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सिविल अस्पताल में तीन माह से नहीं एंटी रेबीज इंजेक्शन

भगवान न करे किसी को कुत्ता काट ले मगर ऐसा हो जाए और सिविल अस्पताल में इलाज के लिए जा रहे हैं तो एंटी रेबीज का इंजेक्शन भी साथ ले जाएं। ऐसा इसलिए कि अस्पताल में इंजेक्शन लगाने वाले कर्मचारी तो मिल जाएंगे मगर इंजेक्शन फिलहाल नहीं है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 30 Sep 2020 06:15 AM (IST)Updated: Wed, 30 Sep 2020 06:15 AM (IST)
सिविल अस्पताल में तीन माह से नहीं एंटी रेबीज इंजेक्शन
सिविल अस्पताल में तीन माह से नहीं एंटी रेबीज इंजेक्शन

जागरण संवाददाता, बहादुरगढ़ : भगवान न करे किसी को कुत्ता काट ले, मगर ऐसा हो जाए और सिविल अस्पताल में इलाज के लिए जा रहे हैं तो एंटी रेबीज का इंजेक्शन भी साथ ले जाएं। ऐसा इसलिए कि अस्पताल में इंजेक्शन लगाने वाले कर्मचारी तो मिल जाएंगे मगर इंजेक्शन फिलहाल नहीं है।

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सिविल अस्पताल में रोजाना 30 से ज्यादा मरीज कुत्ता काटने के बाद एंटी रेबीज इंजेक्शन लगवाने के लिए आ रहे हैं, मगर इन दिनों सभी को बिना इलाज वापस लौटना पड़ रहा है। अधिकारियों का एक ही जवाब है कि इंजेक्शन की पीछे से सप्लाई नहीं आ रही।

सिविल अस्पताल में तीन माह से एंटी रेबीज इंजेक्शन नहीं है। जबकि यहां की ओपीडी से लेकर डिस्पेंसरी तक में आवारा कुत्ते घूमते हैं। किसी मरीज या उसके स्वजन को कोई कुत्ता काट ले तो अस्पताल में इलाज भी नहीं मिल पाएगा। ऐसे में बाहर से आने वाले मरीजों की तो बात ही क्या करें। इस स्थिति में लोगों को इलाज के लिए भटकना पड़ रहा है। दरअसल, शहर और गांवों में आवारा कुत्तों की संख्या बढ़ गई है। रोजाना सिविल अस्पताल में काफी मरीज कुत्ते के काटने के बाद इलाज के लिए आते हैं। पिछले दिनों यहां से दो हजार इंजेक्शन की डिमांड भेजी थी। सिर्फ 300 ही मिले, वे भी कुछ दिन में खत्म हो गए। जुलाई के पहले सप्ताह के बाद से सप्लाई नहीं है। अस्पताल से बाहर होता है महंगा इलाज

एंटी रेबीज के इंजेक्शन सिविल अस्पताल में बीपीएल परिवारों के लिए मुफ्त हैं। सामान्य वर्ग को प्रति इंजेक्शन 100 रुपये देने होते हैं। जबकि बाजार में प्रति इंजेक्शन कीमत 300 से 400 रुपये है। जबसे सिविल अस्पताल में इंजेक्शन खत्म हुए हैं, तबसे मरीजों को निराश लौटना पड़ रहा है। सभी को कर्मचारियों का एक ही जवाब मिलता है कि इंजेक्शन नहीं हैं। सिरे नहीं चढ़ रही डॉग कंट्रोल की कवायद

विगत में कई बार नगर परिषद के पास उच्चाधिकारियों की ओर से यह पत्र आ चुका है कि शहर में डॉग कंट्रोल मुहिम शुरू की जाए। यानी कुत्तों की नसबंदी की जाए, ताकि इनकी तादाद न बढे़। मगर इस तरह की मुहिम शुरू ही नहीं होती। अस्पताल में एंटी रेबीज इंजेक्शनों का स्टॉक खत्म होने से पहले ही डिमांड भेज दी गई थी, मगर अभी तक नई सप्लाई नहीं आई है। अक्टूबर के पहले सप्ताह में आने की उम्मीद है।

डा. देवेंद्र मेघा, प्रशासक, सिविल अस्पताल।


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