समय काटी गई।
इन रसीदों में 12 बजे का ही समय दिखाया गया है।
विभाग की रिपोर्ट के अनुसार इन्होंने रात 9 बजे, सुबह 6 बजे भी रसीदें काटी गई हैं जो ऑफिस समय नही है। कब-कब हुआ रुपया जमा
विभागीय जानकारी के अनुसार किसी भी विभाग रुपया ट्रेजरी में प्रतिदिन जमा होना अनिवार्य है। लेकिन जनस्वास्थ्य विभाग में बिलों का रुपया माह में एक या दो बार ही जमा कराया जाता है।
छह माह के दौरान रुपया यूं हुआ जमा
अप्रैल माह में एक बार
मई में एक बार
जून में दो बार
जुलाई में दो बार
अगस्त में चार बार
सितंबर माह में 11 बार जमा कराया गया। चार सदस्यीय कमेटी में ये रहे शामिल
विशाल बंसल, एक्सईएन
गो¨बद सरदाना सेक्शन आफिसर
किरोड़ी कौशिक डिविजनल अकाउंटेंट
विजय कुमार डिप्टी सुप्रीटेंडेंट जन स्वास्थ्य विभाग में पानी के बिलों को मैनुअल जमा कराने वाले उनकी रसीद दिखाकर अपने बिलों की जांच कराएं। इस प्रकार की गड़बड़ियां सामने आ रही हैं कि भरे हुए बिल की मैनुअल रसीद तो थमा दी जाती है लेकिन ऑनलाइन जमा नहीं की जाती। इससे उनका बकाया बढ़ता जाता है। उपभोक्ता इस मामले में न्याय पाने के लिए हरियाणा स्वाभिमान मंच भिवानी से संपर्क कर सकते हैं।
सुनील गोयल एडवोकेट, सचिव
हरियाणा स्वाभिमान मंच