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रात का रिपोर्टर : रात के अंधेरे में दिख रही थी कई अव्यवस्थाएं, कहीं लाइट नहीं तो कहीं बरसात में नाले ओवरफ्लो

हल्की बरसात का दौर जारी था। लाल चौक पर खड़े होकर दिल्ली और रोहतक की तरफ नजर डालने पर लाइटें जगमग दिख रही थी।

By JagranEdited By: Published: Sun, 23 Jan 2022 05:26 PM (IST)Updated: Sun, 23 Jan 2022 05:26 PM (IST)
रात का रिपोर्टर : रात के अंधेरे में दिख रही थी कई अव्यवस्थाएं, कहीं लाइट नहीं तो कहीं बरसात में नाले ओवरफ्लो
रात का रिपोर्टर : रात के अंधेरे में दिख रही थी कई अव्यवस्थाएं, कहीं लाइट नहीं तो कहीं बरसात में नाले ओवरफ्लो

जागरण संवाददाता, बहादुरगढ़:

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रात के ठीक 11 बजे थे। कोरोना काल के बीच दिल्ली-रोहतक रोड पर इक्का-दुक्का वाहनों की आवाजाही रह गई थी। हल्की बरसात का दौर जारी था। लाल चौक पर खड़े होकर दिल्ली और रोहतक की तरफ नजर डालने पर लाइटें जगमग दिख रही थी। इक्का-दुक्का लाइट बंद भी थी, मगर यहां से 90 डिग्री पर नजर घुमाने पर रेलवे रोड अंधेरे में डूबा हुआ दिख रहा था। बाजार तो यहां का छह बजे बंद हो गया था, मगर पूरी सड़क पर पसरा अंधेरा यहां की सुरक्षा में एक बड़ी खामी नजर आ रहा था। बरसात के बीच सड़क पर सीवर लाइन की खुदाई के चलते दिल्ली रोड से महज 20 कदम आगे खोदा गया गड्ढा था। इसके इर्द-गिर्द सीमेंट के बैरिकेट तो रखे थे, मगर रोशनी के बिना तो यहां पर कुछ नजर ही नहीं आ रहा था। इस रोड पर लाइटें पर्याप्त लगी हैं या नहीं, अगर लगी हैं तो क्यों रोशन नहीं हो रही और लाइटों के अभाव में अगर कुछ होता है तो उसका जिम्मेदार कौन होगा, ऐसे सवाल इस अंधेरे को देखकर खुद ब खुद दिमाग में उभर रहे थे। जैसे ही रेलवे रोड के मुहाने से पैदल चलने के लिए दो कदम आगे बढ़ाए तो सड़क पर जमा पानी में ही पैर जा टिका। अंधेरे के कारण कुछ दिख नही रहा था, तो ऐसा होना स्वाभाविक था। मगर बरसात हल्की थी, तब सड़क पर इतना पानी कैसे जमा है, इस सवाल का जवाब तब मिला, जब दिल्ली रोड के साथ-साथ बने नाले के अंदर से पानी निकलकर रेलवे रोड पर आता दिखा। बाजार में अंधेरे के बाद एक और अव्यवस्था से सामना हुआ। नाला तो इसलिए बनाया गया था कि सड़क से बरसात का पानी निकल जाए। मगर यहां तो उल्टा हो रहा था। अब फिर से कई सवाल उभरे। नाले से पानी क्यों बाहर आ रहा है। क्या सफाई नहीं हुई। अगर नहीं हुई तो किस विभाग की जिम्मेदारी है और इस जिम्मेदारी को क्यों नहीं पूरा किया जा रहा। खैर, अब बरसात तेज हो रही थी। इसलिए इन तमाम सवालों को यहीं पर छोड़कर आगे बढ़ना पड़ा।


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