साहब..रैन बसेरा तो मिला है, पर शौचालय छीन लिया
साहब..रैन बसेरा तो मिला है, पर शौचालय छीन लिया
जागरण संवाददाता, बहादुरगढ़ : रात को 10:40 बजे का समय है। रेलवे स्टेशन से 200 मीटर दूर पोटा केबिन में बने अस्थायी रैन बेसेरे में ठहरा एक शख्स बाहर निकलता है। इधर-उधर देखता है। फिर पीछे की तरफ जाता है और लघुशंका करके वापस आ जाता है। एक-दो मिनट बाद एक और शख्स निकलता है और उसी क्रिया के बाद वापस आ जाता है। क्या करने गए थे, पूछने पर..कुछ नहीं साहब कहकर अंदर चला जाता है। पोटा केबिन का दरवाजा खोलकर अंदर नजर डालते ही कई शख्स सोते नजर आते हैं, मगर दरवाजा खुलने पर जाग जाते हैं। रैन बसेरे में नगर परिषद की तरफ से ड्यूटी दे रहा कर्मचारी भी सक्रिय हो जाता है। समझता है शायद कोई यहां पर ठहरने आया है। इसी केबिन के एक कोने में बने शौचालय की तरफ कदम बढ़ाते ही कर्मचारी बोलता है, शौचालय में पानी नहीं है। इसके बाद समझ में आता है कि आखिर माजरा क्या है। क्यों इस रैन बेसेरे से रात को बाहर निकलकर यहां ठहरे लोग इधर-उधर लघुशंका के लिए इधर-उधर जा रहे हैं।
कुछ दिन पहले तक यह स्थिति नहीं थी। इस अस्थायी रैन बसेरे के कोने में बने शौचालय का खूब प्रयोग हो रहा था। इसकी निकासी सीवरेज लाइन में जो है। पानी के लिए बाहर एक बेस बनाकर उस पर बड़ी सी टंकी रखी थी। उसी टंकी के जरिये केबिन के नीचे से लाइन थी जिससे शौचालय में पानी पहुंच रहा था। मगर ये क्या..मंगलवार की रात यहां से टंकी गायब थी और बेस टूटा पड़ा था। पूछने पर यहां रोजाना रात गुजार रहे उप्र के कन्नौज जिले के रैपुरा के राम ¨सह बोल उठते हैं, साहब..रैन बसेरा तो मिला है, मगर अब शौचालय छीन लिया गया है। मजबूरी में लघुशंका के लिए बाहर निकलकर इधर-उधर, जाना पड़ता है। कई साल से यहां मेहनत-मजदूरी करता हूं। कोई ठिकाना नहीं है। गर्मियों में तो मंडी में इधर-उधर रात कट जाती है, लेकिन सर्दी में बाहर कैसे सोएं। यहां रैन बसेरा बना तब से हर रात यहीं पर रुकता हूं। अब दो-तीन दिन से शौचालय में पानी नहीं है। बाहर जो टंकी रखी थी, उसका बेस तोड़ दिया। बताते हैं कि रेलवे ने ऐसा किया है। कम से कम सर्दी तो बीत जाने देते। स्वच्छता का शोर तो चारों तरफ मचा है, मगर जब शौचालय में पानी नहीं और बदहाली होगी तो लोग कहां पर गंदगी फैलाएंगे.जरा सोचिए। राम ¨सह ही क्या. उसके पास में सो रहे रोहतक का रामकिशन पिछले 15 दिन से रोजाना रात को यहीं ठहरता है। न घर है, न ही कोई सहारा। कुछ दिन पहले बहादुरगढ़ आया। कई रात इधर-उधर गुजारी। सामान भी चोरी हो गया। अब रैन बसेरा ही आसरा है, मगर शौचालय को लेकर परेशानी है। ----हर किसी का रखा जाता है पूरा रिकार्ड नगर परिषद की ओर से इस रैन बसेरे में ड्यूटी दे रहे मनीष ने बताया कि यहां पर कई बार तो एक साथ 15 से 20 लोग भी रात को ठहरने के लिए आ जाते हैं। सभी का नाम-पता दर्ज किया जाता है। बाकायदा आइडी देखी जाती है। क्या पता कोई संदिग्ध यहां आकर ठहर जाए और उसका बाद में कुछ पता ही न चले। अब दो-तीन दिन पहले शौचालय के लिए रखी पानी की टंकी का बेस रेलवे ने ढहा दिया। कम से कम सर्दी का मौसम तो बीत जाने दिया होता। ऐसे तो रैन बसेरे के आसपास ही गंदगी फैल जाएगी।