प्रदूषण हटा, सियासी कोहरा हुआ घना
मामला सबसे गर्म था। जहां देखो वहां इस प्रदूषण की चर्चा रही, लेकिन मौसम के बदले मिजाज ने इस प्रदूषण से राहत दे दी। अब सियासी कोहरा घना हो गया है। मुद्?दे कई हैं। एक तो प्रदेश के एक प्रमुख दल में चल रही तीन-पांच ने इन दिनों लोगों को राजनीतिक बहस के लिए खूब सामग्री दे रखी है। दूसरा अगले महीने पांच राज्यों के चुनावी नतीजे भी आने हैं। प्रदेश के विधानसभा चुनावों को भी ज्यादा दूर नही माना जा रहा है। ऐसे में जब भी दो परिचित मिलते हैं तो हाय-हैलो बाद सियासत पर ही चर्चा होने लगती है।
जागरण संवाददाता, बहादुरगढ़ :
दीपावली के बाद से ही प्रदूषण का मामला सबसे गर्म था। जहां देखो वहां इस प्रदूषण की चर्चा रही, लेकिन मौसम के बदले मिजाज ने इस प्रदूषण से राहत दे दी। अब सियासी कोहरा घना हो गया है। मुद्दे कई हैं। एक तो प्रदेश के एक प्रमुख दल में चल रही तीन-पांच ने इन दिनों लोगों को राजनीतिक बहस के लिए खूब सामग्री दे रखी है। दूसरा अगले महीने पांच राज्यों के चुनावी नतीजे भी आने हैं। प्रदेश के विधानसभा चुनावों को भी ज्यादा दूर नही माना जा रहा है। ऐसे में जब भी दो परिचित मिलते हैं तो हाय-हैलो बाद सियासत पर ही चर्चा होने लगती है।
अब राजनीतिक गतिविधियां तेज हो रही हैं। सत्ता पक्ष की तरफ से भी जल्दी-जल्दी उद्घाटन कार्यक्रम किए जा रहे हैं, तो विपक्षियां पार्टियां भी कोई मौका नहीं छोड़ रही हैं। आखिर यही समय तो है राजनीतिक माइलेज का, जिसमें टिकट के लिए दावेदारी का दम जुटाया जा रहा है। नए झंडों का इंतजार
प्रदेश के दल का कुनबा बिखरने के बाद अब जो बड़े भैया के समर्थक हैं, उन्होंने पुराने झंडों और डंडों का बोझ कई दिन पहले ही उतार फेंका था। उनके कार्यालयों पर कैसा झंडा सजता है, इसकी चारों तरफ चर्चा है। हर कोई इस इंतजार में है कि नई पार्टी के उदय के बाद कितने कार्यालयों की सूरत बदलेगी। सुबह की सैर हो या दोपहर को नुक्कड़ों पर मंडलियों की चौकड़ी, सभी में इसी बात पर चर्चा की दिलचस्पी ज्यादा है। अफसरशाही भी इस राजनीतिक घमासान पर बारीकी नजरें गड़ाए है।