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..क्योंकि पानी की एक-एक बूंद कीमती है

जल प्रकृति की अनमोल धरोहर है। बिना पानी के जीवन संभव नहीं है। पीने के लिए शुद्ध जल हमारे लिए जरूरी है क्योंकि स्वच्छ एवं सुरक्षित जल अच्छे स्वास्थ्य की कुंजी है। धरती के दो तिहाई हिस्से पर पानी भरा हुआ है। फिर भी पीने योग्य शुद्ध जल पृथ्वी पर उपलब्ध जल का मात्र एक फीसद हिस्सा ही है। 97 फीसद जल महासागर में खारे पानी के रूप में भरा हुआ है। शेष रहा दो फीसद जल बर्फ के रूप में जमा है। आज समय है कि हम पानी की कीमत समझें। यदि जल व्यर्थ बहेगा तो आने वाले समय में पानी की कमी एक महासंकट बन जाएगा। इसी व्यर्थ बहते जल को हमें बचाना है क्योंकि एक-एक बूंद कीमती है। आने वाले संकट से जूझने के लिए गांव सांखोल में युवाओं की एक टोली जल बचाने में जुटी हुई है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 27 May 2020 06:00 AM (IST)Updated: Wed, 27 May 2020 06:15 AM (IST)
..क्योंकि पानी की एक-एक बूंद कीमती है
..क्योंकि पानी की एक-एक बूंद कीमती है

जागरण संवाददाता, बहादुरगढ़ : जल प्रकृति की अनमोल धरोहर है। बिना पानी के जीवन संभव नहीं है। पीने के लिए शुद्ध जल हमारे लिए जरूरी है, क्योंकि स्वच्छ एवं सुरक्षित जल अच्छे स्वास्थ्य की कुंजी है।

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आज समय है कि हम पानी की कीमत समझें। यदि जल व्यर्थ बहेगा तो आने वाले समय में पानी की कमी एक महासंकट बन जाएगा। इसी व्यर्थ बहते जल को हमें बचाना है, क्योंकि एक-एक बूंद कीमती है। आने वाले संकट से जूझने के लिए गांव सांखोल में युवाओं की एक टोली जल बचाने में जुटी है। संघर्षशील जन कल्याण समिति से जुड़े इंद्रजीत हाडा, संजय कलसन, रिटायर्ड मेजर सुधीर राठी, प्रवीण राठी, कर्मवीर राठी, नरेंद्र धनखड़, हरिओम राठी, छोटी राठी आदि युवाओं ने देखा कि जब भी गांव में पानी की सप्लाई होती है तभी नलों से व्यर्थ पानी बहता रहता है। गांव में एक हजार से ज्यादा कनेक्शन हैं। इनमें से अधिकांश कनेक्शनों पर टोंटी या कैप नहीं लगी हुई थी। करीब एक घंटे की पेयजल सप्लाई में से आधा समय इन नलों से पानी बहता रहता है। इस टोली में शामिल नरेंद्र धनखड़ प्रशासन की जल संरक्षण टीम से जुड़े हुए थे। ऐसे में उन्होंने सोचा कि जब उनके ही गांव में ही पानी व्यर्थ बह रहा है तो मेरा जल संरक्षण टीम का सदस्य होना व्यर्थ। करीब तीन माह पहले नरेंद्र ने यह बात अपनी समिति के सदस्यों को बताई तो नलों से व्यर्थ बहते पानी को बचाने का निर्णय लिया गया। समिति के सदस्यों ने लोगों को जागरूक करने के साथ-साथ इन नलों पर कैप व टोंटी लगाने का अभियान छेड़ दिया। तब से लेकर अब तक समिति के सदस्य हर रविवार को इकट्ठा होकर नलों पर कैप व टूंटी लगाने का काम करते हैं। 250 से ज्यादा नलों पर कैप व टोंटी लगाई

नरेंद्र बताते हैं कि अब तक 250 से ज्यादा कनेक्शनों के नलों पर कैप व टोंटी लगाई जा चुकी हैं। अब भी काफी संख्या में घरों में लगे कनेक्शनों के नलों पर टोंटी लगाना शेष है। इन पर भी जल्द ही टोंटी लगाकर पानी को बचाने का प्रयास किया जाएगा। लॉकडाउन की वजह से उनके इस अभियान में थोड़ी रुकावट आई है। मगर जल्द ही फिर से जल संरक्षण का यह अभियान शुरू किया जाएगा। 50 हजार लीटर पानी हर रोज बचाया

जलापूर्ति एवं स्वच्छता विभाग की ओर से प्रति व्यक्ति 55 लीटर पानी की सप्लाई की जाती है। गांव सांखोल में करीब 28 जोन हैं। 14-14 जोन करके एक दिन एक जोन में 14 घंटे तक पानी की सप्लाई की जाती है। गांव में करीब डेढ़ लाख लीटर पानी की सप्लाई होती है। विभाग का अनुमान है कि अगर 250 कनेक्शनों पर टोंटी लगाई है तो कम से कम 50 हजार लीटर पानी की बचत हर रोज हो गई।

समिति से जुड़े कई युवा गांव में जल संरक्षण के प्रति अच्छा काम कर रहे हैं। पहले पेयजल कनेक्शनों से व्यर्थ ही पानी बहता रहता था। मगर अब समिति सदस्यों ने भारी संख्या में कनेक्शनों पर टोंटी व कैप लगा दी, जिससे अब नालियों में पानी व्यर्थ बहता नहीं दिखता।

-हुक्म सिंह राठी, सरपंच, गांव सांखोल।

सांखोल के युवाओं की ओर से पेयजल बचाने के लिए कनेक्शन पर कैप व टोंटी लगाना एक अच्छी पहल है। अगर सभी गांवों व शहरी क्षेत्र में पानी को बचाने की इस तरह की पहल हो तो जल संकट का सामना ही नहीं करना पड़ेगा।

-अनिल रोहिल्ला, उपमंडल अभियंता, जलापूर्ति एवं स्वच्छता विभाग, बहादुरगढ़।


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