एनसीआर में प्रदूषण के चलते एक पखवाड़े से 200 क्रशर बंद
एनसीआर में प्रदूषण के चलते लगभग एक पखवाड़े से खानक में क्रशर बंद पड
प्रवीण सांगवान, तोशाम : एनसीआर में प्रदूषण के चलते लगभग एक पखवाड़े से खानक में क्रशर बंद पड़े हुए हैं जिसका असर क्रशर रोड़ी के भावों पर भी पड़ा है। जिलें में प्रदूषण को लेकर गत 10 नवंबर से एनजीटी के निर्देशानुसार सभी क्रशर इकाइयों व फैक्ट्रियां बंद कर दिए थे। इसके चलते विद्युत विभाग ने खानक व डाडम के क्रशरों की बिजली आपूर्ति बंद कर दी थी। बिजली कट जाने के बाद खानक व आसपास की लगभग 200 क्रशर इकाइयों बंद हो गई थी। क्रशर इकाइयों के बंद होने से क्रशर मालिक को प्रति सप्ताह तीन से चार लाख रुपये का घाटा हो रहा है।
वहीं क्रशर इकाई बंद होने के कारण क्रशर व रोड़ी की कीमतों में 250 रुपये से ज्यादा प्रति टन बढ़ोतरी हो गई है और लगभग क्रशरों का स्टाक भी खत्म हो गया है। जिस कारण मकान बनाने व अन्य कार्यों के लिए इस्तेमाल सामग्री नहीं मिलने से काम भी बंद हो गए हैं। इससे क्षेत्र के लोगों में एक बार फिर रोजगार पाने के लिए भाग दौड़ शुरू हो गई है। पहले क्रशर का भाव 500-550 रुपये प्रति टन रुपये था, वहीं अब इसके रेट में बढ़ोतरी होकर यह 750 से 800 रुपये प्रति फुट हो गया है।
क्रशर मालिकों ने क्रशर इकाइयों को तुरंत प्रभाव से सरकार से खोलने की मांग की है। क्रशर इकाइयों को बिजली बिलों में छूट सहित अन्य टैक्सों में भी छूट देने का अनुरोध किया है।
खानक स्टोन क्रशर एसोसिएशन के प्रधान रमेश श्योराण बागनवाला ने बताया कि प्रदूषण नियंत्रण विभाग द्वारा अनिश्चित काल के लिए क्रशरों को बंद करने के निर्णय गलत है। पहले कोरोना के कारण क्रशर बंद थे। उन्होंने बताया कि एनसीआर का बहाना बनाकर हर वर्ष क्रशरों को बंद कर दिया जाता है जबकि खानक से दिल्ली 100 किलोमीटर दूर है। क्रशर मालिकों को तीन से चार लाख रुपये प्रति सप्ताह के हिसाब से नुकसान उठाना पड़ रहा है और आम आदमी को भी निर्माण सामग्री महंगी मिलने लगी है। साथ ही सरकार को भी राजस्व का भारी नुकसान होता है। सरकार को तुरंत क्रशर को चलाने के आदेश देने चाहिए क्योंकि इनके बंद होने से सभी को नुकसान हो रहा है।