आंदोलन के मंच से गैर कृषि मुद्दों को लेकर केंद्र व राज्यों की सरकारों पर साध रहे निशाना
करीब तीन महीने से चल रहा आंदोलन केंद्र सरकार द्वारा पारित तीन कानूनों को लेकर शुरू हुआ
करीब तीन महीने से चल रहा आंदोलन केंद्र सरकार द्वारा पारित तीन कानूनों को लेकर शुरू हुआ। फोटो-17:
जागरण संवाददाता, बहादुरगढ़ :
कृषि कानूनों के विरोध में चल रहे आंदोलन के मंच से गैर कृषि मुद्दे भी खूब उछलने लगे हैं। धीरे-धीरे अब मंच से बोलने वाले वक्ताओं का अंदाज ठीक वैसा नजर आने लगा है जैसे कोई राजनेता एक मसले पर बात न करके तमाम बातों पर सत्तारूढ़ दल पर निशाना साधते हैं। करीब तीन महीने से चल रहा आंदोलन केंद्र सरकार द्वारा पारित तीन कानूनों को लेकर शुरू हुआ। कृषि से जुड़ी तीन अन्य मांग भी रखी गई, लेकिन केंद्र के साथ-साथ प्रदेश की भाजपा-जजपा सरकार के अलावा अब तो उत्तर प्रदेश की सरकार को भी कृषि से इतर किसी न किसी बात को लेकर निशाने पर लिया जा रहा है। किसान संगठनों के नेता इस तरह की बातों को किसी भी तरह से आंदोलन के विषय से अलग नहीं मान रहे हैं, परंतु विश्लेषकों का मानना है कि आंदोलन में शामिल प्रदर्शनकारियों के अंदर पार्टी विशेष के प्रति आक्रोश को हाई लेवल पर रखने की कोशिश में ही इस तरह की बातें उठाई जा रही है। इसी कड़ी में शुक्रवार को यहां टीकरी बॉर्डर के मंच से उत्तर प्रदेश में एक आपराधिक घटना को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार को खूब कोसा गया। साथ में केंद्र सरकार की नीतियों पर भी सवाल उठाया गया। बाद में उत्तर प्रदेश की घटना को लेकर रोष मार्च निकालने का फैसला किया गया। दिन भर यहां पर सभा चलती रही। प्रदेश के कई गांवों से पहुंची महिलाओं ने मंच पर अपने गीतों में आंदोलन को पिरोते हुए सरकार से तीनों कानूनों की वापसी की मांग की। कई बच्चों द्वारा भी मंच पर कृषि कानूनों विरोधी नारे लगाए गए। इस बीच आंदोलनकारी सरकार से वार्ता का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन साथ में यह भी दोहरा रहे हैं कि उनकी जो मांग पहले दिन थी, वे यथावत हैं।