हड़ौदी हादसे में 22 परिवारों के बुझ गए थे चिराग
बाढड़ा के समीप घटित हुई भीषण सड़क दुर्घटना में 22 लोगों की दर्दना
पवन शर्मा, बाढड़ा : बाढड़ा के समीप घटित हुई भीषण सड़क दुर्घटना में 22 लोगों की दर्दनाक मौत के दिल दहलाने वाले मंजर को घटित हुए भले ही 18 साल का लंबा समय बीत गया हो लेकिन उसे याद कर आज भी रूह कांप उठती है। प्रदेश सरकार ने भी नौ लाख की राशि उनके परिजनों व 25 लाख की राशि उनके स्मारक के लिए जारी कर दी। लेकिन कई परिवारों में मुखियाओं के चले जाने के बाद महिलाओं को मजबूरन अपने परिजनों का पेट पालने के लिए बड़ी जिम्मेदारी संभालनी पड़ रही है। जिस बिजली आपूर्ति की मांग को लेकर ग्रामीणों ने अपने प्राणों की आहुति दी थी वही समस्या आज भी ज्यों की त्यों बनी हुई है। 12 जनवरी 2002 को हड़ौदी गांवों के ग्रामीणों का प्रतिनिधिमंडल अपनी बिजली समस्या के लिए बाढड़ा के बिजली निगम एसडीओ कार्यालय गया था। जब वह वापस अपने गांव लौट रहे थे तो कस्बे से निकलते ही सामने से आ रहे एक ट्रक व उनकी टाटा 407 गाड़ी में सीधी भिड़ंत हो गई। इस सड़क दुर्घटना में 18 ग्रामीणों व चार बिजली कर्मचारियों की मौके पर ही मौत हो गई। दुखद यादें है जहन में ताजा
हड़ौदी सड़क हादसे के मृतकों के आश्रित राजपाल, कृष्ण संजय, बोबदी, निर्मला, रिसालो देवी से बातचीत की तो घटना का जिक्र करते ही भाव विह्ल हो गए। उन्हें अपने मुखियाओं के खोने का अधिक गम है। तात्कालीन प्रदेश सरकार ने इतना बड़ा हादसा घटित होने के बावजूद उनकी सहायतार्थ कोई कदम भी नहीं उठाया। इसके बाद प्रदेश में सत्ता परिवर्तन हुआ लेकिन सत्तारुढ़ सरकार भी अपने वायदों पर खरी नहीं उतरी। इसके कारण वे आज बड़ी विषम हालातों से जूझ रहे है। सरपंच सुनीता श्योराण, भाकियू नेता राजकुमार हड़ौदी, समाजसेवी जगवीर सिंह चांदनी, इंजीनियर सुनील हड़ौदी, सुरेंद्र कुमार, विजय, संजय नंबरदार इत्यादि ने कहा कि पीड़ित परिवारों को सरकार को नैतिकता के आधार पर सहायता उपलब्ध करवानी चाहिए थी। पीड़ितों के आश्रितों को नौ वर्ष गुजरने के बाद कांग्रेस सरकार ने मात्र 50-50 हजार रुपये की आर्थिक सहायता तो मुहैया करवाई लेकिन रोजगार के नाम पर अब तक किसी परिजन को सरकारी नौकरी तक नहीं मिल पाई। शहीद स्मारक पर खर्च हुए 25 लाख
पूर्ववर्ती सरकार में सांसद श्रुति चौधरी व मौजूदा सांसद धर्मबीर सिंह ने पंचायत मंत्रालय के कोष से इन मृतक किसानों की याद में शहीद स्मारक निर्माण के लिए 25 लाख की राशि जारी की। जिससे सात साल बाद काम पूरा हो पाया। भाकियू अध्यक्ष धर्मपाल बाढड़ा व महासचिव हरपाल भांडवा ने बताया कि गांव के स्मारक स्थल पर 12 जनवरी को हर वर्ष श्रद्धांजलि सभा आयोजित की जाती है। इस बार भी यह आयोजन यहां होगा और स्मारक स्थल पर एनएसएस स्वयंसेवक रक्तदान करेंगे। बड़ी मुश्किल से उभरे हैं ग्रामीण: सुनीता
हड़ौदी की महिला सरपंच सुनीता श्योराण व समाजसेवी सुनील इंजीनियर ने कहा कि गांव के लिए यह सड़क दुर्घटना एक बड़ा हादसा था। लेकिन समय के साथ ग्रामीण इस दुखद घड़ी से भी उभर चुके हैं। आज प्रत्येक घर से एक या दो युवक केंद्र या प्रदेश सरकार की नौकरी में लगकर देश सेवा कर रहे हैं। वहीं ग्रामीण भी कृषि के बदलते स्वरूप में आधुनिकीकरण के साथ अपने आप को ढाल चुके हैं।