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पहले दिल्ली जाने पर अड़े थे किसान, अब सड़क पर डटे तो बना संकट

पंजाब से चला आ रहा किसानों का जत्था दिल्ली सीमा पर पहुंचा तो कई घंटे बवाल हुआ। तमाम अवरोधकों और पुलिस के पहरे को पार करते हुए किसानों ने जैसे ही दिल्ली की सीमा में कदम रखा तो उन्हें रोकने के लिए पुलिस और सुरक्षा बलों ने भी जोर लगाया।

By JagranEdited By: Published: Sat, 28 Nov 2020 06:40 AM (IST)Updated: Sat, 28 Nov 2020 06:40 AM (IST)
पहले दिल्ली जाने पर अड़े थे किसान, अब सड़क पर डटे तो बना संकट
पहले दिल्ली जाने पर अड़े थे किसान, अब सड़क पर डटे तो बना संकट

जागरण संवाददाता, बहादुरगढ़ :

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पंजाब से चला आ रहा किसानों का जत्था दिल्ली सीमा पर पहुंचा तो कई घंटे बवाल हुआ। तमाम अवरोधकों और पुलिस के पहरे को पार करते हुए किसानों ने जैसे ही दिल्ली की सीमा में कदम रखा तो उन्हें रोकने के लिए पुलिस और सुरक्षा बलों ने भी जोर लगाया। पानी की बौछारें और आंसू गैस के गोले खूब दागे गए। किसान भी डटे रहे। एक घंटे की कोशिश में किसान बैरिकेडिग तोड़ने में सफल हुए, मगर उससे आगे सुरक्षा बल दीवार बनकर खड़े हो गए। यहां पर खींचतान और धक्का-मुक्की की नौबत आई। एक-दो बार भगदड़ मची। दोनों तरफ से तेवर कड़े थे। ऐसे में किसानों का अमला ठहर गया। सुरक्षा बलों से टकराने की बजाय किसानों ने ही यहीं पर डेरा डाल लिया। किसान अब दिल्ली में बुराड़ी मैदान की बजाय रामलीला मैदान में जाने की मांग को लेकर सड़क पर बैठ गए हैं। इससे पुलिस-प्रशासन के लिए संकट बन गया। अड़े रहे सुरक्षा बल

दिल्ली की सीमा में पुलिस और सुरक्षा बल किसानों को आगे जाने से रोकने के लिए पूरी तरह अड़े रहे। किसान जब बैरिकेड तोड़ रहे थे, तब पुलिस के अधिकारी उन्हें समझा रहे थे। इसके बाद किसान आगे बढ़े तो पुलिस ने वाहन इधर-उधर खड़े कर रखे थे। इनसे आगे सुरक्षा बल के जवान दीवार बनकर खडे़ हो गए। यहां पर दोनों तरफ से लाठी-डंडे लहराए गए। धक्का-मुक्की होती रही। फिर यहां किसानों नेताओं की तरफ से संयम बरतने की अपील की गई। किसानों को यहां की बैरिकेडिग तोड़ने में तो सवा घंटा लगा। मगर उससे बाद दो घंटे की कोशिश में भी आगे नहीं बढ़ पाए। किसानों ने किया पथराव, आंसू गैस के गोले वापस फेंके

पानी की बौछार और आंसू गैस के गोलों के जवाब में किसानों ने कुछ पत्थर भी सुरक्षा बल की तरफ फेंके। वे वाहनों को ही लगे। आंसू गैस के कई गोलों को किसानों ने वापस पुलिस की ओर फेंक दिया। एक गोला तो तीन बार फेंका गया। पहले किसानों की तरफ। फिर वापस सुरक्षा बल की तरफ। इसके बाद फिर किसानों की तरफ। वाहनों की निकाली गई हवा

बहादुरगढ़ की सीमा में सबसे पहले किसानों को रोहद टोल पर रोकने की कोशिश की गई। मगर तीन घंटे में यहां से किसान निकल गए। यहां पर भी पुलिस ने पूरा जोर लगाया। इसके बाद सेक्टर-9 की नाकाबंदी को पार करने में ज्यादा वक्त नहीं लगा। टीकरी बॉर्डर पर दिल्ली सीमा में कड़े इंतजाम किए गए थे। पहले बड़े-बड़े पत्थरों की लाइन। उससे आगे लोहे के बैरिकेड। उनके ऊपर कंटीली तार। फिर सुरक्षा बल वाटर कैनन, जेसीबी और क्रेनों को लेकर दूसरी तरफ खड़ा था। यहां पहुंचते ही किसानों ने लाठियों से कंटीली तार तोड़ डाली। ट्रैक्टर की टक्कर से पत्थर गिराए फिर पीछे बांधकर खींच दिए। लोहे के बैरिकेड को भी इसी तरह हटाया। इसके बाद पुलिस ने अंदर दाखिल हुए कुछ ट्रैक्टरों की हवा निकाल दी। बदले में किसानों ने भी कई जेसीबी और दूसरे वाहनों की हवा निकाली। शाम को दिल्ली जाने को माने किसान, फिर फैसला बदला

दो घंटे के संघर्ष के बाद जब किसान टीकरी से आगे नहीं निकले तो यहीं पर डेरा डाल लिया। यहां पर खाना पकाने-खाने में जुटे गए। इस बीच सूचना आ गई कि केंद्र सरकार ने किसानों को दिल्ली के बुराड़ी के मैदान पर प्रदर्शन की इजाजत दे दी है। शाम को जब पुलिस ने समझाया तो किसान यहां से बुराड़ी जाने को एक बार तो माने, मगर युवा किसानों ने इस प्रस्ताव को ठुकराया और दिल्ली सीमा पर ही धरना शुरू कर दिया।


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