दो साल में 500 से ज्यादा टेडर लगाए, आधे काम भी नहीं शुरू कर पाए
जागरण संवाददाता, बहादुरगढ़: नगर परिषद में इन दिनों विकास कार्याें को लेकर पार्षद और
जागरण संवाददाता, बहादुरगढ़:
नगर परिषद में इन दिनों विकास कार्याें को लेकर पार्षद और अधिकारी आमने-सामने है। विकास कार्याें को लेकर दो साल से यहीं कहानी चल रही है। पार्षद अधिकारियों से पूछते है कि साहब..मेरे वार्ड के फला काम काम का क्या हुआ तो अधिकारियों के पास एक ही जवाब होता है कि टेडर लगाया है ना..। ऐसे में पार्षदों का एक ही तर्क होता है कि आखिरकार शहर का विकास टेडर प्रक्रिया से कब बाहर निकलेगा। जब पूछो तभी एक ही जवाब मिलता है कि टेडर लगा है। आखिर पार्षदों का यह जवाब मिले भी क्यों नहीं। नगर परिषद में अधिकारियों व ठेकेदारों की मनमानी के चलते करीब दो साल से 500 से ज्यादा टेडर होने के बावजूद शहर में आधे टेडरों पर भी काम नहीं हो पाया है। कभी अधिकारी टेडर अलाट होने के बाद भी ठेकेदारों को समय पर वर्क आर्डर नहीं दे रहे है और कभी ठेकेदार अपनी मनमानी करते हुए टेडर नहीं लगाते है।
ऐसे में टेडर बार-बार भी लगाने पड़ रहे है। समय पर टेडर मिल भी जाए तो एक-एक ठेकेदार कई-कई काम ले लेता है और फिर समय पर न तो शुरू करता है और न ही समय पर उसे पूरा करता है, जिसका खामियाजा सीधे तौर पर शहर की जनता को करना पड़ता है। टेडरों को लेकर समय पर काम शुरू कराने के लिए कोई भी अधिकारी जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं है। टेडर में एस्टीमेट से ज्यादा रेट भी बना विकास में बाधा, स्वीकृति न मिलने पर अटके 86 टेडर:
नगर परिषद के विकास में सबसे बड़ी बाधा ठेकेदारों द्वारा टेडर में एस्टीमेट से ज्यादा रेट भरने की बन रही है। टेडर रेट से कम रेट अगर आए तो नगर परिषद के अधिकारी वर्क आर्डर दे सकते है लेकिन टेडर रेट से अधिक रेट आने पर वर्क आर्डर देने के लिए उपायुक्त से स्वीकृति लेनी पड़ती है। मगर यह स्वीकृति लेना एक चुनौती भरा काम है। उपायुक्त कार्यालय से अबोव रेट के टेडर की स्वीकृति जल्द ही नहीं मिल पाती है। करीब एक माह पहले लगाए गए करोड़ों के कार्याें के टेंडरों में से 86 टेडरों में एस्टीमेट से 4 से लेकर 10 फीसद अधिक रेट आए है। नगर परिषद की ओर से इसकी फाइल उपायुक्त कार्यालय में भेजी गई है। मगर अब तक इसकी स्वीकृति नहीं मिली है। अब उपायुक्त कार्यालय से भी इतनी जल्दी स्वीकृति कैसे मिले। नगर परिषद की ओर से लगाए गए टेडरों में एक ही काम कोई ठेकेदार माइनस रेट पर करने को तैयार है तो बिल्कुल वैसे ही काम के जब 5 से 10 फीसद अधिक रेट आएंगे तो अधिकारी इसे कैसे जस्टिफाई करेगे। यहीं वजह है कि अबोव रेट के टेडरों की स्वीकृति जल्द ही नहीं मिल पाती है। कुछ बड़े काम जो अधिकारी व ठेकेदारों की मनमानी से है लंबित
- शहर में ढाई हजार से ज्यादा स्ट्रीट लाइट का टेडर लगाया गया था। एक हजार से ज्यादा लाइटे लगा दी गई मगर समय पर ठेकेदार की पेमेंट न होने की वजह से ठेकेदारों ने सारी लाइटे शहर में नहीं लगाई। अधिकारियों ने ज्यादा रेट के आरोप लगने की वजह से पेंमेंट नहीं की थी। ऐसे में अधिकारियों व ठेकेदारों की मनमानी से अधिकाश शहर अंधेरे में है।
- सेक्टर छह की सड़कों का काम अब तक अधूरा पड़ा है। जो काम छह माह में पूरा हो जाना चाहिए था वह शुरू हुए करीब एक साल होने को है अब तक पूरा नहीं हुआ है।
- न 66 फुटा रोड पर और न ही मेला ग्राउउ रोड पर अब तक स्ट्रीट लाइट लग सकी।
- अधिकाश वार्डाें में गलियों के निर्माण के लिए लगाए गए टेडरों पर अब तक काम शुरू नहीं हो सका।
- कई वार्डाें में नालों का निर्माण कार्य अब तक शुरू नहीं हो पाया है।
--------------
अधिकारी शहर का विकास नहीं चाहते है। अधिकारियों व ठेकेदारों की मनमानी के कारण सभी काम टेडर प्रक्रिया में उलझे हुए है। अधिकारी समय पर वर्क आर्डर नहीं देते है। एक ही ठेकेदार को कई-कई काम अलाट कर देते है। अगर ठेकेदार समय पर काम शुरू नहीं करता है तो नप के अधिकारियों की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की जाती है।
युवराज छिल्लर, पार्षद, वार्ड-18।
---------------
जिन कार्याें के टेडर लगाए गए है वो काम बारिश खत्म होने के बाद जल्द ही शुरू किए जाएंगे। रही बात अबोव रेट के 86 टेडरों की तो उनकी स्वीकृति बहुत जल्द ही उपायुक्त से ही मिल जाएगी।
-अपूर्व चौधरी, कार्यकारी अधिकारी, नप।