ट्रांसपोर्टर्स ने नहीं की बु¨कग, उद्योगों में अटका रहा करोड़ों का माल
राजस्थान और मध्यप्रदेश समेत कई राज्यों में बार्डरों पर अवैध वसूली से आक्रोशित ट्रांसपोर्टरों ने सोमवार को उद्योगों से माल नहीं भरा। यहां से तमाम ट्रांसपोर्टर दिल्ली में जंतर-मंतर पर पहुंचे और व्यवस्था को लेकर आक्रोश जताया। बाद में केंद्र सरकार को ज्ञापन भी सौंपा। ट्रांसपोर्टरों का कहना है कि यदि सरकार ने भ्रष्टाचार न रोका और उनकी मांग न मानी तो वे अपनी गाड़ियां और परमिट सरकार को सौंप अपने घर बैठने को मजबूर होंगे।
जागरण संवाददाता, बहादुरगढ़ :
राजस्थान और मध्यप्रदेश समेत कई राज्यों में बार्डरों पर अवैध वसूली से आक्रोशित ट्रांसपोर्टरों ने सोमवार को उद्योगों से माल नहीं भरा। यहां से तमाम ट्रांसपोर्टर दिल्ली में जंतर-मंतर पर पहुंचे और व्यवस्था को लेकर आक्रोश जताया। बाद में केंद्र सरकार को ज्ञापन भी सौंपा।
ट्रांसपोर्टर्स का कहना है कि यदि सरकार ने भ्रष्टाचार न रोका और उनकी मांग न मानी तो वे अपनी गाड़ियां और परमिट सरकार को सौंप अपने घर बैठने को मजबूर होंगे।
भाईचारा ऑल इंडिया ट्रक ऑपरेटर वेलफेयर एसोसिएशन के बैनर तले दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरना देने के लिए सोमवार को बहादुरगढ़ से तमाम ट्रांसपोर्ट यूनियनों के प्रतिनिधि पहुंचे। यहां पर कुल मिलाकर छोटी व बड़ी 16 यूनियन हैं। इनसे आठ हजार से ज्यादा वाहन हैं। रोजाना बहादुरगढ़ क्षेत्र की फैक्टरियों से करीब एक हजार वाहनों में माल लोड होता है, मगर दिल्ली में धरने के चलते सोमवार को यहां की सभी यूनियनों में ताले लटके रहे। नई बु¨कग नहीं हुई जिससे गाड़ियों के पहिये भी थम रहे। ट्रांसपोर्टर्स बोले: भ्रष्टाचार और गुंडागर्दी सहन नहीं ट्रांसपोर्टर्स का कहना है कि कई राज्यों में सीमाओं पर जबरदस्त भ्रष्टाचार है। सरकारी तंत्र की गुंडागर्दी का शिकार होना पड़ता है। एसोसिएशन के प्रदेश प्रभारी भूप ¨सह जून, प्रदेश अध्यक्ष राजेश दलाल, राष्ट्रीय प्रवक्ता राजेंद्र अरोड़ा व अन्य पदाधिकारियों ने बताया कि कई राज्यों में जिले के बार्डरों पर अवैध वसूली अब सहनीय नहीं है। यदि इसे नहीं रोका गया तो वे गाड़ियों को संबंधित आरटीए कार्यालयों के परिसर में खड़ी करके चाबी और परमिट सौंपकर अपने घर बैठ जाएंगे। एक राज्य से दो बार गाड़ी क्रॉ¨सग पर ही 15 से 16 हजार रुपये तो अवैध वसूली देनी पड़ती है। न दें तो किसी न किसी बहाने और जोर जबरदस्ती से भारी भरकम चालान काटे जाते हैं। पूरे देश में करीब एक करोड़ व्यवसायिक वाहन हैं। छह करोड़ लोगों को ट्रांसपोर्ट से रोजगार मिलता है। यदि सरकार ने इस तरफ ध्यान न दिया तो यह व्यवसाय ठप हो जाएगा। ये भी हैं मांगे
- राज्यों के बार्डर पर पुलिस व आरटीए के भ्रष्टाचार से निजात दिलाई जाए।
- रोड टैक्स और टोल टैक्स में से एक ही टैक्स हो। टोल प्लाजा के लिए प्रत्येक राज्य का एक ही टोकन होना चाहिए।
- ट्रांसपोर्ट इंडस्ट्री की समस्या के समाधान को तंत्र खड़ा हो। टोल फ्री नंबर दिया जाए।
- गाड़ियों के वजन में बढ़ोतरी हुई है तो माल की ऊंचाई भी बढ़नी चाहिए। मालवाहक ट्रैक्टर-ट्रालियों पर रोक लगे।
- हैवी लाइसेंस के लिए शैक्षिक योग्यता की शर्त हटे। अनपढ़ युवकों का भी ड्राइ¨वग लाइसेंस बनें।
- आयकर अधिनियम की धारा 44एई में जो अनुमानित आय तीन गुना बढ़ी है, उसे वापस लिया जाए
- थर्ड पार्टी इंश्योरेंस की राशि में की गई बढ़ोतरी को वापस लिया जाए
- डीजल को जीएसटी के दायरे से बाहर कर किसानों और ट्रांसपोर्टरों को बचाया जाए।
- ग्रीन टैक्स की वसूली प्रदूषण रोकने का उपाय नही है। इस पर सरकार को सोचना चाहिए।