राष्ट्रीय वेबिनार में युवाओं को किया रक्तदान के लिए प्रेरित
वैश्य बीएड कालेज में अंतरराष्ट्रीय युवा दिवस के अवसर पर लगाया रक्तदान शिविर।
फोटो-111: जागरण संवाददाता, बहादुरगढ़: वैश्य बीएड कालेज में अंतरराष्ट्रीय युवा दिवस के उपलक्ष में अवेयरेनेस फॉर वॉलंटरी ब्लड डोनेशन विषय पर एक राष्ट्रीय स्तर के वेबिनार का आयोजन किया गया। इस साल विश्व युवा दिवस की थीम वैश्विक कार्य के लिए युवाओं की भागीदारी है। वेबिनार की शुरुआत महाविद्यालय की प्राचार्या डा. आशा शर्मा द्वारा मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्वलन कर व बीएड द्वितीय वर्ष की छात्रा चित्रा बंसल द्वारा सरस्वती वंदना गाकर हुई।
वेबिनार में 130 बार रक्तदान व 93 बार प्लेटलेट्स डोनेट कर चुके लंदन की वर्ल्ड बुक ऑफ रिकार्ड में दर्ज डा. सुरेश कुमार सैनी ने बताया कि रक्तदान को महादान जीवनदान भी कहा गया है। दो रक्तदान के बीच न्यूनतम समय का अंतर कम से कम 3 महीने का होना चाहिए तथा रक्तदान करने से पहले हर व्यक्ति को यह सुनिश्चित कर लेना चाहिए कि उसकी आयु 18 से 65 वर्ष के बीच है और वजन 45 किलो से अधिक होना चाहिए। हिमोग्लोबिन 12.5 मिलीग्राम से अधिक होना चाहिए। उन्होंने युवाओं से अपील की कि वे ज्यादा से ज्यादा रक्तदान करें।
हरियाणा राज्य रेड क्रॉस के ट्रेनिग ऑफिसर संजीव धीमान ने कहा कि रक्तदान जिदगी से जूझ रहे लोगों को नया जीवन प्रदान कर सकता है। इसलिए भारतवर्ष में रक्तदान को लेकर अनेक भ्रांतियां हैं और लोग समझते हैं कि यह उनमें कमजोरी ला सकता है, लेकिन ऐसा कहना बिल्कुल गलत है। एक स्वस्थ स्त्री 4 महीने के अंतराल पर और एक स्वस्थ पुरुष 3 महीने के अंतराल पर रक्तदान कर सकते हैं। यूथ रेडक्रास के प्रोग्राम कोऑर्डिनेटर व ऑफिसर रोहित शर्मा ने वॉलिटियर्स को प्लाज्माथेरपी और प्लाज्मा डोनेशन के बारे में बताया। महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय के रेडक्रॉस प्रोग्राम कोऑर्डिनेटर रणदीप राणा ने कहा कि भारत में हर वर्ष लगभग 30 से 35 फीसद रक्त की कमी का सामना करना पड़ता है। देश को प्रतिवर्ष 8 से 10 मिलियन यूनिट रक्त की जरूरत होती है लेकिन मुश्किल से 5.30 मिलियन यूनिट का ही प्रबंध हो पाता है। भारत में रक्तदान की कमी काफी हद तक गलत सोच के कारण है। इस अवसर पर प्राचार्या डा. आशा शर्मा ने कोविड-19 जागरूकता अभियान के अंतर्गत वाइआरसी वॉलिटियर्स द्वारा किए गए कार्यों की सरहाना की। उन्होंने बताया कि महामारी के चलते स्वयंसेविकाओं ने घर-घर जाकर स्वयं सिले हुए मास्क, सैनिटाइजर, साबुन बांटे तथा राशन में पकी हुई खाद्य सामग्री व घर-घर जाकर लीफलेट्स के माध्यम से लोगों में जागरूकता फैलाने का प्रयास किया।