आवारा कुत्तों का होगा बधियाकरण, नगर परिषद लगाएगी टेंडर
शहर में आवारा कुत्तों की बढ़ती संख्या पर अंकुश लगाने के लिए नगर परिषद की ओर से उनका बधियाकरण किया जाएगा। इसके लिए पिछले दिनों हुई नगर परिषद बोर्ड की बैठक में एजेंडा पास हो रखा है और अब नप की ओर से टेंडर लगाकर कुत्तों का बधियाकरण किया जाएगा। नप के सचिव ने तकनीकी शाखा को कुत्तों के बधियाकरण करने के लिए टेंडर लगाने के आदेश दिए हैं।
फोटो- 101: - लोगों को आवारा कुत्तों से छुटकारा दिलाने के लिए नगर परिषद की ओर से की जाएगी पहल जागरण संवाददाता, बहादुरगढ़:
शहर में आवारा कुत्तों की बढ़ती संख्या पर अंकुश लगाने के लिए नगर परिषद की ओर से उनका बधियाकरण किया जाएगा। इसके लिए पिछले दिनों हुई नगर परिषद बोर्ड की बैठक में एजेंडा पास हो रखा है और अब नप की ओर से टेंडर लगाकर कुत्तों का बधियाकरण किया जाएगा। नप के सचिव ने तकनीकी शाखा को कुत्तों के बधियाकरण करने के लिए टेंडर लगाने के आदेश दिए हैं। बहुत जल्द ही शहर में यह प्रकाशित शुरू कर दी जाएगी। गौरतलब है कि शहर की जनता गली के आवारा कुत्तों से बड़ी परेशान है। शहर के मुख्य बाजार हों, पॉश कालोनी, सेक्टर या गली मुहल्ले की सड़कें हों, हर क्षेत्र में आवारा कुत्ते आमतौर देखे जा सकते हैं। आवारा कुत्तों के काटने की घटनाएं भी काफी संख्या में बढ़ गई हैं। गलियों से गुजरने वाले लोगों को ये कुत्ते काट लेते हैं, जिसके चलते पीड़ित लोगों को एंटी रैबिज इंजेक्शन लगवाने पड़ते हैं। शहर में लेब्रा डॉग व जर्मन शेफर्ड के अधिक हैं शौकीन:
कुत्ते पालने के शौकीन की बात करें तो बहादुरगढ़ के लोगों को लेब्रा डॉग की नस्ल बेहद पसंद है। इसके बाद जर्मन शेफर्ड, पग और रोट व्हीलर शामिल हैं। यहां पर लेब्रा की संख्या अधिक है। समझदारी और सूंघने की शक्ति भी इस नस्ल की बेहतर होती है। इसके अलावा साधारण डाइट से भी इनका पालन हो जाता है। इससे इनको पालने का खर्च भी कम रहता है। इसके अलावा सुरक्षा की ²ष्टि से लोग जर्मन शेफर्ड पालना पसंद करते है। इसके अलावा देसी कुत्ते को पालने के शौकीन भी शहर में मौजूद हैं। पालतू कुत्तों की संख्या तो शहर में बहुत है लेकिन अब तक नगर परिषद की ओर से एक भी शहरवासी ने पंजीकरण नहीं कराया है। सिविल अस्पताल में हर रोज कुत्ते काटने के आ रहे पांच-छह नए केस:
सिविल अस्पताल में कुत्ते काटने के हर रोज पांच-छह नए केस आते हैं। साथ ही यहां पर बंदर, बिल्ली व अन्य जानवरों के काटने के भी केस आते हैं। यहां पर एंटी रैबिज इंजेक्शन लगवाने के लिए लोग आते हैं। कई बार एंटी रैबिज इंजेक्शन खत्म भी हो जाते हैं तो लोगों को बाहर से महंगे दामों पर इंजेक्शन लगवाना पड़ता है लेकिन सिविल अस्पताल में 100 रुपये में एक बार इंजेक्शन लगता है। वर्जन.
नगर परिषद की ओर से आवारा कुत्तों की बढ़ रही संख्या पर काबू पाने के लिए उनका बधियाकरण करने के निर्णय लिया है। पिछले दिनों नप बोर्ड की बैठक में इसका प्रस्ताव पास किया गया था। अब जल्द ही टेंडर लगाकर आवारा कुत्तों का बधियाकरण किया जाएगा।
--बलबीर सिंह, मुख्य सफाई निरीक्षक, नगर परिषद।