फैक्ट्रियों का दूषित पानी होगा रियूज, हरियाणा सरकार बनाएगी एकीकृत योजना, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से मांगा डाटा
औद्योगिक क्षेत्रों में स्थित फैक्ट्रियों के दूषित पानी को रियूज किया जाएगा। इसके लिए प्रदेश सरकार की ओर से एकीकृत योजना बनाई जाएगी। सरकार की ओर से फैक्ट्रियों के दूषित पानी को शोधित करने की योजना बनाने के लिए प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से डेटा लिया जा रहा है
जागरण संवाददाता, बहादुरगढ़: बहादुरगढ़ व आसपास के औद्योगिक क्षेत्रों में स्थित फैक्ट्रियों के दूषित पानी को रियूज किया जाएगा। इसके लिए प्रदेश सरकार की ओर से एकीकृत योजना बनाई जाएगी। सरकार की ओर से फैक्ट्रियों के दूषित पानी को शोधित करने की योजना बनाने के लिए प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से डेटा लिया जा रहा है। साथ ही एक रिपोर्ट भी एकत्र की जा रही है ताकि इस योजना पर काम त्वरित हो सके। बोर्ड से मांगी गई रिपोर्ट में क्षेत्र में कितनी फैक्ट्रियां हैं। उनसे हर रोज कितना पानी डिस्चार्ज होता है। इन फैक्ट्रियों की ओर से यह दूषित पानी साफ करके या बिना ट्रीट किए किस ड्रेन या तालाब में छोड़ा जाता है।
सरकार के आदेश पर बोर्ड की ओर से रिपोर्ट व डेटा एकत्र किया जा रहा है ताकि समय रहते हुए सरकार को यह रिपोर्ट भेजी जा सके। अगर सरकार की यह योजना सफल होती है तो इससे काफी फायदा होगा। एक तो बड़े स्तर पर जल संरक्षण हो जाएगा तथा दूसरा दूषित पानी ड्रेनों के माध्यम से यमुना को मैली नहीं करेगा। यह पानी खेती, फैक्ट्रियों में गार्डनिंग व अन्य कार्याें में प्रयोग किया जा सकता है। इस पानी को रियूज करने के लिए योजना क्या होगी, इस दिशा में अभी कोई निर्णय नहीं लिया गया है।
बहादुरगढ़ की फैक्ट्रियों के पानी को शोधन करने के लिए यहां हैं प्लांट
बहादुरगढ़ की फैक्ट्रियों के केमिकल युक्त दूषित पानी को साफ करने के लिए सिर्फ एचएसआइआइडीसी के सेक्टर-16,17 व 4बी के लिए सेक्टर 4बी में कामन एफलुएंट ट्रीटमेंट प्लांट(सीइटीपी) बना रखा है। यह सीइटीपी 12.50 एमएलडी (मिलियन लीटर पर डे) की क्षमता का है। यहां की फैक्ट्रियों का डिस्चार्ज 2.5 एमएलडी है। एमआइई क्षेत्र की फैक्ट्रियों का डिस्चार्ज करीब 5 एमएलडी है और यहां पर सीइटीपी का निर्माण अंतिम चरण में है।
इसके अलावा ओल्ड इंडस्ट्रियल एरिया में 0.5 एमएलडी का डिस्चार्ज है और यहां पर एक एमएलडी का सीइटीपी बनाने का प्रस्ताव है। इसके अलावा रोहद, दहकोरा, निजामपुर रोड, गणपति धाम, परनाला, आसौदा, टांडाहेड़ी आदि औद्योगिक क्षेत्रों के लिए कोई भी प्लांट नहीं है। ऐसे में ये फैक्ट्रियां सीधे ही मुंगेशपुर ड्रेन, वेस्ट जुआं ड्रेन, कसार ड्रेन, केसीबी ड्रेन व अन्य ड्रेनों में दूषित पानी छोड़ रही हैं। फिलहाल तो एमआइई क्षेत्र की करीब ढाई हजार फैक्ट्रियां भी सीधे मुंगेशपुर ड्रेन में दूषित पानी छोड़ रही हैं।
.....सरकार ने बोर्ड मुख्यालय के माध्यम से पूरे जिले की फैक्ट्रियों व उनसे हर रोज डिस्चार्ज होने वाले दूषित पानी का डेटा मांगा गया है। इसकी डेटा समेत पूरी विस्तृत रिपोर्ट बनाई जा रही है।
--अमित दहिया, सहायक पर्यावरण अभियंता, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, बहादुरगढ़।