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मानसून हो रहा लेट, नहरों से बढ़ी पानी चोरी तो विभाग ने रात्रि गश्त भी बढ़ाई

मानसून के सक्रिय होने में अब एक-एक दिन की देरी नहरों से पानी की चोरी की वजह बन रही है। फसलों का रकबा बढ़ गया है। सभी जगह सिचाई के लिए पानी की दरकार है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 27 Jun 2020 10:00 AM (IST)Updated: Sat, 27 Jun 2020 10:00 AM (IST)
मानसून हो रहा लेट, नहरों से बढ़ी पानी चोरी तो विभाग ने रात्रि गश्त भी बढ़ाई
मानसून हो रहा लेट, नहरों से बढ़ी पानी चोरी तो विभाग ने रात्रि गश्त भी बढ़ाई

जागरण संवाददाता, बहादुरगढ़ : मानसून के सक्रिय होने में अब एक-एक दिन की देरी नहरों से पानी की चोरी की वजह बन रही है। फसलों का रकबा बढ़ गया है। सभी जगह सिचाई के लिए पानी की दरकार है। ऊपर से अब धान की रोपाई शुरू हो गई है। ऐसे में नहरों से पानी की चोरी बढ़ रही है। दूसरी और सिचाई विभाग ने चोरी रोकने के लिए रात में गश्त बढ़ा दी है।

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दरअसल, सिचाई के लिए माइनर अलग हैं और पेयजल व्यवस्था के लिए अलग। सिचाई माइनरों में एक महीने के अंदर पर एक सप्ताह के लिए पानी छोड़ा जाता है। जबकि पेयजल व्यवस्था के लिए माइनरों में पानी की सप्लाई इमरजेंसी कारणों के अलावा कभी नहीं रुकती। एक सप्ताह की सप्लाई में सिचाई की दरकार कभी पूरी नहीं हो पाती। क्षेत्र में भू-जल लवणीय है। ऐसे में जिन नहरों-माइनरों में पानी की सप्लाई निरंतर जारी रहती है, उनसे पानी की चोरी बढ़ जाती है। इन दिनों ऐसा ही हो रहा है। जीडब्ल्यूसी और छोटी माइनरों से हो रहा पानी चोरी

सिचाई माइनरों में तो पानी की चोरी तभी हो पाती है जब इनमें पानी छोड़ा जाता है, मगर जीडब्ल्यूसी (गुरुग्राम वाटर चैनल) और अन्य छोटी माइनर जो वाटर व‌र्क्स से जोड़ी गई हैं, उनमें पानी की चोरी लगातार होती है। ऐसे में इन दिनों सिचाई विभाग की ओर से रात्रि गश्त बढ़ा दी गई है। तावान वसूलने और केस दर्ज की हो रही कार्रवाई

सिचांई विभाग अधिकारियों के अनुसार रात्रि गश्त में जहां पर नहरों-माइनरों में पानी चोरी के लिए पाइप मिलते हैं, वहां पर संबंधित खेत मालिक से तावान (जुर्माना) वसूलने और केस दर्ज की कार्रवाई हो रही है। इस पानी चोरी के कारण ही सभी माइनरों में आखिरी छोर तक पानी या तो पहुंच ही नहीं पाता, या फिर कम पहुंचता है। 30 फीसद तक कम हो जाता है पानी

जीडब्यलूसी नहर का निर्माण वर्ष 1990 में गुरुग्राम तक पानी पहुंचाने के लिए किया गया था। वर्तमान में इससे बीच में आने वाले क्षेत्रों को भी पानी दिया जा रहा है। मगर अधिकारियों का कहना है जब पानी की चोरी बढ़ती है तो आखिरी छोर तक 30 फीसद तक पानी चोरी के कारण ही कम हो जाता है। जिन नहरों-माइनरों से पानी की चोरी ज्यादा होती है उनका पानी पीने के लिए सप्लाई किया जाता है। मगर इसको बीच में चोरी किया जाता है। इसको रोकने के लिए विभाग सक्रिय है। रात में गश्त की जा रही है।

विनोद कुमार, एसडीओ, सिचाई विभाग।


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