48 केंद्रों पर 2214 ने दी सक्षम परीक्षा
संवाद सहयोगी, बाढड़ा : बच्चों को उनकी कक्षा के ज्ञान तक सक्षम बनाने के लिए प्रदेश सरकार
संवाद सहयोगी, बाढड़ा :
बच्चों को उनकी कक्षा के ज्ञान तक सक्षम बनाने के लिए प्रदेश सरकार व शिक्षा विभाग द्वारा मंगलवार को खंड के 48 स्कूलों में संचालित परीक्षा केन्द्रों पर 2200 से अधिक ने सक्षम परीक्षा में भागीदारी की। परीक्षाओं को नकल मुक्त व पारदर्शी तरीके से आयोजित करने के लिए प्रदेश के मुख्यमंत्री कार्यालय के सुशासन सहयोगी के अलावा जिले व बाहरी जिलों के वरिष्ठ अधिकारी सारा दिन मोर्चा संभाले नजर आए। शिक्षा विभाग द्वारा बच्चों को उनकी कक्षा के लिए निर्धारित पाठय पुस्तकों के शिक्षा तक के ज्ञान में पूरी तरह निपुण बनाने के लिए बाढड़ा खंड के 46 स्कूलों में परीक्षा केन्द्र आयोजित किए गए थे। इनमें खंड के अलग-अलग स्कूलों की तीसरी, पांचवी व सातवीं कक्षा के लगभग 2200 बच्चों ने भागीदारी की। सक्षम परीक्षा के शांतिप्रिय व पारदर्शी तरीके से सफल संचालन के लिए मुख्यमंत्री के सुशासन सहयोग विपिन दुबे के अलावा उपजिला शिक्षा अधिकारी कुलदीप फौगाट, नारनौल के जिला शिक्षा अधिकारी अजीत सांगवान इत्यादि वरिष्ठ अधिकारी सारा दिन परीक्षा केन्द्रों का औचक जायजा लेते नजर आए।
उपायुक्त कार्यालय द्वारा सभी परीक्षा केन्द्रों के लिए नियंत्रण कक्ष स्थापित करते हुए आठ कलस्टरों में परीक्षाओं का संचालन किया गया। इनमें बाढड़ा मुख्यालय पर स्थित तीन परीक्षा केन्द्रों पर डीपीसी जेपी सभ्रवाल, डोहका हरीया क्षेत्र के चार केन्द्रों पर डिप्टी डीईओ कुलदीप फौगाट, पिचौपा कलां के चार केन्द्रों पर डिप्टी डीईओ प्रकाश फौगाट, बेरला स्थित चार परीक्षा केन्द्रों पर एपीसी विजेन्द्र दहिया, जीतपुरा विद्यालय के तीन परीक्षा केन्द्रों पर बीईओ दयानंद झोझू, कारीआदू परीक्षा केंद्र पर बीईओ श्रीकिशन शर्मा, द्वारका परीक्षा केन्द्र पर दादरी बीईओ विनोद श्योराण, हड़ौदी विद्यालय के परीक्षा केन्द्र पर बीईओ बौंद कुलदीप फौगाट सहित अन्य परीक्षा केन्द्रों पर सरकारी अमला व औचक निरीक्षण दस्ते सारा दिन परीक्षा केन्द्रों पर मुस्तैदी से डटे रहे। दोपहर बाद परीक्षा के शांतिप्रिय ढंग से आयोजन होने के बाद प्रशासन ने राहत की सांस ली।
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न्यायसंगत नहीं सक्षम परीक्षा
प्रदेश सरकार व शिक्षा विभाग द्वारा सरकारी विद्यालयों में बच्चों को उनकी कक्षा तक के पाठय सामग्री के सभी विषयों में सक्षम बनाने का अभियान चलाया जा रहा है लेकिन अब तक धरातल पर इन संस्थाओं के भरोसे बच्चों का उज्जवल भविष्य बनाने वाले अभिभावकों के लिए एक ¨चतनीय है। प्रदेश सरकार सरकारी शिक्षण संस्थाओं पर प्रतिवर्ष बहुत बड़ा बजट खर्च कर रही है लेकिन उसके बावजूद बच्चों का प्रतिस्पर्धा के दौर में पिछड़ने से रोकने के लिए अब सक्षम अभियान के नाम पर बच्चों को छह माह से मात्र एक परीक्षा के लिए तैयार करना न्यायसंगत नहीं है।