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1035 औद्योगिक इकाइयों को 21 करोड़ की मरहम

बलवान शर्मा भिवानी कोरोना काल में चल रही आर्थिक मंदी के दौर में बैंकों ने जिले की औद्योि

By JagranEdited By: Published: Wed, 24 Jun 2020 07:10 AM (IST)Updated: Wed, 24 Jun 2020 07:10 AM (IST)
1035 औद्योगिक इकाइयों को 21 करोड़ की मरहम
1035 औद्योगिक इकाइयों को 21 करोड़ की मरहम

बलवान शर्मा, भिवानी: कोरोना काल में चल रही आर्थिक मंदी के दौर में बैंकों ने जिले की औद्योगिक इकाइयों को संकट की घड़ी में राहत प्रदान करने का कार्य किया है। हालांकि देखने वाली बात यह होगी कि इस राहत से जिले के उद्योगों को कितना फायदा मिलता है। जिले में विभिन्न बैंकों ने 1035 औद्योगिक इकाइयों को 21 करोड़ रुपये ऋण राहत भरी शर्तों के आधार पर दिया है, ताकि वे संकटकाल में खुद को निकालने में कामयाब हो सकें।

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गौरतलब है कि कोरोना वायरस की वजह से 23 मार्च के बाद से लॉकडाउन करीब ढाई महीने तक चला और इसके बाद भी हालातों में कोई बड़ा सुधार नहीं हुआ है। लगातार कोरोना पॉजिटिव मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी दर्ज हो रही है। वेतन के अभाव में बाहर से आए मजदूर अपने अपने प्रदेशों में जा चुके हैं और इसका सबसे बड़ा खामियाजा औद्योगिक इकाइयों को उठाना पड़ रहा है। काम करने वाले मजदूर नहीं मिल रहे हैं और इन हालात में औद्योगिक क्षेत्र बुरी तरह से आर्थिक मंदी के दौर से गुजर रहे हैं। इस संकट के दौर में रिजर्व बैंक के आदेश पर विभिन्न बैंकों ने औद्योगिक इकाइयों को ऋण देने का फैसला किया है। इसी के तहत जिले की 1035 इकाइयों को ऋण देने की अप्रूवल बैंकों द्वारा दी जा चुकी है। इन इकाइयों को बैंकों द्वारा 21 करोड़ रुपये बतौर ऋण दिए जा रहे हैं।

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इन शर्तों पर दिया जा रहा है ऋण

एलडीएम(लीड बैंक मैनेजर) बीएल धींगड़ा ने बताया कि इन इकाईयों को चार साल की अवधि के लिए ऋण दिया जा रहा है, जिसमें पहले एक साल में केवल ब्याज का भुगतान करना होगा। शेष तीन साल में कर्ज लौटाना होगा।

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क्या कहते हैं इंडस्ट्रियल एसोसिएशन के प्रधान

भिवानी इंडस्ट्रियल एसोसिएशन के प्रधान धर्मबीर नेहरा ने कहा कि 21 करोड़ रुपये ऋण देने की योजना उद्योगों को बचाने के लिए कतई कारगर साबित नहीं होगी। क्योंकि अधिकांश उद्योगों में भारी घाटा चल रहा है। राहत तब मिलती, जब पहले से लिए हुए कर्ज का कम से कम ब्याज तो माफ करते। अब तो और ऋण लेने की बात कर कर्जे तले दबाने के प्रयास किए जा रहे हैं। मैने यह पक्ष उपायुक्त के साथ हुई बैठक में भी रखा था। उन्होंने कहा कि एक फैक्ट्री का कम से कम एक लाख रुपये तो फिक्स खर्च है।


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