70 करोड़ के बजाए मात्र अब तीन करोड़ से ही सुधरेगी माइनर की हालत
70 करोड़ का प्रस्ताव लटका तो 22 करोड़ का एस्टीमेट भी नामंजूर अब तीन करोड़ से ही सुधरेगी माइनर की हालत
जागरण संवाददाता, बहादुरगढ़ : शहर को कच्चा पानी आपूर्ति करने वाली माइनर की क्षमता को बढ़ाने का पहले तो 70 करोड़ का प्रस्ताव लटका। फिर बीच का रास्ता निकालने के लिए विभाग ने 22 करोड़ का एस्टीमेट भेजा तो वह भी सरकार से नामंजूर हो गया। अब सीएम अनाउंसमेंट में तीन करोड़ से ही माइनर की हालत सुधारने पर मुहर लगी है। हालांकि इसकी भी लिखित मंजूरी का अभी सिंचाई विभाग को इंतजार है। मंजूरी के बाद ही इस पर काम शुरू होगा।
दरअसल, हर बार गर्मियों में शहर में पानी का जो संकट खड़ा होता है, उसमें सबसे बड़ी दिक्कत कच्चे पानी की आपूर्ति की है। जिस माइनर से जल घर के टैंकों को पानी मिलता है, उसका निर्माण 20 साल पहले हुआ था। तब से लेकर आज तक इसकी मरम्मत भी नहीं हो पाई। इसी कारण यह खस्ता हाल हो चुकी है। इसके कारण पर्याप्त पानी नहीं मिल पाता। हर साल माइनर की सफाई का मसला भी पानी के संकट को बढ़ा देता है। अब भविष्य में पानी की खपत को देखते हुए इसकी हालत सुधारने और क्षमता बढ़ाने की जरूरत है। ---70 करोड़ के बाद 22 करोड़ का प्रस्ताव भी हुआ था नामंजूर शहर की आबादी अगले 10 साल में बढ़कर दोगुनी होने का अनुमान है। ऐसे में पानी की डिमांड भी इसी हिसाब से बढ़ेगी। इस स्थिति को भांपते हुए शहर को कच्चा पानी आपूर्ति करने वाली माइनर की क्षमता बढ़ाकर ढ़ाई गुना किए जाने की प्ला¨नग पर काम शुरू किया गया था। सिंचाई विभाग द्वारा इसके लिए सबसे पहले 70 करोड़ का प्रस्ताव तैयार करके सरकार को भेजा गया था। लगभग 9 किलोमीटर लंबी माइनर का नए सिरे से निर्माण का यह प्रस्ताव था। मगर सरकार से यह प्रस्ताव मंजूर नही हुआ। इसके बाद विभाग ने माइनर के करीब चार किलोमीटर के हिस्से का ही पुनर्निर्माण करने के लिए 22 करोड़ का प्रस्ताव तैयार किया था। विभाग के अनुसार इस चार किलोमीटर के हिस्से में ज्यादा दिक्कत है। देवी लाल पार्क के पास से अक्सर माइनर टूट जाती है। यह हिस्सा भी दोबारा से बन जाएगा तो पानी की दिक्कत दूर हो सकती है। इस माइनर की देखरेख का जिम्मा ¨सचाई विभाग की दिल्ली डिवीजन के पास है। गुरुग्राम वाटर चैनल से ही शहर को भी पानी मिलता है। मगर सरकार से इस 22 करोड़ के प्रस्ताव को भी मंजूरी नहीं मिली। जबकि माइनर का चार किलोमीटर के हिस्से में फिर से निर्माण करने के लिए नगर परिषद की बैठक में भी प्रस्ताव पास किया गया था। नप बोर्ड ने साफ किया था कि शहर को पानी मिलने में दिक्कत नही आनी चाहिए। ऐसे में माइनर के सुधार के लिए नप की तरफ से सहयोग की जरूरत पड़ती है तो उसके लिए बजट मुहैया कराए जाने पर सहमति बनी थी।
---अब तीन करोड़ से होगी सीसी लाइ¨नग अब ¨सचाई विभाग ने इस माइनर के पुनर्निर्माण की बजाय इसकी तीन इंच की सीसी लाइ¨नग करने का प्रस्ताव तैयार किया है। इस पर लगभग तीन करोड़ की लागत आएगी। यह सीएम अनाउंस मेंट में आया है, मगर इसकी लिखित मंजूरी अभी नहीं आई है। मंजूरी मिलने के बाद यह पैसा जन स्वास्थ्य विभाग और एचएसवीपी को देना है, क्योंकि इन दोनों विभागों को ही इस माइनर से कच्चा पानी चाहिए।
यह है व्यवस्था :
फिलहाल जन स्वास्थ्य विभाग के पास 80 एमजीडी पानी की स्टोरेज की क्षमता है। अमूमन विभाग के पास 56 एमजीडी की उपलब्धता रहती है। एक बार में विभाग एक सप्ताह तक के पानी की स्टोरेज आसानी कर सकता है। दूसरा शहर में रोजाना 8 एमजीडी पानी की खपत होती है। लगभग डिमांड भी इतनी ही है, जो प्रति व्यक्ति प्रतिदिन की जरूरत के हिसाब से है। विभाग के पास रोजाना 11 एमजीडी पानी को साफ करने की व्यवस्था है। ऐसे में साफ है कि विभाग के पास व्यवस्था की कमी नहीं है। आने वाले समय में इसे भी बढ़ाया जा सकता है।
---भविष्य की जरूरत को ध्यान में रखकर ही माइनर की हालत सुधारने का प्रस्ताव है। अब तीन करोड़ की लागत से इस माइनर की सीसी लाइ¨नग होगी। इसके साथ ही इस माइनर की सफाई को लेकर भी ढ़ाई लाख का टेंडर शीघ्र जारी होगा। ताकि सफाई की वजह से गर्मियों में पानी की दिक्कत न आए।
--विजय, कनिष्ठ अभियंता, ¨सचाई विभाग। ----अभी ¨सचाई विभाग के एस्टीमेट के बारे में जानकारी नहीं मिली है। जैसे ही यह प्रस्ताव मिलेगा तो विभाग द्वारा अपने हिस्से का पैसा ¨सचाई विभाग को जमा करवाया जाएगा। जन स्वास्थ्य विभाग की फिलहाल रोजाना 25 क्यूसिक पानी की जरूरत है।
--अनिल रोहिल्ला, एसडीओ, ¨सचाई विभाग